डीपीआरओ: राज्य व चौदहवें वित्त की धनराशि स्वीकृति के लिए 4 प्रतिशत कमीशन की वसूली

डीपीआरओ: राज्य व चौदहवें वित्त की धनराशि स्वीकृति के लिए 4 प्रतिशत कमीशन की वसूली

शासन द्वारा 100 करोड़ से अधिक बजट किया गया जारी पंचायती राज विभाग में जमकर चल रहा भ्रष्टाचार ललितपुर। जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार केा रोकने के लिए शासन द्वारा फेरबदल तो किया गया। किन्तु हालत सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं, नवांगुतक जिला पंचायत राज अधिकारी ने तो सभी सीमाओं


शासन द्वारा 100 करोड़ से अधिक बजट किया गया जारी


पंचायती राज विभाग में जमकर चल रहा भ्रष्टाचार


ललितपुर।

जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार केा रोकने के लिए शासन द्वारा फेरबदल तो किया गया। किन्तु हालत सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं, नवांगुतक जिला पंचायत राज अधिकारी ने तो सभी सीमाओं को पार कर दिया है। वर्तमान में विभाग में खुलेआम कमीशनबाजी चल रही है। सूत्रों की मानें तो विभाग द्वारा राज्य वित्त व चौदहवें वित्त आयोग तहत शासन द्वारा भेजी गयी धनराशि को ग्राम पंचायतों निर्गत कराने के लिए चार प्रतिशत कमीशन की खुलेआम वसूली की जा रही है। साथ ही जब तक कमीशन की धनराशि नही मिल जाती, तब तक ग्राम पंचायतोंं मेंं वित्तीय स्वीकृति जारी नही की जाती। जिस कारण जन प्रतिनिधियोंं को काफी परेशानियोंं को सामना करना पड़ रहा है।


जनपद ललितपुर मेंं 6 विकासखण्ड है, इन विकास खण्डोंं के अन्तर्गत 416 ग्राम पंचायतें आती है। इन ग्राम पंचायतों को विकास के लिये वित्तीय संसाधन व आवश्यक बजट पंचायती राज विभाग के अधीन आने वाले जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। ग्राम पंचायतोंं को विकास के लिये आवश्यक बजट चौदहवें वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग व निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रक्रिया के अनुसार ग्राम पंचायतें विकास कार्यो की परियोजना तैयार करती है और बजट की मांग के लिये जिला पंचायत राज अधिकारी के पास अपनी परियोजना उपलब्ध कराती है। इसके बाद जिला पंचायत राज अधिकारी ग्राम पंचायतों के पक्ष मेंं वित्तीय स्वीकृति जारी करते है। सूत्रों की माने तो वर्तमान मेंं ग्राम पंचायतों को चौदहवेें वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत वित्तीय स्वीकृति जारी करने मेंं 4 प्रतिशत कमीशन की मांग की जा रही है।

जब तक उक्त कमीशन प्राप्त नही हो जाती है तब तक जिला पंचायत राज अधिकारी के इस भ्रष्ट व हिटलरशाही रवैये से ग्रामीण जनप्रतिनिधि काफी परेशान है। क्योंकि जनपद की ग्राम पंचायतों को हर वर्ष करोड़ो रूपये विकास के लिये इन योजनाओंं के अन्तर्गत उपलब्ध कराया जाता है।


वित्तीय वर्ष 2019-20 मेंं जनपद की 6 विकासखण्ड के अन्तर्गत आने वाली 416 ग्राम पंचायतों को चौदहवें वित्त आयोग के अन्तर्गत अब तक 88 करोड़ 64 लाख रूपयेंं की वित्तीय स्वीकृति जारी हुई है। जिसमेंं विकासखण्ड बार की 42 ग्राम पंचायतों के लिये 16 करोड़ 11 लाख रूपयें की, विकासखण्ड बिरधा की 83 ग्राम पंचायतों के लिये 18 करोड़़ 26 लाख रूपये, विकासखण्ड जखौरा की 86 ग्राम पंचायतों के लिये 19 करोड़ 68 लाख रूपये, विकासखण्ड मड़ावरा की 65 ग्राम पंचायतोंं के लिये 13 करोड़ 76 लाख रूपयें, विकासखण्ड महरौनी की 66 ग्राम पंचायतों के लिये 13 करोड़ 31 लाख रूपये व विकासखण्ड तालबेहट की 54 ग्राम पंचायतों के लिये 15 करोड़ 10 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति अब तक जारी की गयी है। इसी प्रकार राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत जनपद की सभी ग्राम पंचायतों को लगभग 10 करोड़ रूपये से अधिक वित्तीय स्वीकृति जारी की गयी है।

जिसमेंं विकासखण्ड बार की ग्राम पंचायतों के लिये 1 करोड़ 80 लाख रूपये, विकासखण्ड बिरधा की ग्राम पंचायतोंं के 2 करोड़ 67 लाख रूपये, विकासखण्ड जखौरा की ग्राम पंचायत के लिये 2 करोड़ 39 लाख रूपये, विकासखण्ड मड़ावरा की ग्राम पंचायतोंं के लिये 2 करोड़ 19 लाख रूपये, विकासखण्ड महरौनी की ग्राम पंचायतों के लिये 2 करोड़ 66 लाख रूपये, विकासखण्ड तालबेहट की ग्राम पंचायतों के लिये 2 करोड़ 40 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति मार्च माह तक के लिये जारी की गयी है। दोनों योजनाओं को बजट लगभग 1 अरब रूपये से ऊपर है।

निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत अलग से बजट उपलब्घ कराया जाता है। आंकड़ो से स्पष्ट है कि किस प्रकार डीपीआरओं विभाग की अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार कर करोड़ो रूपये का कमीशन लिया जा रहा है। कई जनप्रतिनिधियों ने दबी जुबान से स्वीकार की वित्तीय स्वीकृति जारी करने वाला अधिकारी उनके घर तक जा कर कमीशन ले रहे है। इन अधिकारियों के भ्रष्ट रवैये से स्पष्ट है कि यह ईमानदार योगी सरकार की छवि को बदनाम करने का कार्य कर रहे है। जिसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री से की गयी है।


होली से पूर्व हो चूकी है 10-10 हजार रूपये की वसूली


पंचायती राज विभाग के जिस अधिकारी पर वित्तीय स्वीकृति जारी करने के एवज मेंं 4 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप लग रहे है। उनकी तैनाती फरवरी माह मेंं ही शासन द्वारा डीपीआरओ के पद पर की गयी है। अभी होली पर्व के दौरान यह ग्राम पंचायतों से 10-10 हजार रूपये अवैध धन वसूली को लेकर भी चर्चा मेंं रहे है। पंचायत सचिवों के माध्यम से ग्राम पंचायतोंं से अवैध धन वसूली का टारगेट फिक्स किया गया था। कई ग्राम पंचायतों से 10-10 हजार की वसूली हो गयी थी और कई से होना बाकि थी परन्तु इसी दौरान कोरोना वायरस के कारण लॉक डाउन हो गया और सभी उसमें ही व्यस्त हो गये। जिस कारण पूरी ग्राम पंचायतों से यह वसूली नही सकी।

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