पिता के ईमानदारी के पाठ को बच्चों ने बनाया जीवन का आधार
ईमानदारी, मेहनत और भाईचारे का पाठ जीवन की सबसे बड़ी पूंजी संकट मोचन झा
पिता अपने बच्चों के लिए पहला गुरु
विकास अग्रहरि के साथ कु. रीता की खास रिपोर्ट
ओबरा समाज में अक्सर कहा जाता है कि एक पिता अपने बच्चों के लिए पहला और सबसे बड़ा शिक्षक होता है। इस बात को ओबरा के संकट मोचन झा और उनके भाई और बहनों ने अपने जीवन में चरितार्थ किया है, जिन्होंने अपने दिवंगत पिता की यादों और उनके द्वारा दिए गए संस्कारों को अपने जीवन का मार्गदर्शक बनाया है। एक भावुक संदेश में, उन्होंने अपने पिता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके पिता स्व सच्चिदानंद झा एक नेक, मेहनती और ईमानदार स्वभाव के व्यक्ति थे।
वे न केवल अपने परिवार के प्रति समर्पित थे, बल्कि उन्हें समाज से जुड़े कार्यों की भी गहरी समझ थी। उन्होंने अपने बच्चों को केवल मौखिक रूप से नहीं, बल्कि अपने आचरण से परिश्रम और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। संकट मोचन झा ने बताया, आज हम जो भी उन्नति कर रहे हैं, वह सब उन्हीं के आशीर्वाद का फल है। यह दिखाता है कि एक पिता की सीख और आदर्श किस तरह बच्चों के जीवन को सही दिशा देते हैं। लेख में आगे कहा गया है कि भले ही उनके पिता की असामयिक मृत्यु हो गई, लेकिन परिवार ने इस दुख को स्वीकार कर लिया है और इसे अपनी ताकत में बदल लिया है।
उन्होंने संकल्प लिया है कि वे अपने पिता के बताए और दिखाए गए रास्ते पर चलते रहेंगे और सब भाई-बहन मिलकर जीवन में आगे बढ़ते रहेंगे। यह लेख केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है। यह हमें याद दिलाता है कि एक पिता का दिया हुआ ईमानदारी, मेहनत और भाईचारे का पाठ जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होता है, जो हमें हर मुश्किल का सामना करने की शक्ति देता है।

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