चोपन के सुखरा में नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र पर गंभीर आरोप ,बाल श्रम और घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल

निर्माण कार्य में लोगों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, कराई जा रही है नाबालिक लड़कियों से कार्य

चोपन के सुखरा में नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र पर गंभीर आरोप ,बाल श्रम और घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल

विकास खण्ड चोपन के प्राथमिक विद्यालय सुखरा के नव निर्मित आगंनबाड़ी केन्द्र बना चारागाह

अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/उत्तर प्रदेश-

 चोपन ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय सुखरा में नवनिर्मित आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण कार्य में नाबालिग लड़कियों से मजदूरी कराए जाने और घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल के गंभीर आरोप सामने आए हैं ।

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यह आरोप सीधे तौर पर ग्राम प्रधान और ग्राम सेक्रेटरी की मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं, जिससे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी उजागर होती है।यह बेहद चिंताजनक है कि एक ऐसे केंद्र के निर्माण में बाल श्रम का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसका उद्देश्य बच्चों के कल्याण और विकास को सुनिश्चित करना है.।

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सूत्रों के अनुसार सुखरा आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में कई नाबालिग लड़कियों को ईंट ढोने, गारा बनाने और अन्य निर्माण कार्यों में लगाया गया है. यह न केवल बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम का सीधा उल्लंघन है, बल्कि इन बच्चियों के शिक्षा के अधिकार और स्वस्थ बचपन को भी छीन रहा है। इन बच्चियों को स्कूल में होना चाहिए था न कि निर्माण स्थल पर काम करते हुए।

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आरोपों के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में घटिया किस्म की ईंटें, सीमेंट और अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य में इस्तेमाल की जा रही सामग्री मानकों के अनुरूप नहीं है, जिससे केंद्र की स्थायित्व और सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है।

सरकारी परियोजनाओं में घटिया सामग्री का उपयोग न केवल धन की बर्बादी है, बल्कि इससे बनने वाली संरचनाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। जिससे उनका जीवनकाल कम हो जाता है और भविष्य में मरम्मत पर अतिरिक्त खर्च आता है। इन गंभीर आरोपों के पीछे ग्राम प्रधान और ग्राम सेक्रेटरी की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

यह आरोप है कि इन दोनों की सांठगांठ से ही बाल श्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि वे निर्माण लागत में हेराफेरी कर सकें और सरकारी धन का दुरुपयोग कर सकें. यह स्थिति ग्रामीण विकास परियोजनाओं में जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है।इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से तत्काल इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है।

यह आवश्यक है कि बाल श्रम में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस परियोजना में मानकों का पालन किया जाए, ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए और यदि वे दोषी पाए जाते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की अनियमितताएं ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा डालती हैं ।और जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। यह मामला एक बार फिर यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर परियोजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है।

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