कानपुर रेल हादसा, क्या हो सकती है आतंकी साज़िश ?

कानपुर रेल हादसा, क्या हो सकती है आतंकी साज़िश ?

रेल हादसे का नाम सुनते ही सभी का शरीर कांपने लगता है। और कानपुर में जो अभी हाल ही में दो रेल हादसे हुए हैं। इनमें किसी आतंकी साज़िश से इन्कार नहीं किया जा सकता। टेक्निकल दुर्घटना अलग बात है लेकिन जानबूझकर जिस तरह से यह प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर सख्त कार्रवाई करनी होगी और जब दोषी पकड़ में आ जाए तो उसको ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो अपराधियों/आतंकियों के लिए एक नज़ीर बने। कानपुर में एक माह में दो बड़े रेल हादसे करने की कोशिश की गई है। लेकिन गनीमत यह रही कि ड्राइवरों की सतर्कता से को जन हानि नहीं हुई। कानपुर में पहला रेल हादसा गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन के पास 17 अगस्त 24 को हुआ था जब कोई चीज़ बड़ी तेजी से इंजन से टकराई और साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में लोगों को मामूली चोटें आईं। और यात्रियों को किसी तरह उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। उसकी जांच चल रही है लेकिन उसमें कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस पर शक किया जा सके।
 
अभी परसों कानपुर फर्रुखाबाद रेल खंड पर शिवराजपुर रेलवे स्टेशन के पास कालिंदी एक्सप्रेस को जिस तरह से डिरेलमेंट या कहिए उड़ाने की कोशिश की गई ये वास्तव में एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है। रेल ट्रेक पर गैस सिलेंडर रखा हुआ था। जब तक ड्राइवर उनको देख पाता और इमरजेंसी ब्रेक लगा पाता तब तक इंजन गैस सिलेंडर से टकरा गया। और गैस सिलेंडर क्षतिग्रस्त होकर दूर गिरा। केवल इतना ही नहीं था रेल ट्रैक के पास पेट्रोल भरी बोतल, माचिस और कुछ बारुद भी पाई गई। जो कि यह संदेह कर रही है कि यह कोई बहुत बड़ी दुर्घटना करने की शाजिस थी। लेकिन ड्राइवर की पैनी नजर ने पहले ही उसे देख लिया और इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। हालांकि इमरजेंसी ब्रेक लगाने से लोगों को तेज झटके लगे लेकिन एक बड़ी दुर्घटना होने से कालिंदी एक्सप्रेस के ड्राइवर ने बचा लिया। साबरमती के ड्राइवर की जितनी तारीफ की जाए कम ही है। जिन्होंने बहुत से लोगों की जिंदगी बचा ली।
 
इसकी जांच बड़ी गहराई से हो रही है केन्द्र और राज्य सरकार की सभी जांच एजेंसियां इस काम में लग गईं हैं। और संदेह के आधार पर दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे गहनता से पूछ-ताछ हो रही है। देश की जितनी भी खुफिया एजेंसियां हैं वो एलर्ट हो गईं हैं। क्यों कि एक के बाद एक दुर्घटना करने की कोशिश वो भी एक ही शहर में। इसका मतलब यही निकला जाना चाहिए कि जो ऐसी हिमाकत कर रहा है वह यहीं इसी शहर में छिपा है। भारतीय रेलवे यातायात का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है। सस्ता होने के साथ साथ यह आरामदायक भी है। भारत में प्रतिदिन लगभग ढाई करोड़ लोग रेल से यात्रा करते हैं। जो कि कई देशों की कुल आबादी से भी अधिक है। भारतीय रेलवे दुनियां की चौथी सबसे बड़ी रेलवे है। इसकी कुल लंबाई 68426 किलोमीटर है। रेलवे भारत का सबसे बड़ा सर्विस सेक्टर है। पहले भारत में रेलवे का बजट अलग से पेश किया जाता था लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने इसको आम बजट से जोड़ दिया ताकि देश को अलग अलग बजट न बनाना पड़े।
 
भारतीय रेल की सुरक्षा के लिए रेलवे की अपनी पुलिस आरपीएफ है जब कि राज्यों की पुलिस को भी जीआरपी के तहत सुरक्षा के लिए लगाया जाता है। लेकिन इस तरह की रेल डिरेलमेंट करने की खौफनाक तस्वीरें जब सामने आतीं हैं तो दिल दहल जाता है। इतने लंबे रेल नेटवर्क पर हर जगह सुरक्षा कर पाना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन फिर भी कोई न कोई ऐसी तकनीक तो विकसित करनी होगी जिससे हम इन आतंकियों की मंशा पर पानी फेर सकें। फ़िलहाल हमारी जितनी जांच एजेंसियां हैं वो काम पर लगीं हैं और उम्मीद है कि इनके मास्टरमाइंड को शीघ्र ही पकड़ा जाएगा।
 
कानपुर कमिश्नरेट पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से प्रयास रत है और बाहर की जांच एजेंसियों की सहायता कर रहा है और हमें उम्मीद है कि यदि यह कोई आतंकी संगठन है तो हमारी एजेंसियां शीघ्र ही इसका खुलासा करेंगी। भरा सिलेंडर कोई भी व्यक्ति हाथों से ज्यादा दूरी तक नहीं ला सकता इसके लिए जरुर किसी वाहन का प्रयोग किया होगा। आस पास के कई किलोमीटर के एरिया में सीसीटीवी कैमरों को खंगाल कर उनकी मदद ली जा सकती है। फ़िलहाल सरकार ने इसकी जांच के लिए छै टीमों का गठन किया है और वह हर एंगल से इसकी जांच में लगीं हैं यदि यह कोई आतंकी घटना है तो छोटी बात नहीं है। इसका खुलासा जल्द से जल्द करना चाहिए।
 
इसका खुलासा करने के लिए एनआईए की टीम आ रही है। एसआईटी के गठन की भी बात की जा रही है। वहां जो संदिग्ध पाउडर जिस झोले में मिला है उस झोले में कन्नौज के एक मिष्ठान भंडार का नाम छपा है। पुलिस ने उस मिष्ठान भंडार का सीसीटीवी डीवीआर अपने कब्जे में ले लिया है। माचिस पर जिस फर्म का नाम प्रिंट है, यह भी देखा जा रहा है कि यह माचिस किस एरिया में ज्यादा चलती है। पुलिस इस घटना को कतई हल्के में नहीं ले रही है। और हर एंगल से अपराधियों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। क्या साबरमती एक्सप्रेस घटना और कालिंदी एक्सप्रेस घटना में एक ही कनेक्शन है इस पर भी जांच हो रही है। उम्मीद है हमारी जांच एजेंसियों को जल्द ही सफलता प्राप्त होगी। और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
 
जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

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