धर्मवीर सिंह के प्रयास से 17अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा कालका गढ़ी गांव का स्थापना दिवस 

पर्यावरण की शुद्धि तथा संतुलन के लिए वृक्षारोपण का खास महत्व है। गांव का स्थापना दिवस मनाने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है।

धर्मवीर सिंह के प्रयास से 17अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा कालका गढ़ी गांव का स्थापना दिवस 

स्वतंत्र प्रभात
नई दिल्ली।
 
किसी व्यक्ति के जन्मदिन को मनाए जाने की बात तो आम हैं, परंतु किसी गांव की स्थापना दिवस मनाने की परंपरा दिल्ली में पहली बार कालका गढ़ी विकास परिषद के अध्यक्ष धर्मवीर सिंह द्वारा शुरू किया गया।
 
यह एक बेहतर एवं अनुकरणीय प्रयास है। इसके पीछे श्री सिंह का मकसद गांव से जुड़े लोगों को स्थापना दिवस पर बुलाकर आपस में भावनात्मक लगाव बढ़ाना तथा जन सहयोग से गांव की समस्याओं के समाधान के लिए सामंजस्य स्थापित करना है।
 
इसमें बिना भेदभाव के सभी राजनीतिक दलों के लोग आरडब्ल्यूए,मार्केट एसोसिएशन तथा अन्य गणमान्य लोग भी आते हैं तथा पूरे हर्षो उल्लास के माहौल में कालका गढ़ी गांव की स्थापना दिवस मानते हैं। वैदिक रीति रिवाज से सुबह हवन यज्ञ तदउपरांत वृक्षारोपण किया जाता है।
 
यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वर्ष 2014 में गांव की स्थापना दिवस को मनाने का आह्वान किया था। कालका गढ़ी गांव अपने आप में एक मिनी भारत है, जहां देश के विभिन्न भागों से आए हुए विभिन्न संप्रदाय भाषा एवं रहन-सहन के लोग रहते हैं।
 
इस परंपरा की शुरुआत कालका गढ़ी विकास परिषद के अध्यक्ष धर्मवीर सिंह ने वर्ष 2000 में की थी। उनका मानना है कि पूरे देश में लगभग 7 लाख गांव है लोगों को इन गांवों का स्थापना दिवस मनाना चाहिए।
 
उनके बच्चे देश के किसी और भाग में रहते हो तो उन्हें भी उस अवसर पर आने और गांव के बारे में जानने का मौका प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि नानाजी देशमुख एवं अन्ना हजारे के विचारों से प्रभावित होकर उनके मन में गांव का जन्मदिन मनाने की बात आई।
 
श्री सिंह चाहते हैं कि भविष्य में के जी सेना डेवलपमेंट के माध्यम से इस गांव के आसपास आने वाले अन्य गांवों को भी जोड़कर जन भागीदारी से उसके सर्वांगीण विकास के लिए योजना बनाई जाए और इन्हें एक बाउंड्री में लाया जाए। श्री सिंह का यह बेहतर प्रयास है और इसमें सभी लोगों का पूरा सहयोग मिलता है।
 
उनके इस अनुकरणीय प्रयास का दिल्ली के अन्य गांव में भी अनुकरण हो रहा हैं। स्थापना दिवस मनाने के बाद सभी के बीच प्रसाद वितरण की भी परंपरा चलती आई है।

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