विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस: एक निष्पक्ष और पारदर्शी बाजार की ओर
हर व्यक्ति उपभोक्ता है, चाहे वह किसी भी वर्ग, व्यवसाय या स्थान से जुड़ा हो। हम जो पहनते हैं, जो खाते हैं, जो सेवाएँ लेते हैं—हर चीज़ हमें उपभोक्ता बनाती है। लेकिन क्या हर उपभोक्ता अपने अधिकारों से परिचित है? क्या उसे यह पता है कि उसे बाजार में क्या मिलना चाहिए और क्या नहीं? यदि नहीं, तो यह जागरूकता कब और कैसे आएगी? इन्हीं सवालों के समाधान के लिए हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है, ताकि हर उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझे, उनके लिए आवाज उठाए और निष्पक्ष व पारदर्शी बाजार व्यवस्था की माँग करे।
वर्ष 2025 के लिए इस दिवस की थीम "स्थायी जीवनशैली के लिए एक न्यायोचित परिवर्तन" तय की गई है। यह केवल एक विषय नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को एक नई दिशा में सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करने का अवसर है। आज दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे में यह ज़रूरी हो गया है कि उपभोक्ता उन उत्पादों और सेवाओं को प्राथमिकता दें, जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ हों। बाजार में भी यह सुनिश्चित किया जाए कि उपभोक्ताओं को ऐसे विकल्प उपलब्ध कराए जाएँ जो किफायती, सुरक्षित और दीर्घकालिक लाभ देने वाले हों।
लेकिन उपभोक्ताओं को केवल उनके अधिकारों के बारे में बताना ही पर्याप्त नहीं है। असल समस्या यह है कि आज भी लाखों लोग अपने अधिकारों के प्रति अनजान हैं। उन्हें पता ही नहीं कि अगर उन्हें कोई खराब गुणवत्ता का उत्पाद मिलता है, या उन्हें किसी सेवा में धोखा दिया जाता है, तो वे कहाँ और कैसे शिकायत कर सकते हैं। कई बार, लोग शिकायत करने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे कुछ बदलाव नहीं होगा। यही मानसिकता व्यापारिक अनियमितताओं को बढ़ावा देती है।
बाजार में हर दिन कई उपभोक्ता गलत जानकारी, भ्रामक विज्ञापनों, मिलावटी उत्पादों और अनुचित कीमतों का शिकार होते हैं। डिजिटल युग में ऑनलाइन धोखाधड़ी, डेटा चोरी और नकली उत्पादों का चलन बढ़ गया है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जागरूक होना और अपने अधिकारों की रक्षा करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। भारत में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू किया गया है, जिसमें उपभोक्ताओं को सुरक्षा, सूचना, सुनवाई, शिकायत निवारण और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार दिया गया है। लेकिन कानून तभी प्रभावी होंगे, जब उपभोक्ता स्वयं सतर्क और जागरूक बनेंगे।
इस वर्ष, उपभोक्ता अधिकारों को लेकर वैश्विक स्तर पर एक नई दिशा में पहल की जा रही है। कंज्यूमर्स इंटरनेशनल और इसके सदस्य संगठनों द्वारा टिकाऊ जीवनशैली को अपनाने और इसे सरल व सुलभ बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यदि उपभोक्ता अपनी खरीदारी की आदतों में बदलाव लाएँ, तो वे न केवल अपने स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक के बजाय पुन: उपयोग किए जाने वाले उत्पादों को अपनाना, जैविक खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देना और अनावश्यक उपभोग से बचना, ये सभी टिकाऊ जीवनशैली की ओर सकारात्मक कदम हो सकते हैं।
लेकिन यह बदलाव तभी संभव है, जब उपभोक्ता स्वयं जिम्मेदारी उठाएँ। हर उपभोक्ता का यह कर्तव्य है कि वह अपने क्रय-विक्रय के फैसलों को सोच-समझकर ले। कोई भी वस्तु खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जाँच करें, प्रमाणित विक्रेताओं से ही खरीदारी करें और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या अनुचित व्यवहार का सामना करने पर उचित मंच पर शिकायत दर्ज कराएँ। उपभोक्ताओं को सतर्क रहना होगा, क्योंकि जब उपभोक्ता जागरूक होंगे, तभी कंपनियाँ भी अधिक उत्तरदायी बनेंगी और बाजार में अनुचित व्यापारिक प्रथाओं पर अंकुश लगेगा।
यह दिन केवल एक जागरूकता अभियान तक सीमित नहीं है। यह एक संकल्प लेने का अवसर है कि उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति सजग रहेंगे और अपने निर्णयों को ज़िम्मेदारी के साथ लेंगे। यदि हर व्यक्ति अपने अधिकारों को समझेगा और टिकाऊ जीवनशैली को अपनाएगा, तो निश्चित रूप से एक न्यायसंगत, पारदर्शी और पर्यावरण-अनुकूल बाजार व्यवस्था का निर्माण होगा।
यह केवल एक दिन की बात नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। उपभोक्ता अधिकार केवल व्यक्तिगत सुरक्षा की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की बेहतरी से जुड़ा हुआ विषय है। जब उपभोक्ता अपने अधिकारों को पहचानेंगे, जब वे अनुचित व्यापारिक नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएँगे और जब वे टिकाऊ विकल्पों को अपनाएँगे, तब जाकर सही मायनों में एक संतुलित, न्यायसंगत और सशक्त उपभोक्ता संस्कृति का निर्माण होगा।
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