राधे राधे इंटरप्राइजेज पर अवैध खनन का गंभीर आरोप, मानक को ताक पर रखकर रात्रि में किया जा रहा है अवैध खनन।
भारी मशीनों का धड़ल्ले से उपयोग कर मानक से ज्यादा निकाला जा रहा बोल्डर, जांच की दरकार।
सुरक्षा मानकों के अभाव में दिनरात चल रहा खनन का खेल।
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
ओबरा क्षेत्र में राधे राधे इंटरप्राइजेज द्वारा संचालित खनन पट्टा संख्या 5006 लगातार विवादों के घेरे में है। इस फर्म पर न केवल खनन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है, बल्कि नई खदान में असुरक्षित तरीके से 'बैंज' बनाकर काम करने और रात्रि में बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी रखने के भी गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे यह क्षेत्र मजदूरों के लिए 'मौत का कुआं' साबित हो रहा है।
आरोप है कि 3.400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस खनन पट्टे, जिसकी अवधि 16 दिसंबर 2022 से 15 दिसंबर 2032 तक है, पर नियमों को ताक पर रखकर रात के अंधेरे में भी खनन कार्य धड़ल्ले से चल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार शनिवार की रात लगभग 8:28 बजे भी खनन क्षेत्र में अवैध रूप से काम जारी था, जबकि सरकारी नियमों के अनुसार रात्रि में खनन पूर्णतः प्रतिबंधित है।
इसके बावजूद, खदान में तेज गति से काम हो रहा है, जो सीधे तौर पर सरकारी नियमों का उल्लंघन है। सबसे भयावह स्थिति यह है कि ऊंचे-ऊंचे चट्टानों के नीचे कई पोकलेन मशीनों का संचालन रात्रि में भी किया जा रहा है, जिससे कभी भी गंभीर दुर्घटना घट सकती है। रात्रि के अंधकार में पहाड़ी चट्टानों के ढहने का खतरा हमेशा बना रहता है, जिससे वहां काम कर रहे मजदूरों और ऑपरेटरों की जान खतरे में पड़ सकती है।
इसके अतिरिक्त, ऊंचे और खतरनाक चट्टानों पर चढ़कर कंप्रेसर मशीनों से ड्रिलिंग की जा रही है, जो सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत जोखिम भरा है। नई खदान में 'बैंज' बनाकर काम करना भी सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी है। आरोप है कि खनन स्थल पर कंप्रेसर ऑपरेटर से लेकर साधारण मजदूर और पोकलेन ऑपरेटर तक सभी रात्रि कालीन खनन कार्य में शामिल हैं।
यह सरकार द्वारा निर्धारित खनन नियमों की खुली अवमानना है। इस गैरकानूनी गतिविधि से न केवल कर्मचारियों की सुरक्षा दांव पर लगी है, बल्कि पर्यावरण और आसपास के क्षेत्र के लिए भी यह हानिकारक साबित हो सकता है। स्थानीय सूत्रों का यह भी कहना है कि रात्रि में यदि कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित होती है, तो उसे दबा दिया जाता है। पट्टा धारक कथित तौर पर चंद रुपयों के लालच में मजदूरों से रात में जोखिम भरा काम करवा रहे हैं, जो सीधे तौर पर दुर्घटनाओं को चुनौती देना है।
स्थानीय लोगों का यह भी गंभीर आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में रात के समय बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। उनका मानना है कि इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियां प्रदेश के मुखिया की छवि को खराब करने की साजिश का हिस्सा हो सकती हैं।खनन क्षेत्र तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता भी बेहद संकरा और चढ़ाई वाला है।
इस पतले मार्ग पर दिन-रात ओवरलोड टिपर वाहनों की आवाजाही बनी रहती है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका और भी बढ़ जाती है। स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि पट्टा धारक दिन और रात में निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक पत्थर निकालकर सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस गंभीर मामले में संबंधित उच्च अधिकारियों को तत्काल हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है, ताकि अवैध खनन को तुरंत रोका जा सके और खनन क्षेत्र में सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके। ऊंचे चट्टानों के नीचे और नई खदान में असुरक्षित तरीके से रात्रि में खनन कार्य जारी रखना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह कभी भी एक बड़ी मानवीय त्रासदी का कारण बन सकता है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
खनन क्षेत्र में जगह-जगह कुकुरमुत्ते की तरह कंप्रेसर मशीनें दिखाई दे रही हैं, जहां सुरक्षा और संरक्षा का नामोनिशान नहीं है। आरोप है कि खनन माफिया चंद रुपयों के लालच में निरीह मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं और इस क्षेत्र को 'मौत का कुआं' बना रहे हैं, जहां रात में कई पोकलेन मशीनें धड़ल्ले से काम कर रही हैं।

Comment List