संसद भवन परिसर से स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को शिफ्ट करने को लेकर भडका विपक्ष
स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा स्पीकर का कहना है कि मूर्तियों को हटाया नही गया है,बल्कि शिफ्ट किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही जगह पर सभी मूर्तियों होने से लोगो को महान हस्तियों-शख्सियतों के बारे में जानने में आसानी होगी। दरअसल पहले महात्मा गांधी और डाॅ.आंबेडकर की मूर्तियां संसद भवन परिसर में प्रमुख स्थानों पर थी।यहां विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए इक्ट्ठा होते थे। इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश का आरोप है कि मूर्तियां शिफ्ट करने का मुख्य कारण यह सुनिश्चित करना है कि महात्मा गांधी और आंबेडकर की मूर्तियां संसद भवन के ठीक सामने किसी प्रमुख स्थान पर ना हो। ताकि सांसद जरूरत पडने पर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन ना कर सके।
सरकार का अपना नजरिया है कि सभी मूर्तियों को प्रेरणा स्थल में शिफ्ट किया गया है।जो पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय भवन के बीच लाॅन में स्थित है।यह पूरे साल विजिटरों के लिए खुला रहेगा। इसे देखने वाले लोग राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को जान सकेंगें।संसद परिसर के बाहरी लाॅन में बी आर अंबेडकर,महात्मा गांधी,महात्मा ज्योति फूले,छत्रपति शिवाजी महाराणा प्रताप हेमू कालोनी,महात्मा बसवेश्वर, कित्ता रानी चन्नाम्मा,मोतीलाल नेहरू,महाराज रणजीत सिंह,दुर्ग मल्ल,बिरसा मुण्डा,राजर्षि छत्रपति साहू,चौधरी देवी लाल जैसी विभूतियों की प्रतिमाए हैं।

स्पीकर ओम बिरला के मुताबिक नए संसद भवन के निर्माण कार्य के दौरान महात्मा गांधी,मोती लाल नेहरू,और चौधरी देवी लाल की प्रतिमा को परिसर के अंदर अन्य स्थानों पर ले जाया गया।प्रेरणा स्थल पर प्रतिमाओं के चारो तरफ लाॅन और उधान बनाए गए है ताकि विजिटर आसानी से उन्हें श्रध्दांजलि दे सके। और क्यूआर कोड का उपयोग करके जानकारी प्राप्त करके उनके जीवन से प्रेरणा ले सके। बता दें कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड ने ओम बिरला राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ,केंद्रीय मंत्री क्रेन रिजिजू,अश्विन वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल,और एम मुरुगन की मौजूदगी में प्रेरणा स्थल का उद्धाटन किया था।

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