इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी को रोशडेल पायनियर अवार्ड (अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड ) से किया गया सम्मानित
इफको फूलपुर में खुशी लहर।
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स्वतंत्र प्रभात।
ब्यूरो प्रयागराज।
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता समिति आइसीए की ओर से मंगलवार को जब इफको के प्रबंध निदेशक, सीईओ डा. उदय शंकर अवस्थी को रोशडेल पायनियर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया तो इफको फूलपुर में खुशी की लहर दौड़ गई। कर्मचारियों अधिकारियों ने एक दूसरे को बधाई दी। इफको फूलपुर के कार्यकारी निदेशक संजय कुदेशिया ने बताया कि आज भारतीय सहकारी समितियों की न केवल सहकार शक्ति पूरी दुनिया में यशस्वी हुई बल्कि यह इफको परिवार के लिए भी गौरवशाली क्षण है। इस पुरस्कार से भारत की आठ लाख सहकारी समितियों के साथ उनसे जुड़े लोग अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे है।
बता दें कि आइसीए बोर्ड ने साल 2000 में रोशडेल पायनियर्स अवार्ड की स्थापना की। यह पुरस्कार किसी उस व्यक्ति या सहकारी संगठन को दिया जाता है जिसका अभिनव अभूतपूर्व और वित्तीय रूप से टिकाऊ सहकारी गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान हो । ये गर्व की बात है कि पहला पुरस्कार 2001 में श्वेतक्रांति के जनक भारत के डॉ वर्गीस कुरियन को दिया गया। 23 वर्षों की रिक्ति को भरते हुए डॉ अवस्थी दूसरे भारतीय है।सहकारिता के प्रति समर्पित डॉ अवस्थी इफको को उर्वरक उद्योग में वैश्विक अगुआ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह पुरस्कार मंगलवार को भारत मन्डपम नई दिल्ली में प्रधान किया गया जिसका 105 देशों के प्रतिनिधि साक्षी बने।

इस उपलब्धि पर इफको फूलपुर में जश्न का माहौल है। आल इंडिया इफको आफिसर्स फेडरेशन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी, इफको फूलपुर अधिकारी संघ के अध्यक्ष अनुराग तिवारी, महामंत्री स्वयं प्रकाश, कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज पांडेय, महामंत्री विजय यादव, एचआर प्रमुख शंभू शेखर अधिकारियों कर्मचारियों ने एक दूसरे को बधाई दिए। बताया कि रोशडेल पायनियर सम्मान हर इफको कर्मचारी की निजी उपलब्धि है।
अवस्थी जी को सम्मानित किया जाना आठ लाख सक्रिय सहकारी समितियों वाले अपने भारत देश का भी सहकारी आंदोलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उल्लेख और रेखांकन है । आज भारतीय सहकारी समितियों की न केवल सहकार शक्ति पूरी दुनिया में यशस्वी हुई , यह इफको महा परिवार के लिए भी गौरव का महान क्षण है । आज इफको वैश्विक परिवार का हर सदस्य, इफको कर्मयोगी होने की अपनी महान उपलब्धि पर आत्मगौरव महसूस होरहा है ।
बता दें कि. आइसीए बोर्ड ने साल 2000 में ' रोशडेल पायनियर्स अवार्ड 'की स्थापना की 2001 में यह सम्मान भारत के डॉ. वर्गीस कुरियन , 2003 में फ़्रांसिस्को लुइस जिमेनेज़ आर्किला ( कोलंबिया ), लॉयड विल्किन्सन ( यूके ) , 2005 में हंस डाहलबर्ग ( स्वीडन ) , येहुदा पाज़ ( इज़राइल ), इयान मैकफर्सन ( कनाडा ) , 2007 में एस्तेर गिचेरू ( केन्या ) , प्रो. उंगकू ए. अज़ीज ( मलेशिया ) , फ्रांसिस्को सेबालो हेरेरो (स्पेन ) , 2009 में इवानो बारबेरिनी ( इटली ) , 2011 में ली जोंग-कू ( कोरिया ) , पीआर. फ्लोरेंसियो एगुइया विलासेनोर ( मेक्सिको ) , 2012 में रॉबर्टो रोड्रिग्स ( ब्राजील ) , 2013 में प्लंकेट फाउंडेशन ( यूनाइटेड किंगडम ) , 2015 में डेम पॉलीन ग्रीन (यूनाइटेड किंगडम) , 2017 में जोस कार्लोस गुइसादो (स्पेन) , 2019 में हॉवर्ड ब्रॉडस्की और किम ब्योंग-वोन ( संयुक्त राज्य अमेरिका और कोरिया गणराज्य ) को मिला था ।
बता दें कि इफको को विश्व की सबसे बड़ी किसान सहकारी संस्था के शीर्ष तक ले जाने का पूरा श्रेय डा. उदय शंकर अवस्थी जी को है। डा. यू.एस. अवस्थी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ( बीएचयू ) से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं । 1967 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने कोटा में श्रीराम केमिकल इंडस्ट्रीज के साथ काम करना शुरू किया । उन्होंने लगभग तीन साल तक उनके साथ काम किया और फिर 1971 में गोवा के जुआरी एग्रो-केमिकल में शामिल हो गए ।
डॉ यू.एस. अवस्थी तब इफको और कृभको के साथ परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में शामिल थे । इन परियोजनाओं में 1976 से 1986 तक आंवला और हजीरा परियोजनाओं का निर्माण शामिल था । 1986 में, वे पाइराइट्स, फॉस्फेट्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (पीपीसीएल) के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष बने । अप्रैल 1991 से मार्च 1992 तक, उन्हें राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया ।
1993 में डॉ. अवस्थी इफको में प्रबंध निदेशक हुए । अपने समर्पित कार्यकाल के दौरान, उन्होंने इफको को उर्वरक उद्योग में वैश्विक अगुआ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उनके मार्गदर्शन में संगठन ने निरंतर विकास देखा है । इसके अलावा, डॉ. अवस्थी की ही बनाई ओमिफ्को (ओमान इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी) ने भारत को ओमान से आयात के मामले में 23,000 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद की। उन्होंने इफ्को को दुनिया भर में सत्रह सहायक कंपनियों में विविधीकृत करने में भी अहम योगदान दिया है ।
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