सोनभद्र का बाबा भूतेश्वर दरबार श्रद्धा, तपस्या और प्रकृति का अनुपम संगम
भूतेश्वर् दरबार भक्तों की श्रद्धा, संतों की तपस्या और प्रकृति की देन का एक जीवंत प्रतीक है।
मारवाड़ीया नाथ पहाड़ी प्राकृतिक धरोहरों का खजाना, आस्था का केन्द्र
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जिसे मरवाड़ीया नाथ के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ कई वर्षों से धार्मिक परंपराएँ जीवित हैं। यह सुरम्य पहाड़ी क्षेत्र में स्थित बाबा भूतेश्वर दरबार, भक्तों की आस्था, संतों की तपस्या और प्रकृति की अनुपम देन का एक सुंदर संगम है, जो इसे सोनभद्र में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र बनाता है। इस पवित्र स्थल का इतिहास ब्रह्मलीन संत शिव दास महाराज से गहरा जुड़ा है।

अनुमान है कि वे लगभग 1955 से 1960 के बीच इस स्थान पर आए थे। उन्होंने यहाँ लगभग 25 वर्षों तक अखंड धूनी प्रज्ज्वलित रखी और गहन तपस्या की। उनकी यह अलौकिक साधना वर्ष 2000 में सावन माह में उनके ब्रह्मलीन होने के साथ समाप्त हुई। जिस स्थान पर उन्होंने कठोर तपस्या की थी, वहाँ आज भी एक प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है।
संत शिव दास महाराज ने न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया, बल्कि इस हरे-भरे वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाबा भूतेश्वर दरबार के मारवाड़ीया नाथ पहाड़ी आसपास की सैकड़ो गांव के लोग वहां पूजा अर्चना किया करते थे वह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि दुर्लभ जड़ी-बूटियों का एक प्राकृतिक खजाना भी है। जिन लोगों को इन औषधीय पौधों की जानकारी है, वे यहाँ आकर अपनी आवश्यकतानुसार इन्हें ले जाते हैं।
इन जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार और यौगिक क्रियाओं में किया जाता है। यहाँ तक कि गठिया के दर्द में लाभकारी जंगली प्याज भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कई ऐसी अनमोल जड़ी-बूटियाँ और घास भी हैं जो पानी को शुद्ध करने और रक्त को साफ करने में सहायक मानी जाती हैं।जड़ी-बूटियों के जानकार लोग इस पहाड़ी को एक प्राकृतिक औषधि भंडार के रूप में पहचानते हैं।
इसके अलावा, तांत्रिक और दैविक ज्ञान रखने वाले लोग भी इस स्थान की ऊर्जा का उपयोग करते हैं, जो इसकी महत्ता को और बढ़ा देता है। यह स्थान अनादि काल से तपस्वियों और साधु- महात्माओं का केंद्र रहा है। कई सदियों से यहाँ संत महात्मा आकर ध्यान और तपस्या करते रहे हैं। इस पवित्र और शांत वातावरण में ही बाबा भूतेश्वर दरबार का धीरे-धीरे विकास हुआ है, जो आज भी आध्यात्मिक शांति की तलाश करने वालों को आकर्षित करता है।
बाबा भूतेश्वर दरबार के विकास और सेवा में कई शिव भक्तों ने अपना तन, मन और धन समर्पित किया है। शुरुआती दौर में, निम्नलिखित निष्ठावान सेवक मंदिर की देखभाल और संचालन का कार्यभार संभालते थे: यू न सिंह, सच्चिदानंद झा, किशोरी बाबा, बाबूलाल विश्वकर्मा, रामेश्वर पांडे, श्याम सुंदर सिंह, अविनाश राय, रमाकांत, स्वर्गीय आनंद तिवारी, रामबली यादव, जवाहर सिंह, विषम पाल, उमाशंकर सिंह, संजय पांडे और राधाकांत मिश्रा, अरविंद सिंह भोला कनौजिया ।
इनके बाद, कई और शिव भक्त इस दरबार से जुड़े और सेवा कार्य में सक्रिय रूप से शामिल हुए। इनमें प्रमुख हैं। सियाराम राय, रामआश्रय बिंद,रणजीत तिवारी, सुभाष चंद्र, विनोद तिवारी, मनोज सोनी,अनिल विश्वकर्मा उर्फ मुंडे दास,अनिल अग्रहरि, गगन देव झा, दिनेश शर्मा, कृष्णानंद पांडे, श्याम चौधरी, ओम प्रकाश यादव, दिलीप पासवान, बबलू श्रीवास्तव, अंगद कुमार, ब्रह्मानंद सिंह, फुद्दू पांडे, किंतु पांडे, ओम प्रकाश, धनंजय भाई, और मुकुल तिवारी, मनीष पांडे, इस पवित्र स्थल के प्रचार-प्रसार में कुछ पत्रकार बंधुओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इनमें नरेंद्र नीरो, राहुल श्रीवास्तव, सतीश भाटिया, पी डी राय, मनमोहन शुक्ला, भोला दुबे, सत्येंद्र कुमार सिंह, शमशाद, और रामप्यारे सिंह शामिल हैं। बाद में कई अन्य सदस्य भी समिति में जुड़े, जिससे मंदिर की गतिविधियों को और बल मिला। बाबा भूतेश्वर दरबार सोनभद्र का एक ऐसा अद्वितीय स्थल है जहाँ आध्यात्मिक शांति, प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय सेवा का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। यह वास्तव में भक्तों की श्रद्धा, संतों की तपस्या और प्रकृति की देन का एक जीवंत प्रतीक है।

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