धरना के पीछे न्याय या राजनीतिक साजिश?

धरना के पीछे न्याय या राजनीतिक साजिश?

मामला देश की महिला कुश्ती पहलवानों को लेकर है जहां पर महिला कुश्ती पहलवानों का आरोप है कि रेशलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने महिला खिलाडियों का यौन शोषण किया है।

 

 

देश की वह बेटियां जो अपने दमखम से भारत ही नही बल्कि विश्व के कई देशों में तिरंगा की शान को बढाया और देश के लिए पदक भी जीतकर देश को गौरवान्वित किया है। विश्व के पहलवानों को धूल चटाने वाली देश की बेटियां को अपने ही देश में न्याय पाने के लिए धरना देना कितना उचित है? सरकार जहां बेटियों बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा बुलंद कर रही है साथ ही बेटियों और महिलाओं के लिए तमाम योजनाएं भी संचालित है लेकिन फिर भी देश में देश की शान बेटियों को अपने हक की लडाई और न्याय के लिए धरना करना पड़े यह देश के लिए उचित संदेश नही है। 

 मामला देश की महिला कुश्ती पहलवानों को लेकर है जहां पर महिला कुश्ती पहलवानों का आरोप है कि रेशलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने महिला खिलाडियों का यौन शोषण किया है। जिसको लेकर महिला पहलवानों ने इसी वर्ष जनवरी में धरना प्रदर्शन किया था लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद मामले की जांच को लेकर शांत हुआ लेकिन तीन माह तक कोई संतोष जनक कार्यवाही न होने पर फिर से महिला पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन प्रारम्भ किया करीब एक हफ्ते के बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और एफआईआर दर्ज हुई। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के खिलाफ महिलाओं का यौन उत्पीड़न और पास्को एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें एक नाबालिक सहित सात महिलाओं ने शिकायत की है। महिला कुश्ती पहलवानों के समर्थन में भाजपा की विरोधी दलों के नेता भी खूब राजनीति कर रहे है। क्योकि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह भाजपा के गोंडा से सांसद है। और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी है। हालांकि माननीय न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है और अब आगे की कार्यवाही पुलिस अपने स्तर से ही करेगी।

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 महिला पहलवानों के साथ विपक्ष की नेताओं और विरोधी दलों के लोगों का समर्थन कही न कही इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहा है। ऐसे ही साहिनबाग धरना के समय भी सरकार के विरोधी दलों के लोग धरना देने वालों के साथ मिलकर विरोध और प्रदर्शन कर रहे थे। यदि खिलाड़ी अपने मांगों को लेकर धरना कर रहे है तो उसमें गैर राजनीतिक लोग शामिल हो तो बात कुछ समझ में आती है लेकिन राजनीति के लोग शामिल हो तो कुछ दाल में काला लगता है। क्योकि बृज भूषण शरण सिंह भाजपा के सांसद है इसकी कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों के लोग खिलाडियों को विरोध करने के लिए समर्थन दे रहे है जिससे विरोध और मजबूती से हो सके। लेकिन यहां एक सवाल उठता है कि आखिर पीड़ित पहलवानों ने उसी समय विरोध क्यों नही किया जब बृज भूषण शरण सिंह ने उनके साथ यौन उत्पीड़न किया। खिलाड़ियों को अपने कैरियर को लेकर कोई डर था कि विरोध करने पर उनका कैरियर खराब हो सकता है। यदि उस समय विरोध नही किये तो इस वर्ष के प्रारंभ से ही विरोध क्यों? कुछ लोग तो यह भी कहते है कि जो भी पहलवान बृज भूषण शरण सिंह पर आरोप लगा रहे है सभी लोग हरियाणा के महादेव रेशलिंग अकादमी से जुड़े है और यह अकादमी का पूरा कंट्रोल दीपेन्द्र हुड्डा के हाथों में है। हो सकता है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष का चुनाव को ध्यान में रखकर केवल बृज भूषण शरण सिंह को बदनाम किया जा रहा हो। हालांकि मामले की जांच पुलिस खुद करेगी जो भी सच्चाई होगी वह सब के सामने आयेगी। वैसे पहलवानों के धरना में राजनीति नेताओं की इंट्री कई सवाल पैदा करता है।

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रेशलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह भाजपा के गोंडा से सांसद है। 1988 से सक्रिय राजनीति में है और बृज भूषण सिंह अपने दबंग अंदाज के लिए जाने जाते है। 1991 लोकसभा जीतकर सांसद बने और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोंडा के कैसरगंज से भाजपा सांसद है। उनका बेटा भी गोंडा सदर सीट से विधायक है। बृज भूषण सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथयात्रा के दौरान काफी सक्रिय रहे और पूर्वांचल समेत यूपी के तमाम क्षेत्र में रथयात्रा की सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी भी रही। वर्ष 1987 में बृज भूषण शरण सिंह एक बार खुद पुलिस अधीक्षक को पिस्टल सटा दी थी। 2021 में मंच पर एक युवा को थप्पड जड़ दिया था। बृज भूषण सिंह टाडा के आरोप में तिहाड़ जेल भी जा चुके है। अपने कार्यों की वजह से बृज भूषण सिंह 6 बार सांसद भी चुने गये। बृज भूषण शरण सिंह का कहना है कि किसी के आरोप लगाने से मै अपराधी नही हो सकता माननीय न्यायालय जब अपराधी कह देगा तो अपराधी कहा जा सकता है। हालांकि बृज भूषण शरण सिंह को माननीय न्यायालय पर पूरा विश्वास है। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी टी ऊषा ने महिला पहलवानों के द्वारा किये जा रहे धरना प्रदर्शन को अनुशासनहीन कार्य बताया गया। वैसे कुछ भी हो इस मामले को लेकर देश में राजनीतिक गर्माहट देखने को मिल रही है। जहां पर बृज भूषण सिंह के समर्थक इसे राजनीतिक साजिश सिद्ध करने पर तुले है वही महिला पहलवान और कुछ राजनीतिक दलों के लोग इस पर सख्त से सख्त कार्यवाही की इच्छा रखे है। यदि यह मामला सच में महिला खिलाडियों के उत्पीड़न का है तो इसमें रेशलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के ऊपर कार्यवाही होना जरूरी है क्योकि जो बेटियां देश को अपने मेहनत और लगन से  तिरंगा की शान बढाकर खुश करती है वह बेटियां रोये यह सही नही है लेकिन यदि इन बेटियों के कंधे पर कोई राजनीति या साजिश की बंदूक रखकर निशाना लगा रहा है तो उस साजिश करने वालों के खिलाफ भी कार्यवाही जरूरी है क्योकि ऐसे ही साजिशकर्ता लोग देश की एकता और अखंडता के लिए घातक होते है। देश की एकता और अखंडता बनाये रखना देश के हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है।

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संतोष कुमार तिवारी

भदोही, उत्तर प्रदेश 

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