सांध्य कालीन न्यायालय का जमकर विरोध करे अधिवक्ता-राकेश शरण मिश्र

संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने अधिवक्ताओं से इस प्रस्ताव के विरोध करने की अपील किया

सांध्य कालीन न्यायालय का जमकर विरोध करे अधिवक्ता-राकेश शरण मिश्र

सांध्य न्यायालय होने से अधिवक्ताओं पर कार्य का अत्यधिक बोझ, अधिवक्ताओं के स्वास्थ पर पड़ेगा प्रतिकूल असर

राजेश तिवारी ( क्राइम ब्यूरो) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश -

विगत दिनों केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सेवा निवृत न्यायधीशों एवम कर्मचारियों द्वारा सांध्य कालीन न्यायालय के स्थापना और संचालन हेतु उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल का प्रस्ताव अधिवक्ता संघों एवं अधिवक्ता के सुझाव हेतु देश के भर के बार एसोसिएशन में भेजे जाने पर संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए देश के अधिवक्ताओं से इसका जमकर विरोध करने की अपील की है।

श्री मिश्र ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि सांध्य कालीन न्यायालय हो जाने से अधिवक्ताओं पर कार्य का अत्यधिक बोझ पड़ेगा जिससे उनके स्वास्थ पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एक अधिवक्ता 10 बजे न्यायालय पहुंचने के लिए कम से कम सुबह 9 बजे अपने घर से तैयार होकर निकलता है और देर शाम न्यायालय से खाली होकर 6 बजे तक अपने घर पहुंचता है और फिर थोड़ी देर आराम करके फिर दूसरे दिन लगने वाले मुकदमों की तैयारी में जुट जाता है ऐसे में उसके पास आराम करने और सोन का समय बड़ी मुश्किल से मिलता है।

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लेकिन जब सांध्य कालीन न्यायालय चलने लगेगा जिसका समय 5 बजे शाम से रात्रि 9 बजे तक रखा गया है तो ऐसे में विचारणीय प्रश्न है कि आखिर अधिवक्ता कब अपने घर पहुंचेगा और कब अपने चैंबर का कार्य करेगा और कब आराम करेगा और कब सोएगा। सांध्य कालीन न्यायालय चलने से एक अधिवक्ता घर से सुबह 9 बजे न्यायालय के लिए निकलेगा और रात्रि 10 बजे थका हारा घर पहुंचेगा तो वो अगले दिन की तैयारी कब करेगा।

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इसके अलावा घर के भी बहुत से रोजमर्रा के कार्य होते हैं जिसे अधिवक्ता शाम घर लौटने के बाद कुछ समय निकाल कर के करता है पर जब न्यायालय रात्रि में 9 बजे बंद होगा तो अधिवक्ता रात्रि 10 बजे घर पहुंचेगा और तब किसी भी अधिवक्ता द्वारा ना घर का कोई कार्य हो पाएगा और ना ही अगले दिन के मुकदमे का। इसलिए संयुक्त अधिवक्ता महासंघ उत्तर प्रदेश सांध्य कालीन न्यायालय का पुरजोर विरोध करता है और देश प्रदेश के अधिवक्ता संघों और अधिवक्ता साथियों से भी केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का जमकर विरोध करने की अपील करता है।

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