जल निगम की जमीन पर चल रहा है प्लाट बेचने का अवैध धंधा

जल निगम की जमीन पर चल रहा है प्लाट बेचने का अवैध धंधा

 स्वतंत्र प्रभात:
 
शंकरगढ़ (प्रयागराज) क्षेत्र के पगुवार ग्राम पंचायत के रानीगंज में अवैध प्लाटिंग का काम काफी तेजी से फल फूल रहा है। रानीगंज इलाके में कई 10 दशकों पहले एक जल निगम बनी थी। उसी जल निगम की जमीन पर जो सरकारी दस्तावेजों में गाटा संख्या 219 में उत्तर प्रदेश निर्माण शाखा के नाम से दर्ज है जो पूरे एक बीघे है।
 
और सरकारी संपत्ति होने के कारण उस पर जल निगम बनना था और उसे एक बीघे जमीन को वासुदेव दुबे निवासी गोबरा हेवार द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को जल निगम बनाने के लिए दिया गया था। लेकिन जमीन की सही पैमाइश ना होने के कारण जल निगम गाटा संख्या 216 में बन गई।
 
और जल निगम के नाम से चिन्हित उत्तर प्रदेश निर्माण शाखा की जमीन कई दशकों तक खाली पड़ी रही। जबकि दान देने वाले वासुदेव दुबे के तीन पुत्र हैं जिनके पास वर्तमान समय में एक बिस्वा जमीन उपस्थित नहीं है। जब भूमाफियाओं एवं प्लाटरों की नजर उस खाली जमीन पर पड़ी तो उन्होंने बगल के कास्तकरो की जमीन को खरीद लिया जिससे उत्तर प्रदेश निर्माण शाखा की एक बीघे सरकारी जमीन को उन्हें कास्तकारों की जमीन में मिलाकर प्लाटिंग का काम शुरू किया जा सके।
 
वह अपने इस काम में सफल भी हो गए जिस पर उन्होंने प्लाटिंग का कार्य करना शुरू कर दिया और धारा 116 और धारा 24 क़ो दरकिनार करके राजस्व विभाग क़ो भ्रमित करते हुए लोगों को प्लाट बेचना शुरू कर दिया मौजूदा समय में वहां प्लाट लेने वाले लोगों के लिए भी आगे चलकर मुसीबत खड़ी हो सकती है और उनकी गाढ़ी कमाई भी डूब सकती है।
 
क्योंकि यदि किसी भी व्यक्ति का प्लांट उस सरकारी जमीन और गाटा संख्या के अंतर्गत आया तो उसे अपने पैसे और जमीन दोनों से हाथ धोना पड़ेगा। अवैध प्लाटिंग और सरकारी जमीन पर हो रहे कब्जा का धंधा इन दोनों शंकरगढ़ के लिए मुख्य चर्चा का केंद्र बना हुआ है जिस पर राजस्व विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है और उसके नाक के नीचे से कई कीमती सरकारी जमीन को प्लांट बनाकर बेच दिया गया है। और भूमाफियाओं को रोकने में नाकाम साबित हुआ है।
 
 

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