सोनभद्र में अवैध खनन का बेखौफ खेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल
अबैध खननकर्ताओं के हौसलें बुलंद , पत्रकार को मिली जान से मारने की धमकी
पुलिस और खनन विभाग की निष्क्रियता से पत्रकारों को मिल रही धमकी
विकास अग्रहरि ( संवाददाता)
ओबरा / सोनभद्र-
सोनभद्र जिले के जुगैल थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बरगवां में इन दिनों अवैध खनन का कारोबार अपनी चरम सीमा पर है। दिनदहाड़े और बिना किसी रोक-टोक के चल रहा यह गोरखधंधा न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि अब इसमें सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
चौरा बिजोरा से आगे, बरगवां गांव में नदी किनारे स्थित जटाशंकर बाबा मंदिर के समीप बड़े पैमाने पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे सरकारी राजस्व को भारी चूना लग रहा है और पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है।जानकारी के अनुसार, जिस बेखौफ तरीके से यह अवैध खनन चल रहा है, उससे स्पष्ट है कि खनन माफियाओं को न तो किसी कानून का डर है और न ही किसी प्रशासनिक कार्रवाई का भय। सूत्रों की मानें तो सब मिलजुलकर इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं, जो एक बड़े सवाल को जन्म देता है।
आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है? यह भी बताया जा रहा है कि दो दर्जन से अधिक लोडिंग वाहन लगातार अवैध बालू ठेकेदारों के यहां पत्थर पहुंचा रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि अवैध खनन सिर्फ खुदाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ढुलाई का भी एक बड़ा और संगठित नेटवर्क शामिल है।जिस तरह से दिनदहाड़े और खुलेआम यह अवैध खनन चल रहा है, वह स्थानीय पुलिस और खनन विभाग की निष्क्रियता को साफ तौर पर दर्शाता है।
आश्चर्य की बात यह है कि गांव में चौकीदार की मौजूदगी के बावजूद बड़े पैमाने पर नदी किनारे अवैध खनन हो रहा है। यह जांच का विषय है कि क्या प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, या फिर इस अवैध कारोबार में किसी प्रकार की मिलीभगत है।मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब एक स्थानीय पत्रकार ने न्यूज़ कवरेज के दौरान इस अवैध खनन को उजागर करने की कोशिश की। जानकारी के अनुसार, खनन माफियाओं ने पत्रकार से मोबाइल छीनकर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।
मौके पर मौजूद माफियाओं द्वारा वन विभाग के किसी अधिकारी को फोन लगाकर इस समस्या से अवगत कराने की बात कही जा रही थी। पत्रकार द्वारा प्राप्त इस जानकारी से वन विभाग की मिलीभगत की आशंका और पुष्ट होती है।यह घटना दर्शाती है कि सच्चाई को उजागर करने में पत्रकार अपनी जान को भी जोखिम में डालते हैं, और अक्सर अधिकारियों की मिलीभगत से माफियाओं द्वारा पत्रकारों के ऊपर जानलेवा हमला भी होता है। यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा है।
यह अवैध खनन न केवल उत्तर प्रदेश सरकार को अरबों रुपये के राजस्व का भारी नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है। चिंताजनक बात यह है कि सेंचुरी एरिया (संरक्षित क्षेत्र) में भी अवैध खनन किया जा रहा है, जो वन्यजीवों और उनके आवास के लिए विनाशकारी हो सकता है। नदी के किनारे हो रहे इस खनन से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे भूजल स्तर में गिरावट, मृदा अपरदन (मिट्टी का कटाव) और नदी के प्रवाह में बदलाव जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।स्थानीय ग्रामीणों में इस अवैध खनन को लेकर गहरा आक्रोश है।
उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है और उनके जीवन व आजीविका पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। ग्रामीण लगातार इस पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।यह अत्यंत आवश्यक है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से ले और तत्काल प्रभाव से अवैध खनन पर रोक लगाए। दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और इसकी गहन जांच की जाए कि इस अवैध कारोबार को किसका संरक्षण प्राप्त है, खासकर वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
पत्रकारों पर हुए हमले की भी तत्काल जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि पत्रकार निर्भीक होकर अपना कर्तव्य निभा सकें। सोनभद्र जैसे खनिज संपदा से भरपूर जिले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना समय की मांग है, ताकि इसके प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे बचाया जा सके।
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