कोरोना औऱ प्रभावित किसान

कोरोना औऱ प्रभावित किसान

कोरोना के दुष्प्रभावों से अतिशीघ्र निपटने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने स्तर पर हरसंभव प्रयासरत हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “जान है तो जहान है” के मन्त्र पर देश भर की सरकारें सुविधाजनक योजनाओं के क्रियान्वयन में रत हैं..प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके व्यवसाय के सन्दर्भ में सरकारों की चिंता उल्लेखनीय है।

कोरोना के दुष्प्रभावों से अतिशीघ्र निपटने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने स्तर पर हरसंभव प्रयासरत हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “जान है तो जहान है” के मन्त्र पर देश भर की सरकारें सुविधाजनक योजनाओं के क्रियान्वयन में रत हैं..प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य एवं उनके व्यवसाय के सन्दर्भ में सरकारों की चिंता उल्लेखनीय है।

किन्तु हमारे नीति-नियंताओं का विशेष ध्यान किसानों की स्थिति की ओर भी जाना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था की जर्जर हालत देखते हुए कृषि क्षेत्र ही उम्मीद की एकमात्र किरण है, जहाँ देश में लॉक डाउन बढ़ने के संकेत हैं एवं अर्थव्यवस्था पर इसके असर को देखते हुए ज़ाम पड़े औद्योगिक इकाइयों के पहिये को तो धीरे-धीरे चलाने का मन बनाया जा रहा है लेक़िन कृषि क्षेत्र के लिए ऐसी किसी रियायत के आसार नहीं नज़र आ रहे हैं,

इसी कारण से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें औऱ भी गहरी हो गईं हैं, उनकी रबी की फसलें खेतों में तैयार खड़ी हैं पर इस माहौल में वो उपज़ को सरकारी क्रय केंद्र या मंडी कैसे ले जाएं यह अहम सवाल है। किसानों को जब तक रबी की उपज़ का मूल्य नहीं मिलेगा तब तक वे ख़रीफ़ की तैयारी नहीं शुरू कर पायेंगे ऐसे में सरकार को अविलम्ब कोई रास्ता निकालना होगा कि किसानों को इस समस्या से निज़ात दिलाई जा सके। यदि आगामी सत्र में कृषि ने साथ न दिया तो सरकार के लिए हालात सामान्य रखना औऱ भी कठिन होता जाएगा।

सरकार को विचार करना होगा कि किसानों को उनकी उपज़ का लाभकारी मूल्य कैसे दिलाया जा सकता है ? क्या यह संभव है कि उनकी उपज़ किसानों की सुविधानुसार उनके खेत या घर से क्रय कर ली जाये ? यदि इसमें असुविधा हो तो सरकार को किन्हीं मापदण्ड को आधार बना कर किसानों को धन का भुगतान करना ही चाहिए ताक़ि अब ख़रीफ़ की फ़सलों का नुकसान न होने पाये, बाद में हालात सामान्य होने पर उनकी उपज़ क्रय केंद्रों पर लाई जा सकती है..

एक अन्य उपाय यह भी हो सकता है कि किसानों को उनकी जोत के अनुसार ख़रीफ़ की तैयारियों के लिए कुछ अग्रिम धनराशि उपलब्ध कराई जाए जिसे उनकी उपज़ के भुगतान के समय समायोजित किया जा सकता है। सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति दिखायेगी तो इनसे भी बेहतर एवं सुविधाजनक मार्ग दिख सकते हैं,

यहाँ विदित ही है कि पूर्व में दिसम्बर से फ़रवरी तक ओलावृष्टि समेत कई झंझावातों के परिणामस्वरूप रबी की फसलें काफ़ी नुकसान झेल चुकी हैं अतएव सरकार को तत्काल विचार करना होगा कि किसानों को क्षतिपूर्ति कैसे की जाए ? किसानों से सभी बकाया भुगतान की वसूली तुरंत स्थगित करनी होगी एवं आगामी फ़सल हेतु खाद बीज़ एवं समस्त आवश्यक संसाधनों के प्रबंधन में सहयोग करना होगा।

लेखक – इन्द्र दमन तिवारी
तरबगंज, गोण्डा

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