अदालत ने फैसला दिया न्याय की टूटी आस! 

अदालत ने फैसला दिया न्याय की टूटी आस! 

चार जून को मेडिकल प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने के बाद जिस तरह की गड़बड़ियों अनियमितताओं  हेराफेरी पेपर लीक होने के मामले एक के बाद एक सामने आए वह इस देश की सबसे महत्त्वपूर्ण मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के लिए कई जा रही परीक्षा की शुचिता पर सवालिया निशान खड़ा करती है वरन यह कहना अधिक उचित होगा कि तमाम खामियां उजागर हो गयी हैं लेकिन बहुत विनम्रता और देश की न्यायिक व्यवस्था में पूरी आस्था व सम्मान रखते हुए पूरी जिम्मेदारी के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान प्रदत्त अधिकार के तहत निवेदन करता हूं कि नीट परीक्षा में तमाम गड़बड़ी मनमानी अव्यवस्था और विभिन्न एजेंसियों की जांच के दौरान सामने आए तथ्यों को दरकिनार कर देश की सर्वोच्च अदालत ने जिस तरह का निर्णय दिया वह नितांत निराशा और न्याय की अवधारणा को चोटिल करने वाला प्रतीत होता है। 
 
आपको बता दें कि नीट यूजी परीक्षा में करीब 24 लाख अभ्यर्थियों भागीदारी की इस परीक्षा में व्यापक गड़बड़ी और अव्यवस्था देखने को मिली यहां तक कि निर्धारित तिथि से दस दिन पहले चुनाव परिणाम के आपाधापी भरे माहौल में नीट का रिजल्ट घोषित कर मेन स्ट्रीम के ध्यान से बचाव करने की कोशिश की गई। नीट के अभी तक के इतिहास में 720 में से 720 अंक हर साल सिर्फ एक या दो अभ्यर्थी ही ला पाते थे लेकिन इस बार के नीट में 67 छात्रों ने फुल मार्क्स लाकर चौका दिया। चार जून को रिजल्ट घोषित होने के बाद नीट परीक्षा में कई गई कारगुजारियों की पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि हरियाणा के एक ही परिक्षा केंद्र ने 720 में से 720 लाने वाले छह टापर दिए इतना ही नहीं दो ढाई हजार किलोमीटर दूर से आकर कुछ अभ्यर्थियों ने अपने ईचछित परिक्षा केंद्र पर परीक्षा दी इतना ही नहीं एक रिसाॅर्ट किराए पर लेकर परीक्षा की पहली रात कुछ अभ्यर्थियों को पेपर हल कराया गया और जांच एजेंसी ने पेपर लीक किए गए पेपर की अधजली प्रति बरामद करने में भी सफलता हासिल की। तमाम गड़बड़ी की जांच की शुरुआत बिहार से हुई. पटना पुलिस ने परीक्षा में हुई धांधली की जांच की शुरुआत की. पटना पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की और 11 मई को पेपर लीक माले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया.मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को आयोजित नीट-यूजी 2024 में गड़बड़ियों का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा.सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक समेत अन्य दूसरी गड़बड़ियों के आधार पर नए सिरे से दोबारा से परीक्षा कराने वाली याचिका पर 11 जून को केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को सुनवाई के दौरान कहा कि NEET-UG 2024 परीक्षा के संचालन में किसी की तरफ से लापरवाही हुई हो, लेकिन इससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए.विवाद के बीच केंद्र सरकार ने 22 जून को एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार को हटा दिया और परीक्षा में हुई धांधली की जांच CBI को सौंप दी. 23 जून को CBI ने मामले में पहली FIR दर्ज की। 23 जून को अधिकारियों ने बताया कि नीट-यूजी में पहले ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1,563 उम्मीदवारों में से 813 ने दोबारा परीक्षा दी.27 जून को नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की. सीबीआई ने पटना से नीट पेपर लीक मामले के आरोपी मनीष प्रकाश और आशुतोष को गिरफ्तार किया.1 जुलाई को एनटीए ने संशोधित परिणाम घोषित किया. जिसके बाद परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 67 से 61 हो गई। 
 
सीबीआई देशभर में लगातार इस मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ और छापेमारी की गई । केंद्रीय एजेंसी ने नीट यूजी पेपर लीक केस में पटना एम्स के चार मेडिकल छात्रों को भी हिरासत में लिया है. पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल के मुताबिक सीबीआई एम्स से चार स्टूडेंट्स से पूछताछ कर रही है। इन पर सॉल्वर के तौर पर काम करने का आरोप है। यही नहीं जांच में पता चला है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जमशेदपुर (झारखंड) के 2017 बैच के सिविल इंजीनियर पंकज कुमार उर्फ ​​​​आदित्य ने कथित तौर पर हजारीबाग में एनटीए ट्रंक से नीट-यूजी पेपर चुरा लिया था. सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि सात लोगों को प्रश्नपत्र हल करने का काम सौंपा गया था. इन सात लोगों को लगभग 45 मिनट में 25-25 प्रश्न हल करने का काम सौंपा गया था. अब तक ‘सॉल्वर मॉड्यूल’ के पांच लोगों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया है।
 
पंकज हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया चौथा शख्स है. सीबीआई ने इससे पहले ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल अहसानुल हक, वाइस प्रिंसिपल इम्तियाज आलम और एक स्थानीय पत्रकार जमालुद्दीन को यहीं से गिरफ्तार किया था. इस दौरान जांच टीम ने स्कूल में तलाशी ली थी सबूत इकट्ठा किए थे। नीट परीक्षा में गड़बड़ी को ले कर दोबारा परीक्षा पूरी शुचिता के साथ सम्पन्न कराने की मांग को लेकर 40 याचिका दायर की गई। यहां बता दें कि हर छात्र सक्षम नहीं होता है कि वह वकीलों को लाखों की फीस अदा कर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की गुहार करे। चालीस याचिकाकर्ता देश की सबसे बड़ी अदालत से न्याय मांगने पहुंचे। माननीय चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप हमें संतुष्ट करिए कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर हुआ और परीक्षा रद्द होनी चाहिए।अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 24 जुलाई को तमाम ज‌द्दोजहद और कानूनी कार्रवाईयों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा दोबारा नहीं करने का आदेश दिया है।
 
यहां बता दें कि शुरू से ही सरकार का रवैया नीट धांधली को छिपाने और किसी भी तरह पर्दा डालकर प्रतिष्ठा बचाने का रहा क्योंकि सरकार पहले से ही करीब 60 प्रवेश व भर्ती परीक्षाओं में पेपरलीक व गड़बड़ी धांधली के आरोपों से घिरी है। लेकिन उम्मीद थी कि सबसे बड़ी अदालत दूध का दूध पानी का पानी करेगी लेकिन अदालत ने अपने विवेक से सरकारी एजेंसियों की चल रही कई प्रदेश में पेपरलीक संबधी तमाम जांच सबूत और गिरफ्तारियों के बावजूद याचिकाकर्ताओं से व्यापक गड़बड़ी होने के सबूत मांग कर अपनी प्रतिबद्धता और प्राथमिकता साफ कर दी। जिस मामले में बिहार झारखंड समेत कई प्रदेश में करीब पचास गिरफ्तारी की गई हैं और जांच में जला प्रश्नपत्र भी मिला है इससे अधिक सबूत बेचारे छात्र या उनके अभिभावक या अधिवक्ता कहाँ से जुटाएं? वह कोई जांच एजेंसी नहीं है न ही उनके पास किसी तरह की जांच फोर्स है।
 
सरकार दोबारा नीट नहीं कराना चाहती थी अदालत ने पेपरलीक होने के बावजूद बहुत व्यापक प्रभावित होने का सबूत न होने का हवाला देते हुए दोबारा नीट परीक्षा कराने से इंकार कर दिया। देश की संस्थाओं के क्षरण के जो आरोप समय समय पर लग रहे हैं उनके लिए इसी तरह के फैसले जिम्मेदार हैं। जो मानते हैं कि बेशक दूध में मक्खी गिरी थी लेकिन बड़े पैमाने पर हैजा फैलने का कोई सबूत नहीं है इस लिए इसी दूध को इस्तेमाल किजिए।  देर सवेर सारी जांच ठंडे बस्ते में डाल कर गिरफ्तार आरोपी भी रिहा हो जाएंगे। मेहनती छात्रों के कुछ हिस्से को जरूर गड़बड़ी वाले अभ्यर्थी लूट ले गए। काश अदालत दोबारा पूरी शुचिता के साथ परीक्षा सम्पन्न करा छात्रों की न्याय में अवधारणा मजबूत करती तो बेहतर होता।
मनोज कुमार अग्रवाल 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) 

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