इस बार आईपीएल के हीरो यशस्वी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं।

धोनी के संघर्ष की कहानी से ज्यादा दिलचस्प है यशस्वी की संघर्ष की दास्तान

इस बार आईपीएल के हीरो यशस्वी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं।

जब यशस्वी को कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहने के बाद आजाद मैदान के टेंट में रहने की जगह मिल गई। भीषण गर्मी के दौरान उस टेंट में सो पाना बहुत मुश्किल होता था।

स्वतंत्र प्रभात-

IPL 2023 में 625 रन बनाने वाले यशस्वी जयसवाल का क्रिकेटिंग करियर दिसंबर-जनवरी की कड़ाके की ठंड में ट्रक की छत पर सफर करते हुए मैच खेलने से शुरू हुआ था। इस IPL 5 अर्धशतक और 1 शतक जड़कर सुर्खियों में आए यशस्वी की शुरुआत मुंबई से नहीं बल्कि एन.एन.एस. क्रिकेट अकादमी, कलिंजरा रोड, झिंगटपुर,सुरियावां,भदोही, यूपी से हुई थी। 


आज यशस्वी की अनसुनी कहानी आपके बीच लाया हूं। N.N.S क्रिकेट एकेडमी ही वह जगह है, जहां 7 वर्ष की उम्र में नन्हे यशस्वी को उनके माता-पिता ने क्रिकेट की शिक्षा-दीक्षा के लिए भेजा था। यह क्रिकेट एकेडमी उत्तर प्रदेश के मशहूर क्रिकेट कोच आरिफ हुसैन की थी। यशस्वी को कोच आरिफ ने लगभग 5 साल तक अपने नेतृत्व में ट्रेन किया। 2008 से लेकर 2012 तक यशस्वी जयसवाल ने क्रिकेट का ककहरा आरिफ हुसैन से सीखा। 


आपको जानकर हैरानी होगी कि ट्रेनिंग के साल भर के भीतर ही यशस्वी ने एकेडमी की सीनियर टीम में जगह बना ली। 

कोच बताते हैं कि यशस्वी शुरू से ही बेहद अनुशासित खिलाड़ी थे। उन्हें जो भी सीखने के लिए दिया जाता था, यशस्वी पूरी शिद्दत से वह टास्क कंप्लीट करते थे। यशस्वी गेंदबाजी में लेग स्पिन डालते थे और आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भी आते थे।

 

 सिर्फ 8 वर्ष की उम्र में ही यशस्वी ने अपने क्लब की सीनियर टीम को कई जगह मुकाबले जिता कर दिए। उसी दौर में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में लेदर बॉल का बड़ा टूर्नामेंट चल रहा था और यशस्वी की टीम अंत में आकर फंस गई थी। विपक्षी टीम के धुरंधर तेज गेंदबाज लगातार बल्लेबाजों का इम्तिहान ले रहे थे। तब नन्हे यशस्वी ने उन गेंदबाजों का डटकर सामना किया और अंत में चौका जड़कर अपनी टीम को विजेता बना दिया। 

 

ग्रामीण इलाके में स्थित NNS क्रिकेट एकेडमी में अक्सर गरीब तबके के बच्चे अपना सपना साकार करने आते थे। कोच आरिफ हुसैन का प्रयास होता था कि आर्थिक तंगी के बावजूद किसी को निराश ना किया जाए। हर किसी को क्रिकेटर बनने का मौका दिया जाए।

2008 से लेकर 2012 के बीच लगातार 5 वर्षों तक कोच आरिफ के साथ उनकी पूरी टीम लोडेड ट्रक पर बैठकर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में लेदर बॉल टूर्नामेंट खेलने जाती थी। दूर की यात्रा के दौरान अक्सर टिकट के पैसे नहीं होते थे, तो बेटिकट यात्रा कर रही पूरी टीम से कभी टीटी भी टिकट की मांग नहीं किया करते थे। 

 

हर कोई नन्हे बच्चों के सपने साकार करने में अपने स्तर पर योगदान देना चाहता था। NNS क्रिकेट एकेडमी आर्थिक तौर पर बहुत मजबूत नहीं थी। ऐसे में यशस्वी जब अलग-अलग टूर्नामेंट्स में क्लब की तरफ से बल्लेबाजी करने उतरते थे, तो नन्हे लड़के का अद्भुत खेल देखकर आयोजन समिति और पब्लिक की तरफ से इनामों की बारिश की जाती थी। इससे क्लब को थोड़ी आर्थिक मदद मिल जाती थी। 

 

यशस्वी ने आरिफ जी के नेतृत्व में यूपीसीए का अंडर 14 ट्रायल दिया था। फाइनल राउंड में आने के बावजूद उनका टीम में सिलेक्शन नहीं हो सका। 

इससे आरिफ हुसैन का मन टूट गया और उन्होंने यशस्वी को मुंबई भेजने का निर्णय कर लिया। एक कोच के तौर पर तो आरिफ ने ठान लिया, लेकिन माता-पिता की सहमति बाकी थी। यशस्वी के माता-पिता ने बेटे को मुंबई भेजने से तत्काल मना कर दिया। उनका कहना था कि बेटा काफी छोटा है, ऐसे में उसका घर पर रहकर ही प्रैक्टिस करना बेहतर होगा। 

 

आरिफ हुसैन ने हिम्मत नहीं हारी और लगभग साल भर समझाइश देने के बाद यशस्वी के माता-पिता बेटे को मुंबई भेजने के लिए राजी हो गए। यशस्वी को भदोही से मुंबई लाने में मैनेजर इसरायल अंसारी की बड़ी भूमिका रही। दरअसल शुरुआत से ही आरिफ साहब ने यशस्वी में कुछ अलग देखा था। उनका दिल कहता था कि अगर यशस्वी को बेहतर मंच मिल पाएगा, तो यह लड़का देर-सबेर इंडिया खेल जाएगा। वो कहते हैं ना कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, मामला कुछ वैसा ही था।

 

 मुंबई के नालासोपारा में यशस्वी जयसवाल का पहला आशियाना था। वह वहीं से अपने ग्रुप के साथ प्रैक्टिस करने आजाद मैदान जाया करते थे। पर यशस्वी के अंकल का किराए का घर उतना बड़ा नहीं था, जहां रह कर वह अपनी क्रिकेट की तैयारी जारी रख सकें। 

यहां से यशस्वी ने काल्बादेवी डेयरी में रात के आशियाने की उम्मीद में काम किया। एक दिन ये कहते हुए यशस्वी का पूरा सामान फेंक दिया गया कि वह कुछ नहीं करता हैं। 

 

डेयरी के कार्यों में सहायता नहीं करता, बल्कि दिनभर क्रिकेट के अभ्यास के बाद थक कर चूर हो जाने के कारण सो जाता है। इसके बाद कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहने के बाद यशस्वी को आजाद मैदान के टेंट में रहने की जगह मिल गई। भीषण गर्मी के दौरान उस टेंट में सो पाना बहुत मुश्किल होता था। इसलिए यशस्वी अक्सर रात में बीच मैदान बिस्तर लगाते थे। पर खुले में सोने का नतीजा हुआ कि एक रात यशस्वी के आंख में कीड़े ने काट लिया। उनकी आंख बहुत ज्यादा फूल गई थी।


उस दिन के बाद से चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना हो, यशस्वी टेंट में ही सोते थे। इसके बाद गुजारा करने के लिए आजाद मैदान में होने वाली रामलीला में यशस्वी पानीपुरी और फल बेचने में मदद करने लगे। 

ऐसी कई रातें आईं, जब जिस ग्राउंड्समैन के साथ वह रहते थे उससे उनकी लड़ाई हो गई और बदले में यशस्वी को भूखा ही सोना पड़ा। रामलीला के दौरान कई बार यशस्वी के साथ प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ी उनकी दुकान पर गोलगप्पे खाने आ जाते थे। 


यशस्वी को उस वक्त बहुत शर्म आती थी। यशस्वी देखते थे कि दूसरे खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग सेशन के दौरान उनके माता-पिता लंच लेकर आते थे। पर यशस्वी को तो टेंट में ब्रेकफास्ट नहीं मिलता था, लंच और डिनर भी खुद से रोटी और सब्जी बनाने पर नसीब होता था। यशस्वी कहते हैं कि मुझे वो दिन भी अच्छे से याद हैं, जब मैं लगभग बेशर्म हो गया था। मैं अपने टीममेट्स के साथ लंच के लिए जाता था, ये जानते हुए कि मेरे पास पैसे नहीं हैं।

 

 मैं उनसे कहता था, पैसे नहीं हैं लेकिन भूख है। जब एक-दो टीममेट चिढ़ाते, तो मैं गुस्से में जवाब नहीं देता था। आंसू पीकर रह जाता था।

ये सब बातें यशस्वी ने अपने बचपन के कोच और परिवार को उस वक्त बिलकुल नहीं बताईं। उन्हें डर था कि सच्चाई पता चलने पर परिवार वापस बुला लेगा और फिर उनका हिंदुस्तान के लिए क्रिकेट खेलने का सपना अधूरा रह जाएगा। यशस्वी जयसवाल की क्रिकेटिंग प्रतिभा को निखारने में उनके बचपन के कोच आरिफ खान का बड़ा योगदान रहा है। 

 

उन्होंने 5 वर्षों तक लगातार यशस्वी के खेल के पीछे मेहनत की। आरिफ खान को लगता था कि यह लड़का छोटे में संतोष नहीं करेगा, बल्कि कुछ बड़ा करके दिखाएगा। कोच और परिवार की तमाम उम्मीदें आज पूरी हो रही हैं। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से IPL के जरिए ध्रुव तारा बनकर चमक रहे यशस्वी का टीम इंडिया के लिए खेलना लगभग पक्का हो गया है।

 

उम्मीद है कि 21 वर्षीय युवा खिलाड़ी यशस्वी जयसवाल और उनके कोच आरिफ खान का संघर्ष रंग लाएगा। यशस्वी अपनी बल्लेबाजी से साल के अंत में होने वाला ODI वर्ल्ड कप टीम इंडिया को जरूर जिताएगा।

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