
गुटखा विक्रेताओं का हब बन गया सुरियावां क्षेत्र का नेहरु नगर ।
गुटखा विक्रेताओं का हब बन गया सुरियावां क्षेत्र का नेहरु नगर । ऊचें दामों पर गुटखा बेच मुनाफा कमा रहे दुकानदार । सरस राजपूत (रिपोर्टर ) सुरियावां भदोही । प्रदेश सरकार ने पान मसाला के उत्पादन व बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके बावजूद सुरियावां नगर क्षेत्र के वार्ड नं (9) नेहरू नगर मे
गुटखा विक्रेताओं का हब बन गया सुरियावां क्षेत्र का नेहरु नगर ।
ऊचें दामों पर गुटखा बेच मुनाफा कमा रहे दुकानदार ।
सरस राजपूत (रिपोर्टर )
सुरियावां भदोही । प्रदेश सरकार ने पान मसाला के उत्पादन व बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके बावजूद सुरियावां नगर क्षेत्र के वार्ड नं (9) नेहरू नगर मे कई किराना दुकानदार व इलेक्ट्रीशियन की दुकान शासन के निर्देश को मानने के लिए तैयार नहीं है। सर्किल क्षेत्र इन दिनों गुटखा विक्रेताओं का हब बना चुका है। दुकानदार किराना का सामान लाने के नाम पर पास बनवाकर वाहनों में गुटखा लोडिंग कर उसे ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं।

आपको बता दें कि इन दिनों फैली बैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते प्रदेश सरकार सभी पान मसाला व गुटखा मे प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद सुरियावां नेहरु नगर इसका प्रमुख अड्ड़ा बन गया है। जनपद के ग्रामीणांचलों मे खुली परचून की दुकानों मे दुकानदार चोरी छिपे गुटखा पान मसाला बेचकर प्रदेश सरकार के आदेशों को ताक मे रखकर ऊंचे दामों में बेचकर लोगों की जेबों मे खुले आम डाका डाल रहे हैं। वही कोरोना वायरस जैसी जानलेवा बीमारी के संक्रमण के फैलने का भरपूर मौका दे रहे हैं। सूत्रों की मानी जाये तो तहसील क्षेत्र के कस्बो में किराना के बड़े बड़े दुकानदारों द्वारा गुटखा प्रतिबंधित होने के बावजूद दो सौ से लेकर तीन सौ पचास रुपये का बेचा जा रहा है। यही विक्रेता ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे दुकानदारों को चोरी छिपे चार सौ रुपये से लेकर साढ़े चार सौ रुपये तक प्रति पैकेट के पैसे लेकर ऊंचे दामो मे बेच रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि बताया तो यहां तक जाता है कि इन विक्रेताओं ने किराना की सामग्री लाने के लिए अपने अपने वाहनों में प्रशासन से पास बनवा रखे हैं, जिसके कारण इन्हीं वाहनों मे गुटखा लोडिंग कराया जाता है। फिर उसे तय स्थान में ले जाकर ऊंचे दामों में बेचकर ग्राहकों की जेबों में डाका डाला जाता है। किराना दुकानदार कालाबजारी करके प्रदेश सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध का मजाक उड़ा रहे है। लेकिन खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को इसकी सुध ही नहीं है।
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