जिला कारागार लखनऊ में 79वें स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति का जज्बा, ध्वजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गूंजा माहौल
वरिष्ठ अधीक्षक ने किया ध्वजारोहण, तीन कार्मिक हुए सम्मानित – बंदियों व महिला बंदियों ने देशभक्ति गीतों व प्रस्तुतियों से बांधा समां ।
विनीत कुमार मिश्रा
लखनऊ।
शुक्रवार को 79वें स्वतंत्रता दिवस का पर्व जिला कारागार लखनऊ में बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ अधीक्षक आर०के० जायसवाल द्वारा कारागार के मुख्य द्वार पर ध्वजारोहण किया गया। राष्ट्रगान की गूंज और तिरंगे की शान ने पूरे कारागार परिसर को देशभक्ति की भावना से सराबोर कर दिया। तत्पश्चात महानिदेशक कारागार की ओर से जिला कारागार के तीन कार्मिकों को उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रशंसा चिन्ह (रजत) प्रदान किया गया। सम्मान समारोह के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी गईं।
ध्वजारोहण और सम्मान समारोह के बाद कारागार के कॉमन हॉल में लगभग एक हजार बंदियों के बीच भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दौरान बंदियों ने देशभक्ति से ओत-प्रोत गीत, भजन और नृत्य प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। बंदी जफर ने भजन “चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है” प्रस्तुत किया, वहीं बंदी सोनू अवस्थी ने “हर करम अपना करेंगे” गीत गाकर देश सेवा के संकल्प का संदेश दिया। बंदी रियाज व उनके साथियों ने देशभक्ति गीतों पर शानदार नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण में देशप्रेम की अलख जगा दी।
महिला बंदियों और उनके साथ रह रहे बच्चों ने भी स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर अपने गीतों से कार्यक्रम को और खास बना दिया। उनकी प्रस्तुतियों में “मेरा रंग दे बसंती चोला”, “ऐ मेरे प्यारे वतन” और “ऐ वतन मेरे वतन” जैसे गीतों ने वहां मौजूद सभी को भावुक कर दिया और माहौल पूरी तरह देशभक्ति से सराबोर हो उठा।
कार्यक्रम के समापन पर कारागार प्रशासन की ओर से सभी बंदियों को दो लड्डू वितरित किए गए, जिससे हर चेहरे पर खुशी और उल्लास झलक उठा। इस अवसर पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक आर०के० जायसवाल, अधीक्षक मृत्युंजय कुमार पाण्डेय, जेलर ऋत्विक प्रियदर्शी, सुनील दत्त मिश्र, अभय कुमार शुक्ल सहित सभी डिप्टी जेलर और बंदीरक्षक मौजूद रहे। स्वतंत्रता दिवस के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि आजादी का जश्न केवल आजाद समाज तक सीमित नहीं, बल्कि जेल की चारदीवारी के भीतर भी देशभक्ति की भावना उतनी ही गहरी और सशक्त रूप से जीवित है।

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