अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा बनी हॉट सीट
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अयोध्या को लोग श्रीराम की नगरी के रूप में जानते हैं लेकिन जब से लोकसभा चुनाव का परिणाम आया है लोग अयोध्या को एक अलग रुप में देखने लगे हैं। इतना भव्य राममंदिर निर्माण के बाद भी भारतीय जनता पार्टी अयोध्या लोकसभा सीट हार गई। और जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को हराया है वो हैं मिल्कीपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक अवधेश प्रसाद। चूंकि अवधेश प्रसाद सांसद बन गये हैं इसलिए उनको मिल्कीपुर विधानसभा सीट छोड़नी पड़ी है। आगामी समय में उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है उनमें एक सीट अयोध्या की मिल्कीपुर भी है। जहां से अवधेश प्रसाद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एक लाख से अधिक मतों से जीत प्राप्त की थी।
इसलिए मिल्कीपुर का यह उपचुनाव इतना आसान नहीं होने वाला है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी हर हाल में यह सीट जीत कर अयोध्या की लोकसभा चुनाव में हुई हार की भरपाई करना चाहती है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक सप्ताह में दो बार मिल्कीपुर का दौरा कर चुके हैं। वहां की परिस्थितियों को समझ रहे हैं और मिल्कीपुर की स्थानीय संगठन से संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही यह इशारा कर दिया था कि इस बार उप चुनाव में प्रत्याशियों का चयन बहुत ही सोच समझ कर किया जाएगा। इस सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसलिए सबसे ज्यादा ध्यान मिल्कीपुर सीट पर ही दिया जा रहा है।
अवधेश प्रसाद की बात करें तो वह बहुत ही सीनियर नेता हैं वह नौ बार वहां से विधायक रह चुके हैं। पहले यह सीट सोहावल ( एससी ) के नाम से थी। सोहावल विधानसभा सीट से अवधेश प्रसाद 1977, 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, और 2007 में विधायक रह चुके हैं। उसके बाद परिसीमन के बाद यह सीट मिल्कीपुर ( एससी ) विधानसभा सीट हो गई। यहां से भी अवधेश प्रसाद ने 2012 और 2022 में विधानसभा चुनाव जीता। और 2022 वाला विधानसभा चुनाव उन्होंने एक लाख मतों के अंतर से जीता था। अब भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही है। जिससे कि अयोध्या लोकसभा सीट की हार की टीस को कम किया जा सके।
अयोध्या हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। हार का सारा ठीकरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर फोड़ा जा रहा था। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश में जो हार हुई है वह अति आत्मविश्वास के कारण हुई है, उधर इस हार के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी योगी सरकार को घेरना शुरू कर दिया था और यह तक कह दिया था कि सरकार से बड़ा संगठन होता है लेकिन भारतीय जनता पार्टी हाईकमान की बैठकों के दौर के बाद मामला कुछ शांत हुआ है। लेकिन अभी भी खबर यही है कि उत्तर प्रदेश भाजपा में कुछ बड़ा जरुर होगा। राजनैतिक विश्लेषक के मानें तो अभी मामला उपचुनाव तक शांत कर दिया गया है लेकिन उप चुनाव के बाद भाजपा आलाकमान कुछ बड़े निर्णय ले सकती है। इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रादेशिक मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।
भारतीय जनता पार्टी आलाकमान के लिए उत्तर प्रदेश एक बड़ा विषय बन गया है। यह निश्चित है कि उत्तर प्रदेश के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनावों में झटका लगा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत के प्रतिशत में भी गिरावट आई है। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ छेड़छाड़ भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ सकती है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी हर क्षेत्र में पीछे रह गई है। और अब जब प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं तो उनमें से पांच सीटें ऐसी हैं जो समाजवादी पार्टी के विधायकों के सांसद बनने पर रिक्त हुई हैं और वह सपा का गढ़ माना जाता है। कल प्रदेश के दूसरे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक मैनपुरी पहुंचे थे।
मैनपुरी में करहल विधानसभा सीट के लिए भी उपचुनाव होना है। करहल विधानसभा सी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सांसद बन जाने के बाद रिक्त हुई है और करहल से समाजवादी पार्टी कभी भी नहीं हारी है क्योंकि वहां का जातीय समीकरण ऐसा है जो किसी दूसरे दल को जीतने नहीं देता। मैनपुरी में जब पत्रकारों ने ब्रजेश पाठक से यही सवाल किया कि सपा के गढ़ में आप कैसे जीत हासिल कर सकेंगे तो उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब गढ़ किसी के नहीं बचे हैं। लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि करहल विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी की मज़बूत सीट है और यहां पहले भी अन्य राजनैतिक दल कई प्रयास कर चुके हैं। यादव बाहुल्य करहल सीट पर यादव और मुस्लिम का समीकरण बहुत अच्छा है। और इटावा मैनपुरी में यादव अधिकांश समाजवादी पार्टी को ही वोट करता है।
उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतना भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही आवश्यक हो गया है। क्यों कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में नंबर वन की पोजीशन पर आने के बाद अब समाजवादी पार्टी 2027 की तैयारियों में जुट गई है। अखिलेश यादव यदि उप चुनाव में अपनी सीटें बचाने में कामयाब हो जाते हैं तो यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। जब कि भारतीय जनता पार्टी दसों विधानसभा सीटों को जीतने का दम भर रही है और उसने एक एक विधानसभा सीट पर तीन तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाया है। जो अपने अपने क्षेत्रों में जाकर अच्छे उम्मीदवार की तलाश में लग गए हैं। मिल्कीपुर विधानसभा सीट एससी कोटे की सीट है तो यहां भारतीय जनता पार्टी एक अच्छे प्रतिष्ठित एससी नेता की तलाश में लग गई है। मिल्कीपुर में प्रभारी नियुक्त करने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस सीट पर नजर लगाए हैं।
क्यों कि अयोध्या में हार भारतीय जनता पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। आज अयोध्या की देश दुनियां में जो पहचान है वह भारतीय जनता पार्टी के कारण ही है। और भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव में अयोध्या को अपना मुद्दा बनाती है। अयोध्या की पहचान आज विश्व पटल पर है। राम मंदिर मुद्दा भारतीय जनता पार्टी का अचूक मुद्दा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की सभाओं में राम मंदिर का नाम न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। आज भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी है और उसमें अयोध्या का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जान चुके हैं कि केवल अयोध्या और हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता इसके लिए प्रत्याशियों का चयन भी बहुत मायने रखता है।
जितेन्द्र सिंह पत्रकार
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