शोधकर्ताओं ने विकसित किया कोरोना वायरस एंटीबॉडी डेटाबेस 

शोधकर्ताओं ने विकसित किया कोरोना वायरस एंटीबॉडी डेटाबेस 

नई दिल्ली, 20 मार्च (इंडिया साइंस वायर):  शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के केंद्र में एंटीजन और एंटीबॉडी नामक दो प्रमुख घटक शामिल हैं। एंटीजन ऐसे हानिकारक बाहरी पदार्थ हैं, जो शरीर में प्रवेश करके रोग उत्पन्न करने के लिए जाने जाते हैं। जबकि, बाहरी हानिकारक पदार्थों से शरीर की रक्षा करने वाले आंतरिक तत्वों को एंटीबॉडी कहते हैं।
एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में सक्षम एंटीबॉडी का एक ऑनलाइन डेटाबेस विकसित किया है। 'एबी-सीओवी' (Ab-CoV) नामक इस डेटाबेस में शामिल एंटीबॉडी नमूने बाइंडिंग एफिनिटी और न्यूट्रलाइजेशन प्रोफाइल जैसी महत्वपूर्ण विशेषताओं से लैस हैं। एंटीबॉडी इंजीनियरिंग और इम्यून एस्केप विश्लेषण में 'एबी-सीओवी' उपयोगी है, जो कोरोना वायरस के नये वेरिएंट के खिलाफ चिकित्सीय रणनीति विकसित करने में महत्वपूर्ण संसाधन हो सकता है।

रसायन, बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जेंस, कवक, विषाक्त तत्व या अन्य हानिकारक पदार्थ, जो शरीर में प्रविष्ट कर रोग का कारण बनते हैं, एंटीजन कहलाते हैं। वहीं, शरीर द्वारा उत्पन्न विशिष्ट प्रोटीन, जिसे एंटीबॉडी या इम्युनोग्लोबुलिन कहा जाता है, एंटीजन से लड़ने में मदद करते हैं।

'एबी-सीओवी' डेटाबेस में, अब तक पहचाने जा चुकी कोविड एंटीबॉडी के बारे में विस्तृत जानकारियाँ दर्ज हैं। इनमें, एंटीबॉडी के स्रोत, वायरल प्रोटीन और वायरस रूपों सहित तमाम जानकारियाँ शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि 'एबी-सीओवी' सार्स-कोव-2 के नये रूपों के खिलाफ प्रभावी दवाओं के विकास में भी कारगर भूमिका निभा सकता है। 
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किए गए इस डेटाबेस में, कोरोना वायरस संबंधी 1780 एंटीबॉडी, 211 नैनोबॉडी, और हाफ मैक्सिमल इन्हिबिटरी कन्सन्ट्रेशन, हाफ मैक्सिमल इफेक्टिव कन्सन्ट्रेशन एवं बाइंडिंग एफिनिटी पर 3200 डेटा-प्वाइंट्स शामिल हैं। 

आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता प्रोफेसर एम. माइकल ग्रोमिहा ने कहा, "स्पाइक प्रोटीन-एंटीबॉडी कॉम्पलैक्सेज की संरचनात्मक विशेषताओं एवं बाइंडिंग एफिनिटी के बीच संबंधों के बारे में समझ विकसित करने और एंटीबॉडी पुनरुत्पादन में 'एबी-सीओवी' डेटाबेस का उपयोग पहले ही किया जा चुका है।"

प्रोफेसर ग्रोमिहा ने आगे कहा, “एबी-सीओवी में, सर्च और डिस्प्ले विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता एंटीबॉडी के नाम, वायरल प्रोटीन एपिटोप, न्यूट्रलाइज़्ड वायरल स्ट्रेन, एंटीबॉडी और नैनोबॉडी के आधार पर संसाधित डेटा को सीधे खोज और डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें 3डी मॉडल में एंटीबॉडी या वायरल प्रोटीन संरचनाओं को देखने का विकल्प भी है।”
इस डेटाबेस में संकलित जानकारी एंटीबॉडी इंजीनियरिंग में सहायक है, सार्स-कोव-2 के ज्ञात और नये प्रकारों के खिलाफ प्रतिरक्षा विश्लेषण, एंटीबॉडी को बेअसर करने के लिए कम्प्यूटेशनल अध्ययन, और बाइंडिंग एफिनिटी एवं संरचनात्मक विशेषताओं के संबंधों को समझने में सहायक है।

आईआईटी मद्रास की शोधकर्ता डॉ वाणी जानकीरमन ने कहा, “एबी-सीओवी एंटीबॉडी का एक संपूर्ण भंडार है, जो न केवल सार्स-कोव-2, बल्कि इसके परिवार के अन्य सदस्यों एवं मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) वायरस के अध्ययन के लिए भी विशिष्ट है। यह रिपॉजिटरी कोरोना वायरस में अलग-अलग न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडी के बीच तुलनात्मक अध्ययन में मदद करेगी। इस तरह के प्रयास से अंततः मौजूदा और उभरते वायरल वेरिएंट के प्रति इन एंटीबॉडी की प्रभावकारिता का पता लगाने में मदद मिलेगी।”

इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में प्रोफेसर एम. माइकल ग्रोमिहा एवं डॉ वाणी जानकीरमन के अलावा डॉ पुनीत रावत, दिव्या शर्मा, डॉ आर. प्रभाकरन, फातिमा रिधा, मुग्धा मोहखेडकर, भूपत एवं ज्योति मेहता शामिल हैं। यह अध्ययन शोध पत्रिका बायोइन्फोर्मेटिक्स में प्रकाशित किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

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