दुनिया रंग-रंगीली बाबा ....

दुनिया रंग-रंगीली बाबा ....

दुनिया रंग-रंगीली बाबा ....


राकेश अचल 

आज न सियासत की बात न साम्प्रदायिकता की,धर्मनिरपेक्षता का भी कोई जिक्र नहीं होगा  .आज बात होगी धरती की और जिंदगी के रंगों की ,आज होली है .होली सबकी होती है.मेरी भी,आपकी भी और भाई विवेक अग्निहोत्री की जो 12  करोड़ लगाकर छह दिन में 60  करोड़ कमा लेते हैं. इस सबकी वजह है धरती और धरती पर मौजूद जिंदगी .यदि धरती न होती,जिंदगी न होती तो शायद कुछ न होता .

आज मुझे धरती माता फिल्म का एक गीत बहुत याद आता है. 1938  में बनी इस फिल्म के लिए पंडित सुदर्शन ने ऐसा सुदर्शन गीत लिखा था की जिसे गाकर कुंदनलाल सहगल झूम उठे थे. गीत सुनकर पूरा देश झूमने लगता था .के सी    डे,उमाशशि और कुंदनलाल सहगल ने इस लम्बे गीत को पूरे मन से गाया था .आज ऐसे गीत न लिखे जा सकते हैं और न गाए जा सकते हैं,क्योंकि आज की दुंनिया में बारूद की गंध घुल गयी है.लेकिन मुझे लगता है कि पूरी दुनिया को अपने और जीवन के सातों रंग बचाये रखने के लिए ' दुनिया रंग-रंगीली बाबा ' जैसे गीत बार -बार गाना ही चाहिए .

दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जो आदमी का बनाया हुआ नहीं है. रंग भी आदमी को प्रकृति ने दिए हैं और एक-दो नहीं पूरे सात रंग दिए हैं ताकि आदमी आसमान   में उभरता इंद्रधनुष देखकर अपने मन का इंद्रधनुष बना सके .जीवन में अगर इंद्रधनुष नहीं तो शायद कुछ नहीं. इंद्रधनुष एक ऐसी चीज है जिस पर किसी का स्वामित्व नहीं है ,सिवाय प्रकृति के. आसमान में जब इंद्रधनुष उभरता है तो सबको दिखाई देता है.महलों में वाले लोग भी  इसे देखकर उतने ही प्रमुदित होते हैं जितने की झोपड़ियों में रहने वाले लोग इंद्रधनुष को आप चाहे ऊंचाई से देखिये ,चाहे नीचे जाकर .दूर से देखिये या पास से हमेशा एक सा दिखाई देता है .

भारत में और दुनिया में होली और होली से मिलते जुलते उत्स्व,त्यौहार इसी इंद्रधनुष का प्रतिनिधित्व करते हैं. याद दिलाते हैं कि बिना सात रंगो के जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं है ,नहीं हो सकता इसलिए इन रंगों को हर सूरत में,हर कीमत  पर बचाकर रखना चाहिए .जीवन के इन रंगों को किसी की नजर नहीं लगना चाहिए.सियासत की तो बिलकुल नहीं .सियासत की नजर जिस रंग पर लगती है उसी रंग की आभा समाप्त हो जाती है .भारत में सियासत की बुरी और काली नजरों से ये इंद्रधनुषी रंग महफूज नहीं हैं,हर साल होली शायद यही याद दिलाने के लिए फाल्गुन के महीने में आती है और अपनी तरफ से कोशिश करती है कि ये रंग बचे रहें .
होली के पर्व से जुडी किंवदंतियां अपनी जगह हैं लेकिन असल तथ्य ये है कि सातों  रंगों से भी ऊपर एक रंग है मनुष्यता का सौहार्द का ,समभाव का इनके बिना आप सातों रंगों का आनंद नहीं ले सकते .जीवन नीरस न हो इसलिए प्रकृति टेसू और पलाश के फूलों में तड़कीले,भड़कीले रंग भर देती है. जीवन में शांति बनी रहे इसलिए प्रकृति  ने कुछ फूलों में सफ़ेद  रंग भर दिए .प्रकृति ने अपने सातों रंग अलग-अलग वस्तुओं में बांटकर रखे हैं ,अपने पास कुछ नहीं रखा .प्रकृति  ने सबसे भयावह काले रंग को अपनी कोख में छिपा  लिया .काले रंग के फूल आपको मिलेंगे   लेकिन वे दुर्लभ होंगे,क्योंकि काला रंग कतिपय कम ही सुहाता है.हालाँकि काला रंग ही है जो हमें बुरी नजरों से बचाता है .

दशकों पहले हमारे पास होली खेलने के लिए वास्तविक रंग थे,प्राकृतिक रंग थे.हमें किसी कारखाने से बने रंग बाजार से नहीं लाना पड़ते थे,लेकिन हमने प्रकृति से दूरी बना ली.हम कारखानों   के नजदीक पहुँच गए तो हमारे जीवन के रंग भी नकली हो गए .हमें असली रंगों की तरफ वापस लौटना है. ये असली रंग ही जीवन में प्रफुल्ल भर सकते हैं ,नकली तो नकली होते हैं ...कि खुशबू आ नहीं सकती ,कभी कागज के फूलों से .'जब नकली फूलों से खुशबू नहीं आ सकती तो नकली रंगों से जीवन रंगीन कैसे हो सकता है .दुनिया में जहाँ भी प्रकृति सुरक्षित है वहां सभी रंग भी बचे हुए हैं और जहाँ ऐसा नहीं है वहां रंग क्षीण हो रहे हैं .यानि आज जीवन के इंद्रधनुषी रंग भी संकट में हैं .

दूर क्यों जाएँ हमने अपनी आँखों से अपने पूर्वजों को प्राकृतिक रंग बनाते और इस्तेमाल करते देखा  है .प्राकृतिक रंगों से हमारी दूरी हाल के तीन-चार दशकों में बढ़ी है .हम पनीले रंगों से तक घबड़ाने लगे हैं. 'पानी बचाओ ' अभियान बीच में इसमें टपक पड़े हैं .रंग बादल हैं.रंग फुहार हैं इन्हें पानी से दूर या अलग नहीं किया जा सकता .इसलिए आज अपने आपको खूब रंगिये .रंगों से भागिए मत,रंगों को गले लगाइये .रंग जितने गाढ़े होंगे जीवन उतना सुन्दर होगा .हाँ एक सावधानी जरूरी है कि हमें रंगों का ऐसा अनुशासित इस्तेमाल करना होगा कि जिंदगी बदरंग न हो .बदरंग को भदेस में भदरंग भी कहते हैं /यानि सत रंगी होना अच्छा है लेकिन भदरंग होना बुरा है.इससे बचिए और बचाइए औरों को भी .

आज मै आप सबको रंगों से परिचित करने के लिए ठीक 84  साल पीछे ले चल रहा हूँ.आप चाहें तो अपने यूट्यूब पर जाकर इस गीत को सुन भी सकते हैं .समय निकालिये और इस लम्बे गीत को ध्यान से पढ़िए.आपकी समझ में आ जाएगा कि रंग क्या हैं ?मुमकिन हो तो आज आप अपनी होली सभाओं में भी इस गीत को बजाइये,इसकी धुन पर थिरकिये,बहुत मजा आएगा. आप सारे संताप भूल जायेंगे .आपको न सियासत याद रहेगी और न धर्म .रंगों का नशा है ही ऐसा .तो  आइये !

 समवेत  स्वर में गुनगुनाये  -

दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
*
यह दुनिया एक सुन्दर बगिया
शोभा इसके न्यारे हैं
यह दुनिया एक सुन्दर बगिया
शोभा इसके न्यारे हैं
हर दरी पर जादू छाया
हर दरी पर जादू छाया
हर दरी मतवारी है
अद्भुत पंछी फूल मनोहर
अद्भुत पंछी फूल मनोहर
काली काली चटकीली बाबा
*
दुनिया रंग रंगीली
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
आ हा हा आ हा हा आ हा हा………..
*
कदम कदम पर आशा
अपना  रूप अनूप दिखाती  है
कदम कदम पर आशा
अपना  रूप अनूप दिखाती है
बिगड़े काज बनाती  है
धीरज के गीत सुनाती है
बिगड़े काज बनाती है
धीरज के गीत सुनाती है
इसके सुर मिश्री से
मीठा इसके तार सजीली बाबा
*
दुनिया रंग रंगीली……
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
आ हा हा आ हा हा आ हा हा………..
*
दुःख की नदिया जीवन नैया
आशा की पतवार लगे
दुःख की नदिया जीवन नैया
आशा की पतवार लगे
ओ नैया के खेने वाले
ओ नैया के खेने वाले
नैया तेरी पर लगे
पर बसत है देश सुनहरा
किस्मत छैल छबीली बाबा
*
दुनिया रंग रंगीली
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली
आ हा हा आ हा हा आ हा हा………..
*
दुनिया रंग रंगीली बाबा
दुनिया रंग रंगीली.
*
 

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