खरीफ विपणन धान खरीद नीति से हटकर रोजा मंडी में धान खरीद सेंटरों पर खरीदा गया धान

माफियाओं ने सरकारी धान खरीद में कर दिए लाखों के ओरे न्यारे

खरीफ विपणन धान खरीद नीति से हटकर रोजा मंडी में धान खरीद सेंटरों पर खरीदा गया धान

स्वतंत्र प्रभात 

शाहजहांपुर/खरीफ विपणन 2022 -23 धान खरीद नीति से हटकर माफियाओं ने इस कदर सरकारी धान खरीद सेंटरों पर कागजों में खरीद की जिसका अंदाजा आप सिर्फ रोजा मंडी में ही लगे सरकारी धान खरीद सेंटरों से लगा सकते हैं यहां पर माफियाओं ने करोड़ों के ओरे न्यारे कर दिए सरकारी धान खरीद में गड़बड़ी कर सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया और जिले के संबंधित अधिकारी खानापूर्ति के लिए औचक निरीक्षण करते रहे आपको बता दें

जब तक रोजा मंडी में किसानों के धान की आवक बनी रही तब तक सरकारी धान खरीद सेंटरों पर खरीद नाम मात्र हुई और जब मंडी में धान की आवक बंद हुई तो लक्ष्य पूर्ण करने के लिए कागजों में खेल शुरू हो गया फर्जी सत्यापन के सहारे भूमिहीन लोगों के नाम फर्जी सत्यापन कराकर जमकर खरीद हुई

इस खेल को सरकारी धान खरीद नीति से हटकर इस कदर खेला गया की रोजा मंडी में ही लगे सरकारी धान खरीद सेंटरों पर माफियाओं ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते हुए करोड़ों रुपए से अपनी जेब भर ली खरीफ विपणन वर्ष 2022 -23 धान खरीद नीति में सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए थे की सीधे बटाईदार से कोई धान खरीद नहीं की जाएगी ना बटाईदार को सीधे कोई भुगतान किया जाएगा लेकिन अधिकारियों की सर परस्ती में माफियाओं ने धान खरीद नीति से हटकर अपनी एक अलग नीति बना ली

और बंटाईदारों के नाम ही सीधे कृषक पंजीकरण कराकर उसका फर्जी सत्यापन कराते हुए धान खरीद कर उनके खाते में सीधा पैसा पेमेंट कर दिया जबकि सरकार ने धान खरीद नीति में स्पष्ट दिया था की बटाईदार से धान खरीद करने  से पहले मूल किसान जिसकी जमीन बटाई पर ली गई है उसी का कृषक पंजीयन कराया जाए और धान खरीद का पैसा भी उसी किसान के खाते में भेजा जाए और उसी किसान से बटाईदार अपना भुगतान लेगा यह इसलिए किया गया था क्योंकि बीते वर्ष बटाईदार के नाम पर भारी मात्रा में फर्जी धान खरीद की गई थी

जिसको देखते हुए सरकार ने 2022 -23 धान खरीद नीति में बदलाव करते हुए नए प्रावधान किए थे  अब इस नीति से हटकर खरीदे गए धान के सहारे हुए घोटाले के पीछे कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है वही जेपीएस सिस्टम को हटाना भी इसी घोटाले का एक अंग था  क्योंकि जीपीएस सिस्टम लागू रहता तो मंडी में बगैर धान आवक के धान खरीद नहीं हो सकती थी इस घोटाले के पीछे कौन है किस किसका हाथ है

किस अधिकारी द्वारा फर्जी सत्यापन किया गया किन-किन बटाईदार किसानों के नाम पंजीकरण किया गया किन बटाईदारों के नाम पैसा भेजा गया यह सब जांच का विषय है और जांच हुई तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है जिसमें अधिकारियों से लेकर धान खरीद माफियाओं पर गाज गिर सकती है

जिसकी जांच होना अति आवश्यक है ताकि सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए की गई व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके और सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों को इसका लाभ मिल सके अगली खबर को अवगत कराएंगे किन भूमिहीन किसानों से  खरीदा गया है 

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