जिलाधिकारी ने किया थाना स्थित कान्हा गौशाला का निरीक्षण संबंधित को दिए आवश्यक दिशा निर्देश

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार द्वारा कल देरशाम थाना स्थित कान्हा गौशाला का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को बताया गया कि कान्हा गौशाला में कुल 483 गौवंश है जिसमें गौवंशांें के लिये चार सेड, चार चरही के अतिरिक्त एक नया सेड, दो भूसा गोदाम, तीन पानी की चरही है। जिलाधिकारी

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार द्वारा कल देरशाम थाना स्थित कान्हा गौशाला का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को बताया गया कि कान्हा गौशाला में कुल 483 गौवंश है जिसमें गौवंशांें के लिये चार सेड, चार चरही के अतिरिक्त एक नया सेड, दो भूसा गोदाम, तीन पानी की चरही है। जिलाधिकारी द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार सिंह को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा गया कि गौवंशों को गौशालाओं में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए। गोवंश गीले, कीचड़ आदि में नहीं खड़े होने चाहिए।

उनके बैठने उठने, खाने-पीने आदि की व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गोवंशों के चारा-पानी, भूसा आदि का खास ख्याल रखा जाए। जिलाधिकारी ने गौशाला की साफ-सफाई पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि गौशाला में नियमित रूप से ऐसे साफ-सफाई रहनी चाहिए। गौशाला की आय बढ़ाने के कार्य के संबंध में जिलाधिकारी ने संबंधित को निर्देशित करते हुए कहा कि गोबर को नीलाम कर गौशाला की आय बढ़ाने का कार्य कराने पर जोर दिया जाए। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि गौशाला में 483 गोवंश संरक्षित है जिसमें 2000 स्क्वायर फीट का एक पक्का सेट बनाया गया है।

10 बीघे में चरी बोई हुई है। 2 बीघे में नेपियर घास की जड़े लगाई गई हैं जो कि साल के 12 महीना खेती को हरा भरा रखने में चारे में कोई कमी नहीं रहती हैं। उन्होंने बताया कि समस्त जानवरों को हरा.चारा, भूसा आदि नियमित रूप से खाने को दिया जा रहा है। गौशालाओं में नादों का उपयोग किया जा रहा है। घनजीवामृत तरल जीवामृत जैविक खाद यहाॅ पर तैयार की जा रही है जो बहुत ही उपयोगी है। इससे बन्जर जमीन को उपजाऊ किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यूरिया खाद मानव के सेहत में नुकसान पहुॅचाता है। घनजीवामृत जैविक खाद है,

जिसको अपना कर फसल के उत्पादता को बढ़ाया जा सकता हैं पशुओं के चारे को तैयार करने में भी इस खाद का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि घन जीवामृत तरल जीवामृत का उपयोग कृषि विभाग के कार्यों में बहुत ही उपयोगी है। निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 राजेश कुमार प्रजापति, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार, उपनिदेशक सूचना, गौशाला के समस्त कर्मचारी आदि उपस्थित थे।

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