देश के प्रमुख मंदिरों में उड़ेंगे मथुरा कारागार में बना ’इकोफ्रेंडली गुलाल’

-हर्बल गुलाल बनाने में जुटे मथुरा जिला कारागार के बंदी

देश के प्रमुख मंदिरों में उड़ेंगे मथुरा कारागार में बना ’इकोफ्रेंडली गुलाल’

 स्वतंत्र प्रभात 
मथुरा। होली पर्व पर जिला कारागार मथुरा में बना इको फ्रेंडली गुलाल देशभर के प्रसिद्ध मंदिरों में उड़ाया जाएग। मथुरा जेल में कैदी तन्मयता से हर्बल गुगाल बनाने में जुटे हैं। मथुरा जिला कारागार अधीक्षक ब्रजेश कुमार ने बताया कि जिला कारागार से हर्बल गुलाल पिछली बार काशी विश्वनाथ में भेजा गया था। इस बार काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या के श्रीराम मंदिर, बरसाना के राधारानी मंदिर, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को भेजा जा रहा है। इसमें प्रत्येक मंदिर में एक डलिया भेजी जाएगी, जिसमें 200 ग्राम के 11 पैकेट होंगे।

कौशल विकास कार्यक्रम के तहत कैदियों में जीवन यापन का हुनर विकसित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। गुलाल बनाना भी इसी के तहत बंदियों को सिखाया गया है। बंदी गुलाल के अलाव ठाकुर जी की पोशाक भी बना रहे हैं। जिला कारागार अधीक्षक ने बताया कि विगत वर्ष बिक्री कम हुई थी। इस बार अधिक आमदनी हो सकती है। लोक अदालत में इस बार 38 हजार रुपये का गुलाल बिका है जबकि पिछली बार 18 हजार का गुलाल बिका था। इस बार यह निश्चित तौर पर इससे अधिक होगी। जेल को कुछ संस्थाओं से भी आर्डर मिल सकते हैं। लगातार इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि बंदियों के द्वारा बनाये गए प्रोडक्ट को अधिक से अधिक मार्केट मिल सके।

कैसे बनता है हर्बल गुलाल
गुलाल को चार प्रकार में बनाया जा रहा है। जिसे चुकंदर, गाजर, पालक और हल्दी से तैयार किया जाता है। जो पालक से गुलाल तैयार होता है उसका रंग हरा होता है, चुकंदर से गहरा लाल, गाजर से गुलाबी और हल्दी से पीला गुलाल बनाया जाता है। इन सभी गुलाल में चमक के लिए फूड कलर का भी कुछ प्रयोग किया जा रहा है।  

महंगा नहीं है हर्बल गुलाल
यह गुलाल बेहद सुरक्षित है बावजूद इसके जेल में बंदियों द्वारा बनाये जा रहे गुलाल की कीमत अधिक नहीं है। 100 ग्राम हर्बल गुलाल 20 और 200 ग्राम का पैकेट 30 रुपये में मिल जाता है। जेल से कोई भी आम व्यक्ति भी इस गुलाल की खरीदारी कर सकता है।


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