
खाद्य विभाग और कोटेदार के चक्रव्यूह में उलझे गरीब, श्रमिक और मजदूर।
खाद्य विभाग और कोटेदार के चक्रव्यूह में उलझे गरीब, श्रमिक और मजदूर। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। सरकार लाॅक डाऊन को देखते हुए सभी को तीन महिने का नि:शुल्क राशन देने की घोषणा तो कर दी है। लेकिन यह घोषणा भी लापरवाही व मनमानी का शिकार हो गया है। अधिकतर गांवों में लोगों की कोटेदार
खाद्य विभाग और कोटेदार के चक्रव्यूह में उलझे गरीब, श्रमिक और मजदूर।
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही। सरकार लाॅक डाऊन को देखते हुए सभी को तीन महिने का नि:शुल्क राशन देने की घोषणा तो कर दी है। लेकिन यह घोषणा भी लापरवाही व मनमानी का शिकार हो गया है। अधिकतर गांवों में लोगों की कोटेदार को लेकर शिकायत है। और यह शिकायत भी जायज है क्योकि खाद्य विभाग और कोटेदार की मिलीभगत या चाल में एक गरीब साधारण आदमी को उलझने में तनीक देर भी नही लगती। भदोही का डीएसओ कार्यालय की लापरवाही से ही जिले में राशन कार्ड धारकों को परेशान होना पडता है। जिले में भले इस समय अधिकारियों का दौरा होने से विभाग के कर्मचारी भी सही कार्य करते हो लेकिन कार्ड धारकों की समस्या में विभाग और कोटेदार दोनो बराबर के जिम्मेदार है।
लाॅक डाऊन के दौरान सभी कोटे की दुकान पर नोडल नियुक्त किये है जो कोटेदार के साथ सांठगांठ करके जाते ही नही यजाजाते है तो केवल खानापुर्ति करके चल देते है। इसका अभी ताजा उदाहरण एसडीएम ज्ञानपुर के निरीक्षण के दौरान देखा गया जहां पर कई जगह पर नोडल गायब रहे। यह तो केवल एक दिन का मामला था। अक्सर नोडल यही कर रहे है कि कोटेदार के साथ मिलकर जनता और प्रशासन को मूर्ख बनाना चाहते है। सरकार ने साफ साफ स्पष्ट कर दिया है कि जिनके पास अन्त्योदय कार्ड, जाॅब कार्ड या श्रमिक पंजीकरण है उन्हें तीन माह नि:शुल्क राशन मिलेगा। लेकिन यह बात बहुत जगह गलत साबित हो रही है। आलम यह है कि बहुत ऐसे लोग है जिनका जाॅब कार्ड है लेकिन कोटेदार के यहां सूची में नाम न होने से राशन नही मिल रहा है। वही श्रमिक पंजीयन या जाॅब कार्ड ऐसे भी लोगों का बना है जो कभी भी इस तरह का कार्य न किये है और न भविष्य में कर सकते है। लेकिन श्रम विभाग और ग्राम प्रधान जिस पर अपनी कृपा बरसा दिए है उनका नाम श्रमिक पंजीयन या जाॅब कार्ड में आ गया है। एक भदोही जिले में वैसे ही कोटेदार और ग्राम प्रधान के कृपा से ऐसे ऐसे भी लोग अन्त्योदय कार्ड धारक है जो देखने से ही उनके असली गरीबी का पता चल जायेगा लेकिन आज के समय में सभी नियम कानून को ताक पर रखकर अपने खास लोगों को सरकारी लाभ दिलाने का दौर जारी है तो कोटेदार या ग्रामप्रधान इसमें पीछे क्यों न रहे? जिले में न जाने कितने लोगों ने अपने गांव के कोटेदार के खिलाफ शिकायत की है लेकिन कोई खास सुनवाई नही होती है। जांच में जो भी विभाग से कोटेदार के यहां जाता है। वह केवल कोटेदार को बचाने की ही व्यवस्था बना देता है। कुछ मामले में विभाग के लोग भी कोटेदार के साथ सख्ती से पेश आते है जब विभाग के उस कर्मचारी की भी नौकरी जाने का डर बना रहता है। वैसे विभाग की कोटेदार के मिलीभगत की वजह से ही आम आदमी को इतनी परेशानी झेलनी पडती है। लाॅक डाऊन के दौरान सभी गरीब, श्रमिक व मजदूर को तीन महिने तक नि:शुल्क राशन देने का प्रावधान है। लेकिन कहीं कहीं यह भी प्रश्न आ रहा है किस कार्ड पर कितना कितना कौन कौन सामान मिलेेगा? और इसी उहापोह में सभी लोग परेशान है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली तभी सफल होगा जब विभाग के लोग ईमानदारी के साथ आम जनता की बातों को सुनकर अमल करेंगे न की केवल कोटेदार से मिलकर लीपापोती। वैसे सभी को हक है कि किसी तरह की गडबडी समझ मे विभाग को या ट्रोल फ्री नंबर पर अपनी सस्या बताये।
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