वैक्सीन की आड़ में ‘राजनीति’ देश के लिए घातक ।

वैक्सीन की आड़ में ‘राजनीति’ देश के लिए घातक । संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही । पिछले वर्ष जहां पुरा देश कोरोना महामारी से परेशान रहा और लोगो को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन नये वर्ष के शुरूआत में ही इस महामारी के खिलाफ भारत ने एक बडी उपलब्धि हासिल की।

वैक्सीन की आड़ में ‘राजनीति’ देश के लिए घातक ।

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भदोही । 

पिछले वर्ष जहां पुरा देश कोरोना महामारी से परेशान रहा और लोगो को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन नये वर्ष के शुरूआत में ही इस महामारी के खिलाफ भारत ने एक बडी उपलब्धि हासिल की। और स्वदेशी टीका पूरे देश के लोगो के लिए उपलब्ध हो सका। जो कही न कही भारत के लोगो के लिए गर्व की बात है।

और इसमें सबसे बडी अहम भूमिका देश के वैज्ञानिको और चिकित्सा जगत के लोगो का है जो अपने बीते महिनों के अथक प्रयास से इस मुकाम पर पहुंचे जहां पर कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ वैक्सीन का विकल्प उपलब्ध हो सका।
लेकिन देश में वैक्सीन आ जाने के बावजूद भी कुछ नेता केवल अपनी ‘राजनीति’ चमकाने पर जुटे है।

और देश के वैज्ञानिको द्वारा तैयार की गई इस वैक्सीन पर शक जाहिर करके देश को गुमराह करने पर तुले है। और इसके पीछे केवल एक ही मकसद है वह उनकी गंदी राजनीति। जब तक देश में वैक्सीन की उपलब्धता नही थी तब तक ये नेता सरकार पर वैक्सीन लाने की तारीख पूछते थे

और अब वैक्सीन आ जाने पर वैक्सीन पर ही राजनीतिक रंग देकर देश की जनता को गुमराह करने पर तुले है। हालांकि जनता नेताओं के राजनीतिक स्टंट को जान चूकी है और किसी के बहकावे में कोई नही आयेगा।
भारत के वैज्ञानिको द्वारा खोज की गई स्वदेशी वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा विश्व के अन्य देश व संगठन भारत को बधाई दे रहे है।

क्योकि भारत में इतनी जनसंख्या होते हुए भी यहां की सरकार और जनता ने कोरोना को हराने में बडी ही अहम भूमिका निभाई। यदि विश्व में कोरोना के स्थिति को देखा जाये तो बेशक भारत में संक्रमण का दर बहुत ही कम रह गया है।

जो कही न कही देश के लोगो की जागरूकता और सरकार का दिशा-निर्देश का ही परिणाम है। हालांकि इसे लेकर कुछ लोगो के मन में जलन भी है कि आखिर सरकार की बदनामी कराकर कैसे राजनीति की जाये? इसी की वजह से कुछ नेता है जो सुर्खियों में बने रहने के लिए फालतू बयानबाजी करते है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो बाकायदा बयान देकर कह दिया कि वह कोरोना का वैक्सीन नही लगवायेंगे और उनको स्वदेशी वैक्सीन पर भरोसा नही है। क्योकि यह वैक्सीन भाजपा के शासनकाल की है।

अखिलेश ने कहा कि जब सपा की सरकार आयेगी तो वैक्सीन लगेगी। हालांकि अखिलेश यादव का यह भाजपा से जलन कितना सही है?  यदि सच में अखिलेश को भाजपा से जुड़ी चीजों पर विश्वास नही है तो केवल वैक्सीन से ही दूरी क्यों बाकी चीजों से भी दूरी बनाये तो समझ में आये। अखिलेश को पता होना चाहिए कि जो सुरक्षा है वह भाजपा की देन है,

जो व्यवस्था है वह भाजपा की देन है। उनको यह सब भी छोड देना चाहिए। क्योंकि जब वैक्सीन को लेकर देश को गुमराह कर रहे है तो खुद की सुरक्षा व्यवस्था पर विश्वास क्यों कर रहे है?
भाजपा से जलन इस तरह हो गया है कि वैक्सीन आने पर वैज्ञानिको का धन्यवाद देने के जगह विरोध कर रहे है।

जब देश के जवान पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करते है तो बेचारे भाजपा के जलनवश वीर सैनिको के कार्यों पर सवाल उठाते है। जब अंतरिक्ष में वैज्ञानिक कोई बडी उपलब्धि हासिल करते है तो भाजपा पर सवाल उठाते है। कम से कम देश के हित में होने वाले कार्यो पर तो देश के वैज्ञानिक, जवानों, चिकित्सकों या अन्य के कार्यों को राजनीतिक चश्मे से न देखें।

देश के कुछ नेता ऐसे है जो अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए देश को आग में झोकने से परहेज नही करेंगे बस उन्हें मौका भर मिल जाये। इसका उदाहरण दिल्ली के दंगे, कोरोना महामारी, किसान आंदोलन और अब वैक्सीन पर देश देख चुका है

और आगे भी कुछ नेता अपने राजनीति के लिए देश को बांटने, जलाने और महाभारत कराने पर तुले रहते है। इसकी केवल और केवल एक वजह है कि उनके ही कार्यो से सत्ता छिन चुकी है। और अब मरता क्या न करता की तर्ज पर बेहवजह अखबारों में जगह पाने के लिए उलूल जुलूल बयानबाजी करते है।

हालांकि देश की जनता अब जाग चुकी है और उसी का साथ देगी जो सच में देश का विकास चाहता है न कि जनता उनका साथ देगी जो अपनी राजनीतिक सिद्धी के लिए देश और समाज में जाति-धर्म का जहर घोलते है।
भारत के वैज्ञानिको के अथक प्रयास से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन काफी कारगर साबित हो और देश कोरोना महामारी से पूरी तरह मुक्त हो।

इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार के सभी निर्देश को मानते हुए देशहित को ध्यान में रखकर कोरोना वैक्सीन सभी को लगवाना चाहिये न कि कुछ लोगो के बहकावे में आकर देश के वैज्ञानिक और चिकित्सकों के मेहनत पर सवाल उठाकर उनके मनोबल को गिराना चाहिए।

आज भारत के वैज्ञानिको का लोहा पूरा विश्व मानता है तो भारत के लोग तो और भी गर्मजोशी से देश के सपूतों के कार्यों को सलाम करते हुए और मजबूती प्रदान करेंगे। इसलिए सभी को देश के साथ हमेशा खडे रहने की जरूरत है क्योकि जब देश रहेगा तब ही हम सब रहेंगे। इसलिए खुद से पहले देशहित जरूरी है।

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