सोनभद्र के डाला बाड़ी क्षेत्र में ब्लास्टिंग से ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त, सरकार से लगाई गुहार
डाला में ब्लास्टिंग का कहर टूटते घर, सूखते चापाकल और टूटता विश्वास-ग्रामीण सरकार से आस लगाए
डाला बाड़ी में ब्लास्टिंग से लोगों में आक्रोश
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जिले के डाला बाड़ी क्षेत्र में चल रही बेतहाशा भारी ब्लास्टिंग ने स्थानीय ग्रामीणों का जीवन दूभर कर दिया है। खनन गतिविधियों के कारण हो रही इन विस्फोटक क्रियाओं से न केवल ग्रामीणों के घरों में गहरी दरारें आ गई हैं, जिससे मकानों की नींव कमजोर पड़ रही है, बल्कि हाल ही में आए तूफान में कई घर क्षतिग्रस्त होकर तहस-नहस हो गए, जिसका सीधा कारण इन दरारों को बताया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों ने मीडिया के समक्ष अपना गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए खनन अधिकारी और खनन कार्य में संलिप्त लोगों पर गंभीर आरोप लगाए। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हो रही ब्लास्टिंग से न केवल उनके आशियानों को क्षति पहुंच रही है, बल्कि भूजल स्तर भी तेजी से नीचे गिर रहा है, जिससे कई चापाकल सूख गए हैं और पानी का संकट गहराता जा रहा है।
शांति देवी, जायत्री देवी और रामदुलारी जैसी कई बुजुर्ग महिलाओं ने दर्दनाक अनुभव साझा करते हुए बताया कि ब्लास्टिंग के दौरान उनके घरों की खिड़कियां और दरवाजे इस कदर कंपन करते हैं, जैसे कोई बड़ा भूकंप आ गया हो। इस भयावह स्थिति से बच्चे और बुजुर्ग लगातार भयभीत रहते हैं।
ग्रामीणों का दर्द इस बात से भी गहरा है कि जहां वे वर्षों से सुकून भरी जिंदगी जी रहे थे, वहीं अब उन्हें वर्तमान भाजपा सरकार में ब्लास्टिंग की इस विकट समस्या से जूझना पड़ रहा है। उनकी प्रमुख मांग है कि खनन क्षेत्र घनी आबादी और गांवों से कई किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किए जाने चाहिए, जबकि वर्तमान में खदानें रिहायशी इलाकों के बेहद करीब संचालित हो रही हैं।
ग्रामीणों ने सरकार की नीतियों पर भी तीखे सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार खदानों की लीज देते समय केवल अपने राजस्व पर ध्यान केंद्रित करती है और खनन व्यवसायी को मनमाने तरीके से खनन करने की छूट दे देती है, लेकिन उन गरीब परिवारों के टूटे घरों की भरपाई कौन करेगा, जिन्होंने पाई-पाई जोड़कर अपना सपनों का मकान बनाया है। उनका आरोप है कि खनन व्यवसायी भारी ब्लास्टिंग कर घरों और जीवनदायिनी जल स्रोतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ग्राम वासियों ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि एक ओर जहां सरकार सरकारी आवास योजना और हर घर नल योजना के तहत लोगों को छत और पानी की सुविधा प्रदान करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय खनन अधिकारी और खनन व्यवसायी कथित मिलीभगत से भारी ब्लास्टिंग करवा कर इन घरों और सुविधाओं को जानबूझकर क्षति पहुंचा रहे हैं।
ग्रामीणों ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, हम गरीबों का कौन सुनेगा। जब वोट लेने का समय होता है, तब तमाम वादे किए जाते हैं और कहा जाता है कि हर दुख-सुख में आपके साथ खड़ा रहूंगा, मगर जीतने के बाद नेता हिमालय के कंदराओं में जाकर खो जाते हैं और ग्राम वासियों को भूल जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कई सालों से चली आ रही इस रीति-रिवाज ने अब किसी भी सरकार पर भरोसा करने की उम्मीद खत्म कर दी है।
ग्रामीणों ने सरकार से पुरजोर मांग की है कि खनन क्षेत्रों में हो रही भारी ब्लास्टिंग पर तत्काल ध्यान दिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सरकारी योजनाओं के तहत मिली सुविधाओं को कोई नुकसान न पहुंचे। उनकी मांग है कि खनन की लीज केवल ऐसे क्षेत्रों में दी जाए जो एकांत हों और घनी आबादी से पर्याप्त दूरी पर स्थित हों।

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