बंडा नगर पंचायत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम में हो रहा बड़ा खेल

बंडा नगर पंचायत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम में हो रहा बड़ा खेल

देश में कोई भी गरीब भूखा न सोये सबको दो वक्त की रोटी मिले इस उद्देश्य को लेकर सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया। इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्ति को 5 को खाद्यान्न दिया जा रहा है ।वहीं अंत्योदय कार्ड धारक जो कि अतिनिर्धन परिवारों के लिए है प्रति कार्ड 35 किलो खाद्यान्न दिया जा रहा है


बंडा(शाहजहांपुर)।  देश में कोई भी गरीब भूखा न सोये सबको दो वक्त की रोटी मिले इस उद्देश्य को लेकर सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया। इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्ति को 5 को खाद्यान्न दिया जा रहा है ।वहीं अंत्योदय कार्ड धारक जो कि अतिनिर्धन परिवारों के लिए है प्रति कार्ड 35 किलो खाद्यान्न दिया जा रहा है।

लेकिन सरकार की इस योजना में नगर पंचायत बंडा में बड़ा खेल होने लगा। संपन्न , पूंजीपति तथा रसूखदार लोगों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर फर्जी राशनकार्ड बनवा लिए जिसका वो लाभ भी ले रहे हैं। गरीब लोग राशन कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन उनके कामों में हीलाहवाली की जाती है। पूंजीपतियों के राशनकार्ड बिना किसी जांच के सहज ही बना दिए जाते हैं ।

नगर पंचायत बंडा में गरीबों के लिए चलायी गई सरकार की इस योजना को माफियाओं की काली नजर पड़ गई। नगर के कोटेदारों,लाल पीली कोठियां वाले तथा पूंजीपतियों ने पात्र गृहस्थी राशन कार्डों अलावा फर्जी दस्तावेज के आधार पर  सरकार को गलत जानकारी देकर अंत्योदय राशन कार्ड भी अपने स्वजनों के नाम पर बनवा लिए जिसका पिछले कई वर्षों से उसका लाभ भी ले रहे हैं। गरीबों की मदद को उठने वाले हाथ गरीबों का हक छीन रहे हैं, नगर पंचायत बंडा के पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी  इस फर्जीवाड़े से अछूते नहीं रहे ,नियमों को ताकपर रखकर  उन्होंने भी अपना तथा अपने बेटे का फर्जी अंत्योदय राशन कार्ड बनवा लिया। मामले की गहनता से जांच होने पर बड़े बड़े रसूखदार  कार्रवाई की जद में आ जायेंगे।

दिसंबर माह में तत्कालीन जिलाधिकारी ने सर्वे कराकर अपात्र व्यक्तिओं के नाम चल रहे राशनकार्ड को रद्द करने के निर्देश दिए थे। जिससे पात्रों के नाम राशनकार्ड बनाये जा सके। लेकिन दो माह बीतने के बाद भी जिलाधिकारी के निर्देश का पालन होते नहीं दिख रहा है। अपात्र व्यक्ति अभी गरीबों का राशन डकारने में जुटे हैं। अब देखने वाली बात होगी सरकारी सिस्टम ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई करता है या फिर इसी तरह अपनी मेहरबानी बनाते रखता है।जब इस संबंध में पूर्ति निरीक्षक पुवायां से बात करनी चाही तो बार बार फोन लगाने के बाद भी महोदय ने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।

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