गुवाहाटी विश्वविधालय में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत से नेपाल की जड़ें एक परिप्रेक्ष्य, गुरु मत्स्यंद्रनाथ ,शीर्षक विषय पर आयोजित दो दीवशीय सेमीनार का सफल समापन।
सेमीनार में भारत एवं नेपाल के,शोधकर्ता,वरिष्ठ लिखक ,साहित्यकारो ने लिया भाग।
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असम धेमाजी। असम के गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पहल मैं दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत से नेपाल की जड़ें एक परिप्रेक्ष्य, गुरु मत्स्यंद्रनाथ शीर्षक विषय पर चर्चा अनुष्ठान विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया। सुबह 10 फरवरी सुबह 11बजे मंगलदीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन करते हुए गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्राचार्य ड. ननी गोपाल महंत ने स्वागत भाषण में उन्होंने बताया की असम,भारत के साथ नेपाल की धार्मिक भावनाओं से गुरु मत्स्यंद्रनाथ ने जो संबंध स्थापन किया है वह स्वाशत है ओर रहेगा जो की हमारी आनेवाले पीड़ी के विधार्थियो को इस चर्चा अनुष्ठान से फायदा मिलेगा।
समारोह नेपाल के ललितपुर मेट्रोपालियां सिटी का मेयर बाबू महाराजन ने आपनी भाषण में कहा कि गुरु मत्स्येंद्रनाथ को लेकर तथ्यचित्र के जरिए भारत- नेपाल के साथ गुरु मत्स्यंद्रनाथ की धार्मिक भावनाओं के साठ योग मार्ग के बारे में दर्शाया गया। चर्चाअनुष्ठान में संमानित अथिति के रूप में माजुली सांस्कृत विश्वविद्यालय के सेवा निवृत प्राचार्य डॉ. धंबरूधर नाथ ने, कामरूप कामाख्या से लेकर नेपाल तक की गुरु मत्स्येंद्रनाथ का यात्रा के उपर अपनी शोध किया गया दस्थाबेजो से धार्मिक, आध्यात्मिक ओर योग तंत्र के बारे में लंबी भाषण दिया जो की परवर्ती काल में उनके शिष्य गुरु गोरोखनाथ ने हठ योग, आसन प्राणायाम आदि को विस्तार रुप दिया। दुपहर की टेक्निकल सेशन में भारत एवं नेपाल की कोई जानेमाने साहित्यकारों ने गुरु मत्स्यंद्रनाथ के विभिन्न बिशय पर लंबी चर्चा करते हुए दिखाई दी।

आज अंतिम दिन के कार्यक्रम में गुवाहाटी विश्वविधालय के असमिया विभाग के सहायक प्रोफ़ेसर प्रफुल्ल कुमार नाथ ने गुरु मत्स्यंद्र नाथ ओर उनके रहस्यवादी दर्शन कौलामार्ग के उपर चर्चा किया। वही नेपाल के जयपु समाज याला के अध्यक्ष संतमन महाराजन ने नेपाल के काठमांडू सहर में कैसे आज भी मत्स्येंद्रनाथ की मणिचंद्र रथ यात्रा निकाली जाती है इसके उपर चर्चा की।
आज की अनुष्ठान में असम के लखीमपुर टी टी एन महाविधालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रभक्ता डॉ मुकुल नाथ,डॉ निर्मल नाथ, ने मत्स्येंद्र नाथ और योग दर्शन के बारे में बिस्थरित चर्चा की गई अनुष्ठान में
मंगलदई के इतिहासकार डॉ लोकेश्वर नाथ, गोरेश्वर महाविद्यालय के प्रवक्ता दीपिका नाथ,
समाज सेवक पंकज डेका, असम प्रदेश नाथ योगी सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन नाथ, नाथ साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ हर कुमार नाथ,सचिव हिरण्य नाथ, नाथ साहित्य के सलाहकार प्रसांत नाथ, लिकख साहित्यिक डॉ अरुण कुमार बोरा अमंत्रित डॉ खोगेन बोरा, शिलांग से प्रो डॉ पराग दास, डॉ गार्गी सैकिया महंत, अलंग कुमार नाथ,सहित वरिष्ठ लोगों ने अपनी अपनी निर्धारित विषय पर चर्चा किया।

इस अनुष्ठान के जरिए नाथ धर्म, आध्यात्म, योग मार्ग के चर्चा एवं असम के हर जिले से नाथ समाज के लोगों की उपस्थिति और इसका महत्व को अनुधावन कर संरक्षण करना असम एवं भारत के आने वाले पीड़ी एवं नाथ समाज के लिए एक महत्पूर्ण चर्चा अनुष्ठान के रुप में माना जा रहा है।
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