अपने ही बच्चों को मौत के घाट उतार रहे मां-बाप!
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अभी शनिवार को दिल्ली के मुंडका इलाके में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक महिला ने अपनी नौ दिन की मासूम बेटी की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस हत्या में इस्तेमाल चाकू बरामद कर लिया है। 22 साल की आरोपी महिला ने पूछताछ में खुलासा किया है कि वह बच्ची नहीं चाहती थी, इसलिए उसने उसे मार दिया। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। पिछले कुछ महीनों में नजर डालें तो लगातार एक के बाद एक ऐसी वारदातों की झड़ी लगी है जिनमें स्वयं माता या पिता ने अपने ही कुलदीपकों को बुझा दिया और उनके खून से हाथ रंग लिए।
आपको कुछ ऐसी ही दिल दहलाने वाली वारदातों का हवाला देते हैं बीती 24 अप्रैल यूपी के अलीगढ़ से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई ।जहां एक मां ने अपने दो मासूम बेटों को जहर देकर मार डाला। वहीं,खुद भी जहर खाकर जान देने का प्रयास किया लेकिन वह बच गई। उसकी हालत गंभीर बनी थी । उसे एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। एक बच्चे के शव को पुलिस नेपोस्टमार्टम के लिए भेजा है। वहीं तीन माह के बच्चे का शव परिजनोंने दफना दिया। परिजन इस घटना को छिपा रहे थे लेकिन पुलिस को जानकारी मिल गई।
वहीं 26 मई को मुंबई के मेघवाड़ी से दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई , जहां 15 महीने के एक बच्चे को पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी गई है। मेघवाड़ी पुलिस ने एक कपल को गिरफ्तार कर लिया है जो लिव इन रिलेशनशीप में रह रहा था। पुलिस ने 15 महीने के बच्चे की हत्या और अपहरण के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया । कोर्ट ने दोनों अभिभावकों को पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। मृतक की पहचान राजेश राणा 28 साल और बच्चे की मां रिंकी दास 23 साल की है। मूल रूप से दोनों ओडिसा के निवासी हैं।
आपको याद होगा कि 10 जनवरी24 को बेहद सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ था बेंगलुरु की एआई डेटा वैज्ञानिक सूचना सेठ पर उत्तरी गोवा के एक होटल में अपने चार वर्षीय बेटे की हत्या कर दी। उसने पिछले साल अगस्त में अपने पति और बच्चे के पिता पीआर वेंकट रमन के खिलाफ घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था। पिता ने अदालत में दंपति की तलाक की कार्यवाही के दौरान लगाए गए आरोपों से इनकार किया था।
4 अप्रेल यमुनानगर के एक इलाके में एक महिला ने कथित तौर पर अपने एक महीने के बेटे की हत्या कर दी। नवजात का शव यमुनानगर की शिवपुरी-बी कॉलोनी स्थित महिला के घर में पड़ा मिला। गांधी नगर पुलिस ने कहा कि बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम आज मुकंद लाल जिला सिविल अस्पताल, यमुनानगर में किया गया।
9 अप्रेल को रायगढ़ में एक विवाहिता ने पांच और 3 साल के दो बच्चों को मार डाला। 10 दिन बाद पुलिस ने मां को पकड़ा, बोली- 'प्रेमी के लिए किया' रायगढ़ पुलिस ने एक 25 साल की महिला को गिरफ्तार किया। महिला ने हत्या की बात कबूल की।
28 जून औरैया जिले में एक महिला ने अपने 3 बच्चों की हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया। पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी महिला के चचेरे देवर से संबंध थे। देवर ने उन्हें स्वीकार करने और खर्चा उठाने से मना कर दिया गया था। इस वजह से महिला अपने 4 बच्चों को लेकर नदी किनारे पहुंचीं और 2 को पानी में डुबोकर गला दबाकर की हत्या कर दी। तीसरे छोटे बच्चे को पानी में फेंक दिया था। इस वजह से 3 बच्चों की मौत हो गई थी। लेकिन चौथे बच्चे ने मरने का नाटक करते हुए अपनी जान बचाई। वहीं, पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए 3 बच्चों की हत्यारिन मां और उसके चचेरे देवर को गिरफ्तार किया।
26 जून पिता के लिए उसका बच्चा कलेजे का टुकड़ा होता है बिहार के पटना में एक पिता ने अपने ही दो साल के बेटे की हत्या करने के बाद शव को घर से दूर फेंक दिया. सूचना मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने बच्चे का शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. इसके साथ ही बच्चे की मां के बयान पर आरोपी पिता को गिरफ्तार किया। हाल ही में 10 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने दो मासूम नवजात बच्चियों की हत्या मामले में फरार चल रहे पिता को गिरफ्तार किया है. घटना का पता तब चला था जब आरोपी का साला उनके घर आया. आरोपी की पत्नी उस वक्त मायके में थी. उसे भनक भी नहीं थी कि उसके पति ने बड़ी ही बेरहमी से अपनी दो बेटियों को मार डाला. आरोपी पिता बच्चियों को मार डालना चाहता था.
इसलिए उसने बच्चियों को दो दिन तक दूध की बूंध भी नहीं पिलाई. भूखे रहने के कारण मासूमों की मौत हो गई. चुपचाप दोनों बच्चियों के शवों को दफना दिया। साले को जीजा पर शक हुआ. उसने पुलिस को इस बारे में बताया. तब पुलिस ने आरोपी के पिता को गिरफ्तार किया. उन्होंने सारा राज उगल दिया. बताया कि उनका बेटा नीरज सोलंकी दोनों बच्चियों के पैदा होने से नाखुश था. वह बेटा चाहता था. इसलिए वो पहले हरियाणा के रोहतक गया. वहां उसकी पत्नी पूजा का मायका है. नीरज के साथ उसकी मां और बहन भी गई। वो लोग वहां से दोनों बच्चियों को दिल्ली ले आए. पूजा वहीं मायके में ही रही. लेकिन यहां आकर नीरज ने दो दिन तक दोनों नवजात बच्चियों को भूखा प्यासा रख मार दिया।
इसी साल 25 जनवरी को हरिद्वार में हर की पैड़ी पर तंत्र-मंत्र के चक्कर में फंसकर एक मां ही अपने बच्चे की हत्यारिन बन गई है। इस खबर को सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक तांत्रिक के चक्कर में पड़कर एक मां ने गंगा में डुबोकर अपने बच्चे को ही मार डाला। तांत्रिक ने कहा था हरिद्वार में गंगा की लहरों में बच्चे को डुबकी लगवाने से बच्चे का ब्लड कैंसर ठीक हो जाएगा। मां ने तांत्रिक की बात सुनी और बच्चे को हरिद्वार में गंगा की डुबकी लगाने लगी जिससे बच्चे की मौत हो गई।
ये सारी वारदात समाज में बढ़ते व्यभिचार हिंसा और अपनी ही संतान से खत्म हो रही ममता को बयान कर रहीं हैं वहीं कलियुग में इंसान के भीतर पनप रही हैवानियत और पाशविकता का भी जीता जागता उदाहरण हैं।सबसे दुखद पहलू यह है कि अपने ही जिगर के टुकड़ों की हत्या कर उनके खून से हाथ रंगने वाले लोग एक संपन्न सीईओ से लेकर शिक्षित और सम्पन्न होने के बावजूद ऐसे घृणित अपराध को अंजाम दे रहे हैं। यदि एक शिक्षित उच्च या मध्यम वर्गीय जीवन शैली में रहने वाले परिवार के लोग मासूमों का इस बेदर्दी से कत्ल कर रहे हैं तो यह अशिक्षित या टोने-टोटके को मानने वाले पिछड़े समाज के किसी सदस्य के द्वारा किए गए इस तरह के अपराध से अधिक संगीन और वीभत्स हो जाता है।
इस सबके बावजूद ऐसी वारदातों की लंबी श्रृंखला है और यह लगातार बढ़ रही है अपनी ही संतान का कत्ल करने की इस मानसिकता के पनपने के पीछे कौन से घटक जिम्मेदार है? एक पशु पक्षी भी अपने अबोध बच्चों की दाना पानी और सुरक्षा करता है लेकिन विकास विज्ञान प्रौद्योगिकी और तकनीक के तमाम संसाधन जुटाने के बाद भी इंसान इस तरह हिंसक क्यों हो रहा है? ज्यादातर घटनाओं के लिए आकस्मिक उत्तेजना, विवाहेत्तर संबंध,पति-पत्नी के बीच अविश्वास,झगड़े व अंधविश्वास और अवसाद, मानसिक तनाव, नशा और हिंसक व पौर्न फिल्म देखना आदि जिम्मेवार है।
सवाल यह है कि आखिर हम यह कैसे समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसमें एक सामान्य परिवार के युवा पति पत्नी अपनी ही संतान की जान लेने से भी नही चूकते। ऐसा वातावरण कैसे निर्मित हो रहा है। तमाम धार्मिक प्रवचन मंदिर मस्जिद गुरूद्वारा चर्च व धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में संस्कार व सदाचार की शिक्षा के बावजूद हमारे समाज में यह पतन का सिलसिला जारी है। यह समाज शास्त्रियों के लिए भी घोर चिंतन और चिंता का विषय बना हुआ है। क्योंकि इस तरह के अपराध हमारे तमाम मानवीय मूल्यों पर
सवालिया निशान लगा रहे हैं।
मनोज कुमार अग्रवाल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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