नम्रता को बनाए रखने के लिए कठोरता भी परमावश्यक- आचार्य विनोद

नम्रता को बनाए रखने के लिए कठोरता भी परमावश्यक- आचार्य विनोद

विनम्रता जहां लोगों को आपस में जोड़ती है वहीं कठोरता संबंधों का संरक्षण करती है


गोला /गोरखपुर। नम्रता व कठोरता जीवन के लिए दोनों परमावश्यक हैं । विनम्रता जहां लोगों को आपस में जोड़ती है वहीं कठोरता संबंधों का संरक्षण करती है । नम्रता की रक्षा लिए कठोरता का आवरण अति आवश्यक होता है ।  नारियल का जल और फल दोनों उसकी बाहरी कठोरता से सुरक्षित रहते हैं ।  उक्त विचार गोला बिकास खण्ड के भटनीपार खुर्द गांव में श्री शतचन्डी महायज्ञ में आयोजित  राम कथा के तीसरे दिन अयोध्या से पधारे मानस मर्मज्ञ आचार्य विनोद महाराज ने श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए व्यक्त की। आगे उन्होंने कहा कि जोड़ने के लिए नर्म और जोड़े रखने के लिए सख्त होना ही आपकी चतुर्यता होनी चाहिए।

इसके पूर्व सेवानिवृत शिक्षक शैलेश राम त्रिपाठी एवम् डा. प्रवीण त्रिपाठी ने व्यास पीठ की आरती करके कथा का शुभारंभ किया। आयोजक समिति के मुखिया सेवा निवृत शिक्षक उपेंद्र मिश्र ने सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से देवेंद्र मिश्र, रामनारायण मिश्र, सुबास मिश्र, उमाकांत मिश्र, सोशल मिश्र, शशिधर मिश्र, सत्यप्रकाश यादव, धरणीधर दुबे, श्यामदेव यादव, आनंद मिश्र, रामजनम यादव, अमित मिश्र, शिवप्रसाद मिश्र, रोहित मिश्र, मनोज मिश्र आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।

Tags:

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel