मोदी के इजलास में सिंधिया

मोदी के इजलास में सिंधिया

नरेंद्र मोदी की कोई राजनीतिक विरासत नहीं है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की है



स्वतंत्र प्रभात-
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की कोई राजनीतिक विरासत नहीं है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की है ,बावजूद इसके वक्त का तकाजा देखिये कि सिंधिया को अपनी विरासत की रक्षा के लिए सपरिवार मोदी के इजलास में हाजरी लगाना पड़ रही है .प्रधानमंत्री जी के साथ सिंधिया परिवार की इस तस्वीर को देखकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है लेकिन मै इस तस्वीर को बहुत ही सामान्य घटना मानकर चलता हूँ .

School Closed: 14 दिसंबर तक सभी स्कूल रहेंगे बंद, जानें क्या है वजह  Read More School Closed: 14 दिसंबर तक सभी स्कूल रहेंगे बंद, जानें क्या है वजह

Vivo का यह फोन 10 हजार रुपये हुआ सस्ता, मिलेगा 200 मेगापिक्सल कैमरा  Read More Vivo का यह फोन 10 हजार रुपये हुआ सस्ता, मिलेगा 200 मेगापिक्सल कैमरा


दरअसल आजादी के बाद से देश की राजनीति में सिंधिया एक स्थायी कारक हैं .आजादी के समय ग्वालियर रियासत के  अंतिम विधिक शासक जीवाजी राव सिंधिया की पत्नी स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के मंच पर चढ़कर राजनीति शुरू की थी .असमय महारानी से राजमाता बनीं विजयाराजे सिंधिया अपनी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी   अपने इकलौते बेटे माधवराव सिंधिया को बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के इजलास में सपरिवार हाजिर होतीं ,इससे पहले ही उनका कांग्रेस से मोह भंग हो गया और इंदिरा गाँधी के साथ उनकी पारिवारिक तस्वीर नहीं बन पायी .


संयोग देखिये की राजमाता ने अपने बेटे को जनसंघ के मंच से राजनीति में उतरा लेकिन वे एक दशक में ही उसी कांग्रेस के मंच पर चढ़ गए जिस पर चढ़कर खुद राजमाता ने राजनीति शुरू की थी .सिंधिया परिवार की जो तस्वीर 1971  में इंदिरा गाँधी के साथ नहीं बन पायी थी वो तस्वीर माधवराव सिंधिया ने इंदिरा गाँधी के साथ 1980  में खिंचवा ली .ऐसी ही तस्वीर माधवराव सिंधिया के अचानक निधन के बाद एक बार फिर 2000  में कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमती सोनिया गाँधी के साथ भी बनी .ये तमाम तस्वीरें स्वाभाविक हैं .इन्हें लेकर अटकलें लगाने वाले निर्दोष लोग हैं .सिंधिया परिवार के लिए देश का कोई प्रधानमंत्री अलभ्य नहीं है .पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सिंधिया परिवार की अनदेखी नहीं कर सके ,.पीव्ही नरसिम्हाराव ने ऐसा  करने की भूल की थी लेकिन उसे वक्त रहते सुधार लिया गया .

Toll Tax: टोल सिस्टम में बड़ा बदलाव, अब इस तरह होगा भुगतान  Read More Toll Tax: टोल सिस्टम में बड़ा बदलाव, अब इस तरह होगा भुगतान


राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों ने सिंधिया परिवार की ऐसी तस्वीरें राजीव गाँधी के साथ भी देखी  होंगी और डॉ मनमोहन सिंह के   साथ भी .अटल बिहारी के साथ तो देखी ही होंगी .बाकी देश का शायद ही कोई ऐसा प्रधानमंत्री होगा जिसने सिंधिया परिवार के साथ खड़े होकर तस्वीर  खिंचवाने में गर्व महसूस न किया हो . जब हम जैसे लोगों को सिंधियाओं के साथ तस्वीर खिंचवाने में मजा आता था तब प्रधानमंत्री तो प्रधानमंत्री हैं .उनके लिए तो ये शिष्टाचार ही है .


केंद्रीय मंत्री,राज्य सभा के सदस्य और कुल दो साल पहले भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को सपरिवार प्रधानमंत्री से क्यों मिलना पड़ा . राजनीति के पंडित कहते हैं कि वे अपने बेटे महाआर्यमन सिंधिया को राजनीति में प्रवेश दिलाने के लिए मोदी की शरण में गए ,क्योंकि मोदी जी ने हाल ही में पार्टी की बैठक में कुछ सांसदों के पुत्रों के टिकिट काटने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली थी .ऐसे में सिंधिया के ऊपर पर भी ये फार्मूला दो साल बाद लागू न हो जाये ,शायद ये आशंका सिंधिया को मोदी के इजलास में ले गयी हो ? लेकिन मै इसे कोरी अटकल मानता हूँ . 2024  न सिंधिया ने देखी है और न मोदी ने इसलिए अभी   से इस विषय पर बात करना कोरा मन बहलाव करना है .


मुझे लगता है की सिंधिया अपने बेटे के साथ मोदी जी को किसी पारिवारिक निमंत्रण देने के लिए गए होंगे .उनके यहां किसी भी समय कोई पारिवारिक कार्यक्रम संभावित   है .दूसरे बेटे के भविष्य के लिए आशीर्वाद लेना भी इस भेंट का मकसद हो सकता है ,क्योंकि सिंधिया खानदान की परमपरा रही है कि पिता अपनी अर्धशती पार करते ही अपने उत्तराधिकारी के लिए सक्रिय हो जाता है .स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने भी ऐसा ही किया था ,दुर्भाग्य से वे एक यान दुर्घटना का शिकार बन गए थे .ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसी पारिवारिक मिथक के चलते अपने सामने ही अपने बेटे को अपने पांवों पर राजनीति में खड़ा होते देखना चाहते हैं


जैसा की मैंने पहले ही कहा की 2024  अभी किसी ने नहीं देखी ,लेकिन एक बात तय है कि 2024  में महाआर्यमन सिंधिया लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे .वे ये चुनाव अपने पिता के साथ लड़ेंगे या अकेले अभी कहा नहीं जा सकता .अतीत में राजमाता सिंधिया और उनके बेटे माधवराव सिंधिया एक साथ लोकसभा में बैठने का कीर्तिमान बना चुके हैं .मुमकिन है की ये दृश्य 2024  में फिर से दोहराया जाये और पिता-पुत्र दोनों एक साथ एक ही दल के सांसद के रूप में लोकसभा में बैठें ,और ये भी हो सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया बेटे के लिए लोकसभा का चुनाव लड़ें ही न और राज्य सभा में ही रहना पसंद करें .


बहरहाल ये अटकलें हैं. अटकलें सिर्फ  अटकलें होती हैं.मुमकिन है कि सिंधिया मोदी जी को अपने बेटे के विवाह के लिए बरात में आने का न्यौता देने गए हों .मुक्किन है कि मोदी जी को अपने यहां रात्रि भोज पर आमंत्रित करने गए हों .अब मोदी जी भले ही सिंधिया की तरह कोई पूर्व राजघराने से नहीं हैं लेकिन वर्तमान में तो देश के प्रधानमंत्री हैं ही .वे प्रधानमंत्री होने के साथ गांव-गोंड़े  के नाते ज्योतिरादित्य सिंधिया के रिश्तेदार भी हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की ससुराल गुजरात में हैं .मोदी जी भी गुजराती हैं इस नाते एक रिश्ता तो बनता ही है गुजरात के जिस राजघराने से सिंधिया का रिश्ता है गुजरात की राजनीती में उस घराने का भी खासा रसूख है .मोदी जी को उसका लिहाज भी करना ही है .


देश में सिंधिया के समर्थकों के लिए आज के अखबारोंमें छपी ये तस्वीर एक सुखद सन्देश देती है ,उन्हें आश्वस्त करती है की सिंधिgया इस समय देश की राजनीति की मुख्यधारा के साथ हैं .उन्हें भविष्य को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है .इस देश में लोकतंत्र भले सौ साल का हो जाये अभी उसमें इतना बल नहीं आया है की वो संतवाद की झोल को उतार फेंके .इसलिए मोदी और सिंधिया की तस्वीर को लेकर अटकलें लगना बंद कीजिये और मान लीजिये की तस्वीर के साथ कोई न कोई शुभ जुड़ा है .
@ राकेश अचल 

Tags:

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel