ट्रांसफर के भी बाद रिलीव नहीं करने का चल रहा खेल, थानेदार और कुछ इंस्पेक्टर नहीं छोड़ रहे जगह..
स्वतंत्र प्रभात
गोण्डा :
सरकार ने इस आदेश पर पहले ही सर्कुलर जारी करते हुए संबंधित अफसरों को एकतरफा रिलीव करने का आदेश जारी किया है पर इसके बाद भी इन अफसरों को विभागों ने रिलीव नही किया।सरकार ने विभागों में किसी भी अफसर की पदस्थापना के अधिकतम तीन साल का नियम तय किया है।यह अवधि गुजर जाने के बाद इंस्पेक्टर और थानेदार को सरकार के स्थानांतरण आदेश से तय जगहों पर जाना ही होता है।
इसके पीछे सरकार का उद्देश्य सरकार काम में पारदर्शिता लाना है लेकिन पुलिस विभागों में ऐसा नहीं होता।सरकार के आदेश की उन्हीं के अफसर अनदेखी कर रहे हैं।ऐसा अक्सर दो कारणों से होता है।यदि सरकार के तबादला आदेश के बाद कोई अधिकारी कोर्ट से स्टे नहीं लिया है तब भी वह अपने अपने पद पर जमा है। इसका सीधा सा मतलब यही होता है उसने अपने उच्च अधिकारी से सेटिंग कर ली है।
इसी वजह से वह विभाग से रिलीव नहीं हो रहा है। दूसरा यह होता है कि वह रिलीव तो हो गया लेकिन तबादला के बाद तय जगह पर उसने ज्वाइनिंग नहीं ली।सबकुछ जानकर ध्यान देने को तैयार नहीं है इंस्पेक्टर, इसके कारण जारी है मनमानी, लोग लगा रहे मिलीभगत का आरोप ट्रांसफर के बाद नहीं हुए रिलीव 29 सितंबर को कर्नलगंज कोतवाल चितवन कुमार व देहात कोतवाली के कोतवाल महेंद्र कुमार सिंह का तबादला अपर पुलिस महानिदेशक गोरखपुर जोन के आदेश से गोरखपुर हुआ था।
विभागीय सूत्र के अनुसार अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से कोतवाल चितवन कुमार और महेंद्र कुमार सिंह को तबादले के बाद भी रिलीव नहीं किया जा रहा है।

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