केंद्र कराएगा जल जीवन मिशन की जांच- पीएमओ ने नियुक्त किए नोडल अधिकारी

केंद्र कराएगा जल जीवन मिशन की जांच- पीएमओ ने नियुक्त किए नोडल अधिकारी

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट की जांच कराने का फैसला किया है. इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं, जो देश भर में मिशन की जांच निरीक्षण करेंगे. यह रिपोर्ट पीएमओ को सौंपी जाएगी।
 
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ (JJM) का लक्ष्य 2024 तक देश के हर ग्रामीण परिवार को नल से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना था. उत्तर प्रदेश में इस योजना को लागू करने के भले ही बड़े-बड़े दावे किए गए हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. योजना के प्रचार-प्रसार पर भारी रकम खर्च करने और आंकड़ों की हेराफेरी ने प्रधानमंत्री कार्यालय का ध्यान खींचा है. इस मिशन में होने वाली अनियमितताओं और गुणवत्ता से समझौता करने की शिकायतों के बाद PMO ने जांच के आदेश दे दिए हैं. इसके लिए नोडल अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है।
 
जल जीवन मिशन में अनियमितताओं और प्रगति में देरी की खबरों ने पीएमओ को हरकत में ला दिया है. 8 मई को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 135 जिलों में 183 योजनाओं के निरीक्षण के लिए 99 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का फैसला लिया गया. उत्तर प्रदेश में 18 योजनाओं की जांच होगी. इसमें संयुक्त सचिव और निदेशक स्तर के अधिकारी शामिल होंगे।
 
 
इन अधिकारियों को 23 मई को प्रशिक्षण दिया गया. इसमें निरीक्षण के मानकों की जानकारी दी गई है. PMO की ओर से यह सख्ती उस समय आई, जब 2 महीने पहले वित्त सचिव के नेतृत्व वाले पैनल ने मिशन के लिए प्रस्तावित 2.79 लाख करोड़ रुपए के बजट में 46% की कटौती का सुझाव दिया था. वित्त मंत्रालय ने कुछ राज्यों में कार्य अनुबंधों की लागत बढ़ाए जाने पर सवाल उठाए. उत्तर प्रदेश में भी टेंडर घोटाले और अधूरे प्रोजेक्ट्स की शिकायतें सामने आई हैं।
 
 
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ‘हर घर नल से जल’ योजना को लेकर बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया. सोशल मीडिया से लेकर होर्डिंग्स, बैनर और विज्ञापनों तक सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की है, कि ग्रामीण इलाकों में पाइपलाइन बिछाने और नल कनेक्शन देने का काम तेजी से हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में अब तक 2 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन (FHTC) दिए जा चुके हैं।
 
इतना ही नहीं प्रतिदिन 40 हजार से ज्यादा कनेक्शन देने का दावा भी किया जा रहा है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों से आ रही शिकायतें बताती हैं, कि कई जगह नल तो लगे हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं आता. जहां पानी आता है, वहां की गुणवत्ता संदिग्ध है. प्रदेश के मिर्जापुर, झांसी, और ललितपुर जैसे जिलों में पाइपलाइनों की खराब गुणवत्ता, अधूरे प्रोजेक्ट और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें आम हैं।
 
औरेया के जल जीवन मिशन को लागू करने में अफसरशाही का दबदबा इस कदर बढ़ा, कि जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह तक को हाशिए पर धकेल दिया गया. मिशन की प्रगति की समीक्षा बैठकों में नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव का प्रभाव साफ दिखता है. मिर्जापुर में धीमी प्रगति और शिकायतों पर स्वतंत्र देव सिंह ने कड़ा रुख अपनाते हुए कार्यदायी संस्थाओं ‘रामकी बाबा’ और ‘मेघा’ के कार्यों की जांच के आदेश दिए थे. उन्होंने गड़बड़ी पाए जाने पर दोषियों को जेल भेजने की चेतावनी भी दी थी, लेकिन इसका कुछ भी असर नहीं हुआ।
 
अब स्वतंत्र देव सिंह ने बुंदेलखंड और विंध्य के 9 जिलों का दौरा करके योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने की योजना बनाई है, क्योंकि मंत्री के गृह जनपद मिर्जापुर में भी कई प्रोजेक्ट्स की शिकायतें सामने आई हैं. इस दौरान वे गांवों का औचक निरीक्षण करेंगे और स्थानीय लोगों से फीडबैक लेंगे. हालांकि यह सवाल उठ रहा है, कि क्या यह दौरा केवल दिखावटी होगा या वास्तव में गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी?
 
 
जल जीवन मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन का दावा भी किया जा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 4.80 लाख से अधिक महिलाओं को पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. 1.16 लाख युवाओं को प्लंबिंग, इलेक्ट्रिशियन और पंप ऑपरेटर जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया है. ग्रामीण महिलाओं को पानी की शुद्धता जांचने की जिम्मेदारी दी गई है, जो 11 तरह के टेस्ट करती हैं. हालांकि कई गांवों में जांच के लिए जरूरी उपकरण और संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. इससे यह प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है.
 
 
 
 
 

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