जिलाधिकारी सोनभद्र ने अल्ट्राटेक सीमेंट पर प्लास्टिक जलाने से दुर्गंध फैलने की शिकायत का लिया संज्ञान, जांच के आदेश
जिलाधिकारी ने अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड को बोर्ड द्वारा जारी सहमति विस्तृत रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का दिया आदेश
अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट डाला का मामला
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र/उत्तर प्रदेश-
जिलाधिकारी बी.एन. सिंह ने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों और प्लास्टिक जलाए जाने से दुर्गंध फैलने की शिकायत को गंभीरता से लिया है। खबरों में मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड (यूनिट: डाला सीमेंट वर्क्स) द्वारा बाहर से कचरा मंगवाकर जलाने और इससे दुर्गंध फैलने तथा वातावरण प्रदूषित होने का उल्लेख किया गया था।
मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।इस क्रम में, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आर.के. सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया है कि मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड को वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 (यथासंशोधित) के तहत सहमति प्रदान की गई है। इस सहमति में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि उद्योग में अनुबंधित ईंधन के अतिरिक्त किसी भी प्रकार का अन्य ईंधन, जैसे गीला कूड़ा कचरा, नहीं जलाया जाएगा। साथ ही, ऐसे किसी भी ईंधन का उपयोग नहीं किया जाएगा जिससे दुर्गंध उत्पन्न होती हो।
अपनी प्रारंभिक जांच के आधार पर, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने पाया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड द्वारा जानबूझकर ईंधन के रूप में गीला कूड़ा कचरा जलाया जा रहा है, जिसके कारण आसपास के लोगों को दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है।जिलाधिकारी ने मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड (यूनिट, डाला सीमेंट वर्क्स) को सख्त निर्देश दिया है कि वे उद्योग में अनुबंधित ईंधन के अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार के ईंधन का प्रयोग तत्काल बंद करें।
उन्हें यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उद्योग का संचालन इस प्रकार किया जाए जिससे आसपास के लोगों को दुर्गंध और किसी अन्य प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।इसके अतिरिक्त, जिलाधिकारी ने अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड को बोर्ड द्वारा जारी सहमति (जल एवं वायु) के अनुपालन की विस्तृत रिपोर्ट, फोटोग्राफ्स सहित, एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। ऐसा न करने की स्थिति में, उद्योग को जारी सहमति (जल एवं वायु) को रद्द करने और शिकायत का संतोषजनक समाधान न होने पर उद्योग के विरुद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने की संस्तुति की जाएगी।जिलाधिकारी के इस त्वरित और सख्त कार्रवाई से क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
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