वीआइपी कल्चर से बेजार आम आदमी

वीआइपी कल्चर से बेजार आम आदमी

लेखक – इंद्र दमन तिवारी हरियाणा सरकार के प्रधान सचिव का विदेश यात्रा के उपरांत स्वयं को क्वारंटीन न करना, सरकार के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन एवं लगातार महत्वपूर्ण बैठकों मे उपस्थित रहना आख़िर किस बात का परिचायक है..यहाँ तक कि उनके आवास पर चस्पा की गई सूचना तक को फाड़ दिया गया.. वहीं

लेखक – इंद्र दमन तिवारी

हरियाणा सरकार के प्रधान सचिव का विदेश यात्रा के उपरांत स्वयं को क्वारंटीन न करना, सरकार के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन एवं लगातार महत्वपूर्ण बैठकों मे उपस्थित रहना आख़िर किस बात का परिचायक है..यहाँ तक कि उनके आवास पर चस्पा की गई सूचना तक को फाड़ दिया गया..

वहीं हाल में दिल्ली के निज़ामुद्दीन के तब्लीगी ज़मात के मरकज़ में हज़ारों लोगों के इकट्ठा होने की ख़बर ने क्षोभ उतपन्न किया है कि कैसे इस कोरोनाग्रस्त माहौल में ‘सामाजिक दूरी’ के सरकारी आदेशों का माखौल उड़ाया जा रहा है, कुछ मुट्ठी भर लोगों के वीआईपी रवैये के फलस्वरूप आम भारतीय जनमानस के जीवन को संकट में डालने का खेल बन्द होना वर्तमान परिदृश्य में अति आवश्यक है।

एक ऐसे दौर में कि जब डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ़, पुलिस औऱ सेना से लेकर संजीदा केंद्र सरकार एवं समस्त राज्य सरकारें कोरोना वायरस के विरुद्ध अपने स्तर से हरसंभव भरसक मुहिम छेड़ रही हैं ऐसे में कभी एक फ़िल्मी गायिका का संक्रमित होने के बावजूद सबको चकमा दे के भागने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमारे सामने आती है, औऱ ख़ास तौर से जब जिम्मेदार शिक्षित वर्ग ऐसी उपेक्षापूर्ण हरकत करे तब तो ये कृत्य शाश्वत अक्षम्य हैं..

किंचित अपवादों को नेपथ्य में रखें तो भारत में अधिकांश “वीआईपी कल्चर” का जीवनयापन करने वाले लोग स्वयं को विधि से ऊपर समझ लेते हैं, मुगालते में रहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता है किन्तु उनका यह व्यवहार कड़ी भर्त्सना योग्य है। ऐसे ही बंगलौर में रेलवे की एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पेन से लौटे अपने कोरोनाग्रस्त पुत्र की सूचना तो छिपाई ही साथ ही अपने रसूख़ का प्रयोग कर उसे रेलवे गेस्ट हाऊस में छिपा भी लिया।

बंगाल की एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इंग्लैंड से लौटे अपने कोरोनाग्रस्त पुत्र को अस्पताल ले जाने एवं क्वारंटाईन करने संबंधी निर्देशों की जमकर अवहेलना की..चूँकि कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है, ऐसे में राज्य सरकार से आशायित है कि ऐसे लोगों से निपटने के लिए भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे एवं एक सन्देश दे कि विधि के समक्ष प्रत्येक व्यक्ति समान है विधि ‘लोअर क्लास, मिडिल क्लास’ एवं ‘वीआईपी क्लास’ में भेद नहीं करती है ताक़ि इस फ़िज़ूल की वीआईपी संस्कृति पर समय रहते समुचित प्रहार हो सके।

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