फिर एक बार योगी सरकार जातिवाद के कटघरे में खड़ी

फिर एक बार योगी सरकार जातिवाद के कटघरे में खड़ी

– योगी द्वारा अखिलेश पर लगाया जातिवाद का आरोप निकला था झूठा उरई जालौन। वर्ष 2014 में कई सालों बाद एक बार फिर बीजेपी सरकार ने केंद्र में वापसी करी थी।यह सरकार एनडीए और बीजेपी की गठबंधन की सरकार बनी थी। इसमें जातिवाद पूर्णता हावी रहा था। मोदी सरकार द्वारा कई विकासशील कार्य किए गए।

– योगी द्वारा अखिलेश पर लगाया जातिवाद का आरोप निकला था झूठा

उरई जालौन। वर्ष 2014 में कई सालों बाद एक बार फिर बीजेपी सरकार ने केंद्र में वापसी करी थी।यह सरकार एनडीए और बीजेपी की गठबंधन की सरकार बनी थी।  इसमें जातिवाद पूर्णता हावी रहा था। मोदी सरकार द्वारा कई विकासशील कार्य किए गए। जिसमें जनता ने खुश होकर दोबारा 2019 में फिर से मोदी सरकार को एक बार फिर केंद्र में मौका दिया। और इस बार मोदी सरकार की पूर्ण बहुमत की सरकार थी। जिससे खुश होकर खुद प्रधानमंत्री दामोदर दास नरेंद्र मोदी ने एक नारा दिया था। सबका साथ- सबका विकास- सबका सबका विश्वास। ये नारा सभी वर्ग के लिए था। क्योंकि उनके कामों से खुश होकर हर वर्ग ने उन्हें वोट दिया था।

कद्दावर नेता अपना गढ़ भी नहीं बचा पाए थे। क्योंकि मोदी सरकार की विकास की आंधी कुछ ऐसी थी कि हर वर्ग उन्हें विश्वसनीय नजर से देख रहा था। उसके बाद बारी उत्तर प्रदेश की आई जहां पर भाजपा के प्रचार प्रसार और मोदी के विकास छवि को लेकर उत्तर प्रदेश में फिर से बीजेपी सरकार को एक मौका 2017 में दिया। 5 जून 1972 में जन्म लेने वाले गोरखपुर के प्रमुख  गोरखनाथ मंदिर के महंत तथा राजनेता रहे। योगी आदित्यनाथ को बीजेपी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नारे पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सरकार अपनी हिंदुत्ववादी सोच से चलाई। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट से योगी आदित्यनाथ सांसद भी रहे। योगी आदित्यनाथ एक कट्टरवादी हिंदू नेता भी हैं।

जो हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। अपने विवादित बयानों से लेकर कई अनोखे कार्यों के लिए सुर्खियां बटोरने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर जातिवाद के मुद्दे पर सुर्खियां बटोर रहे। अखिलेश सरकार पर जातिवाद का आरोप लगाने वाले योगी आदित्यनाथ के ऊपर फिर जातिवाद का आरोप लग रहा।दरअसल, बुधवार को योगी सरकार की तरफ़ से उन्नाव जिले में शासकीय अधिवक्ताओं की 9 नियुक्ति की गई हैं। इन 9 पदों में 8 नियुक्तियां ब्राहमण जाति से की हैं, जबकि एक नियुक्ति कायस्थ जाति से की गई है। ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों का नामों निशान तक नहीं है। इसके बाद भी पूरी बीजेपी के बड़े नेता और योगी सरकार ‘महात्मा’ बनकर मीडिया के सामने बयान दे देंगे कि हमारी सरकार न जातिवाद करती है और न जातिवाद को बढ़ावा देती है।

इसके बाद फिर क्या था विपक्ष के साथ कई आम जनता के वरिष्ठ लोगों ने योगी सरकार पर जातिवाद का आरोप लगाया और सरकारी महकामो में ब्राह्मणों की नियुक्ति को लेकर योगी सरकार से कई सवाल भी पूछ डाले। जब सुबह में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अखिलेश सरकार पर जातिवाद का आरोप लगता रहा लेकिन क्या यह आरोप सही था हर बार योगी द्वारा अखिलेश सरकार पर जातिवाद का आरोप लगाया  तब अखिलेश ने जवाब दिया की इनके द्वारा लगाए जा रहे। सारे आरोप बेबुनियाद हैं। इसकी जांच करा लीजिए आरोप लगाने से पहले जांच के बाद सच्चाई कुछ और ही निकली थी।

जो हमारी लेखनी में आगे लिखी हुई है। आज हैरान करने वाली बात है कि यूपी में इतनी बड़ी आबादी वाली ओबीसी जातियों में से एक (यादव जाति) के एक भी यादव डीएम और एसपी नहीं हैं!एक सवाल यहां बनता है कि अगर अखिलेश सरकार में इतने सारे यादव डीएम और एसपी थे तो अब योगी सरकार में ये कहाँ गए? क्या BJP की योगी सरकार ने जातिगत भेदभाव करते हुए उन्हें हटा दिया? अगर इस जाति के अधिकारी नहीं है तो अब यूपी में योगी सरकार में किस जाति के डीएम और एसपी मौजूद हैं? गौरतलब है कि अखिलेश सरकार में बीजेपी ने प्रोपेगेंडा फैलाकर आरोप लगाया था कि उन्होंने 86 एसडीएम में से 56 यादवों की भर्ती की है।

लेकिन बाद में बीजेपी का ये आरोप झूठा साबित हुए था।  योगी सरकार में जातिवाद को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने भाषण में कहा था कि, “हमपर BJP ने आरोप लगाया कि हमारी सरकार ने भेदभाव किया था। बीजेपी ने कहा था कि ये यादवों की सरकार है। लेकिन योगी सरकार में इस समय एक भी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (DM) और एसपी यादव नहीं हैं। बीजेपी से बड़ी जातिवादी पार्टी इस देश में कोई नहीं है। जिसने जाति और धर्म में बांटा। जैसे अंग्रेज करते थे वैसे ही बीजेपी बांटो और राज करो करती है। ऐसा नहीं कि योगी सरकार पर यह पहला कोई आरोप लग रहा है। इससे पहले भी कई आरोप लग चुके ।

लेकिन योगी सरकार उन आरोपों को नकारते हुए अपने काम में जुटी रही। कुछ समय पहले शुभा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी जातिवाद को लेकर विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस अधिकारी व थानों में खास लोगों की तैनाती की जा रही। वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही अपना दल के कुछ नेताओं ने अमित शाह से मिलकर इस बात की शिकायत की थी और उन्होंने कहा था कि थाना और पुलिस अधिकारियों में हर जाति के लोगों को मौका मिलना चाहिए। लेकिन योगी सरकार ने उसे नकारते हुए जातिवाद की राजनीति पर हावी रहे।

“उन्नाव में नियुक्त किए गए अधिवक्ताओं के नाम शैलजा शरण शुक्ला (जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), योगेन्द्र कुमार तिवारी (जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व), विनोद कुमार त्रिपाठी (जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), चन्द्रिका प्रसाद वाजपेयी (अपर जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), प्रशांत त्रिपाठी (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दीवानी), अनिल त्रिपाठी (जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), प्रदीप श्रीवास्तव (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी), हरीश अवस्थी (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) और विनय शंकर दीक्षित ( सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी) हैं।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel