पीएम,सीएम देश की विरासत–विकास को एक साथ बढ़ा रहे आगे –विजय दुबे
नपाध्यक्ष विनय जायसवाल द्वारा आयोजित राजमाता अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति सम्मेलन
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कुशीनगर। राजमाता अहिल्याबाई होलकर का जीवन इस बात का ज्वलंत प्रमाण है कि उन्होंने व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं और यहाँ तक कि गहरे निजी दुखों को भी परे रखकर, अपने संपूर्ण जीवनकाल में सदैव प्रजा के कल्याण और लोकहित को सर्वोपरि प्राथमिकता दी। लेकिन देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने हमें मुगलों के बाप दादाओं के बारे में बारे में पढ़ाया लेकिन भारतीय महानायकों के गौरवशाली इतिहास से महरूम रखा। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश की विरासत और विकास को एकसाथ आगे बढ़ा रहे हैं।
यह बातें सांसद विजय कुमार दूबे ने शुक्रवार को जलकल परिसर में पडरौना नगर पालिका द्वारा आयोजित अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति से अगाध प्रेम करने वाली पुण्य श्लोका राजमाता अहिल्याबाई का दृष्टिकोण अखिल भारतीय था।इसीलिए उन्होंने पूरे भारत में एक दृष्टि से निर्माण करवाए। बद्रीनाथ से रामेश्वरम और द्वारिका से काशी तक उन्होंने अनेक घाट, धर्मशालाएं, मंदिर इत्यादि बनवाए। काशी से बंगाल तक सड़क को पक्का करवाया। कई भग्न मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया। राजमाता अहिल्या ने राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं को लांघ कर भी पूर्ण शांति और सहमति के साथ अनेक निर्माण कार्य करवाए। यह भारत को जोड़ने की दिशा में उनकी ओर से किया गया महत्त्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने न केवल स्थापत्य का कार्य करवाया बल्कि भविष्य में भी सुचारू रूप से कार्य चलता रहे इसके लिए अग्रिम व्यवस्था कर दी। उनके द्वारा कराए गए निर्माण कार्य वास्तव में अंग्रेजों के षड्यंत्र के विरुद्ध हिंदू एकत्रीकरण के प्रयास भी थे। वह जानती थीं कि मंदिर सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र होते हैं। उनके इन प्रयासों से समाज में बड़े परिवर्तनों को गति मिली।
कार्यक्रम संयोजक व पडरौना नगर पालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल ने कहा कि सुशासन की प्रणेता और जनहित के कार्यों के कारण राजमाता अहिल्याबाई होलकर को लोकमाता की उपाधि मिली। उनके जीवन और कर्तव्य पथ से आज भी प्रेरणा मिलती है। उनका देश की सांस्कृतिक विरासत के साथ विकास में बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने सनातन संस्कृति को समृद्ध किया, उनका जीवन नारी शक्ति का प्रतीक है। उनके प्रशासनिक कार्य, समाज सुधार, भारतीय संस्कृति एवं विरासत के लिए किया गया उनका योगदान अविस्मरणीय है। कहा कि राजमाता अहिल्याबाई का व्यक्तिगत जीवन सरल और सुखद नहीं था और उन्होंने अपने परिवार के कई सदस्यों का आकस्मिक निधन देखा था, जिसमें उनका 22 वर्षीय पुत्र मालेराव, पति खंडेराव होल्कर और, पौत्र नत्थोवा होल्कर भी थे, फिर भी माता अहिल्याबाई ने अपने हृदय को विचलित नहीं होने दिया, और अपने कर्तव्य के निर्वहन में 26 वर्ष तक अपने राज्य का संचालन और लोक कल्याण किया।
सम्मेलन को नथुनी कुशवाहा,चमन यादव,सुनीता पाण्डेय ने भी सम्बोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पडरौना नगर मण्डल अध्यक्ष भुवनेश्वर त्रिपाठी तथा संचालन अनूप मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर बंका सिंह, विश्वरंजन कुमार आनन्द,मनीष जायसवाल बुलबुल, रामजीत चौहान, प्रमोद श्रीवास्तव, बबलू खरवार, सन्तोष मद्धेशिया, पीयूष सिंह, रामाश्रय गौतम,चन्दन जायसवाल, छोटेलाल, बिपिन सिंह, उत्तम चौहान, अनिल जायसवाल अविनाश सिंह,सौरभ सिंह, प्रवीण सिंह,अरुण कुशवाहा,भोली जायसवाल अब्दुल्ला,कयामुद्दीन, अमानतुल्लाह, नईमुद्दीन, संजय चौधरी, सोनु कुशवाहा, बलवन्त सिंह,करीम, श्याम साहा,सहित ब्रजेश शर्मा गौरव चौबे नीरज मिश्रा आलोक विश्वकर्मा आर्यन शर्मा भास्कर पाठक विनय पांडेय संतोष यादव विनय मद्धेशिया अरुण सिंह मानस मिश्रा मंथन सिंह अभय मारोदीया अशोक गुप्ता भगत यादव सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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