सुप्रीम कोर्ट ने माना  केंद्र सरकार की आक्सीजन आबंटन में भेदभाव की नीति

सुप्रीम कोर्ट ने माना  केंद्र सरकार की आक्सीजन आबंटन में भेदभाव की नीति

विशेषज्ञों की टास्क फोर्स गठित की। स्वतंत्र प्रभात । प्रयागराज न्यूरो। उच्चतम न्यायालय ने मान लिया कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन के आवंटन में राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है। दरअसल मोदी सरकार आक्सीजन के देशव्यापी वितरण की भंडारी बन बैठी है और मनमाने ढंग से राज्यों को आक्सीजन का आवंटन कर

विशेषज्ञों की टास्क फोर्स गठित की।

स्वतंत्र प्रभात ।
‌‌प्रयागराज न्यूरो।
‌ उच्चतम न्यायालय ने मान लिया कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन के आवंटन में राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है। दरअसल मोदी सरकार आक्सीजन के देशव्यापी वितरण की भंडारी बन बैठी है और मनमाने ढंग से राज्यों को आक्सीजन का आवंटन कर रही है,
              जिससे क्षुब्ध होकर कई राज्य अपने-अपने प्रदेश के उच्च न्यायालयों में चले गये हैं। स्थिति की गम्भीरता का अंदाजा केवल एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि दिल्ली हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट के आक्सीजन कोटा को बढ़ाने के आदेश का भी अनुपालन केंद्र सरकार नहीं करना चाहती है। मामले उच्चतम न्यायालय में भी पहुंचने शुरू हो गये हैं और यहाँ भी केंद्र सरकार डिफाल्टर साबित हो रही है। उच्चतम न्यायालय ने इसके लिये एक टास्क फ़ोर्स बना दी है जो आने वाले दिनों में इस काम को अपने हाथ में ले लेगी। इस फ़ैसले ने एक बात पूरी तरह साफ कर दिया है कि मोदी  सरकार कोरोना संकट से निपटने में पूरी तरह अक्षम है और इससे निपटने के लिए पूरी तरह लापरवाह रही है।
‌उच्चतम न्यायालय ने टास्क फोर्स गठित करते हुए कहा कि विशेषज्ञों की ये टीम इस वजह से तैयार करनी पड़ी, ताकी महामारी के इस मुश्किल वक्त में देश का भला हो सके। उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को एक 12 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया है। यह टास्क फोर्स पूरे देश के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता, उपलब्धता और वितरण के आधार पर मूल्यांकन करने का काम करेगी। टास्क फोर्स का उद्देश्य है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर हो।
‌इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से मिल रहे ऑक्सीजन पर राज्यों की जवाबदेही तय करने की भी जरूरत बताई है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्यों की मांग और वहां की वितरण व्यवस्था के आकलन के लिए हर राज्य का ऑक्सीजन ऑडिट करवाया जाएगा। ऑडिट करने का उद्देश्य जवाबदेही, ऑक्सीजन का समय पर गंतव्य तक पहुंचना, अस्पतालों को इसे उपलब्ध कराना है। जब तक टॉस्कफोर्स सिफारिशें नहीं देता है, केंद्र तब तक ऑक्सीजन के आवंटन का मौजूदा अभ्यास जारी रहेगा। दिल्ली, कर्नाटक समेत कई राज्य ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर शिकायत कर रहे हैं।
‌जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने कहा कि एक आम सहमति बन गई है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर किया जाए। इसी समय, लचीलेपन के लिए उन आपात स्थितियों के कारण अप्रत्याशित मांगों को पूरा करने की अनुमति देनी चाहिए, जो आवंटित क्षेत्रों के भीतर उत्पन्न हो सकती हैं।
‌पीठ ने कहा कि यह आवश्यक है कि कोविड-19 महामारी के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिकित्सा ऑक्सीजन आवंटित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के भीतर एक प्रभावी और पारदर्शी तंत्र स्थापित किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स (राष्ट्रीय कार्य बल) गठित करने पर सहमति व्यक्त की है। इस टास्क फोर्स को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन के वैज्ञानिक आवंटन के लिए एक कार्यप्रणाली तैयार करने के साथ अन्य चीजों का काम सौंपा जाएगा।
‌पीठ ने कहा कि इस टास्क फोर्स की स्थापना से निर्णय लेने वालों को इनपुट प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पीठ ने कहा कि महामारी के संभावित भविष्य के पाठ्यक्रम पर वर्तमान समय में विचार किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य की अनुमानित आवश्यकताओं को वर्तमान में वैज्ञानिक रूप से मैप किया जा सकता है और प्राप्त अनुभवों के प्रकाश में इसे संशोधित किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि टास्क फोर्स वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर राज्यों को ऑक्सीजन के लिए कार्यप्रणाली तैयार करेगी।
‌टास्क फोर्स में शामिल सदस्य इस प्रकार हैः डॉ. भबतोष विश्वास, पूर्व कुलपति, (पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता), डॉ. देवेंद्र सिंह राणा, अध्यक्ष, प्रबंधन बोर्ड, (सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली), डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी, अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक, (नारायण हेल्थकेयर, बेंगलुरू), डॉ. गगनदीप कांग, प्रोफेसर, (क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु), डॉ. जे वी पीटर, निदेशक, (क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु), डॉ. नरेश त्रेहान, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, (मेदांता अस्पताल और हृदय संस्थान, गुरुग्राम), डॉ. राहुल पंडित, निदेशक, क्रिटिकल केयर मेडिसिन और आईसीयू, फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड (मुंबई) और कल्याण (महाराष्ट्र)।
‌इनके अलावा डॉ. सौमित्र रावत, अध्यक्ष और प्रमुख, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और लिवर प्रत्यारोपण विभाग, (सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली)। डॉ. शिव कुमार सरीन, वरिष्ठ प्रोफेसर और हेपेटोलॉजी विभाग के निदेशक, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंस (आईएलबीएस), दिल्ली, डॉ. जरीर एफ उदवाडिया, कंसल्टेंट चेस्ट फिजिशियन, हिंदुजा हॉस्पिटल, ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल और पारसी जनरल हॉस्पिटल, मुंबई। सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (पदेन सदस्य), और केंद्र सरकार का कैबिनेट सचिव इस राष्ट्रीय कार्य बल का संयोजक होगा।
‌पीठ ने कहा कि यह टास्क फोर्स केंद्र सरकार के मानव संसाधनों को परामर्श और जानकारी तैयार करने के लिए स्वतंत्रता होगी। इसके अलावा ये टीम काम करने के अपने तौर-तरीके अपना सकती है। पीठ ने कहा कि विशेषज्ञों की ये टीम इस वजह से तैयार करनी पड़ी, ताकी महामारी के इस मुश्किल वक्त में देश का भला हो सके। टास्क फ़ोर्स एक हफ्ते में काम करना शुरू कर देगी और केंद्र सरकार को सलाह देगी की किस राज्य को कितना ऑक्सीजन देना है। टास्क फ़ोर्स राज्य के बदलते हालात का आकलन करने के बाद सरकार को ऑक्सीजन के बाबत सलाह देगी। नेशनल टास्क फोर्स छः महीने तक काम करेगा।  टास्क फ़ोर्स  हर राज्य के लिए एक ऑक्सीजन ऑडिट कमिटी का भी गठन करेगी जो की उस राज्य में ऑक्सीजन के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित करेगी। इसका मकसद ये देखना है कि राज्य जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की मांग न करें और ऑक्सीजन का गलत इस्तेमाल न हो। दिल्ली के लिए ऑडिट कमिटी का गठन उच्चतम न्यायालय ने कर दिया है। इसमें एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर संदीप बुधिराजा और दो आईएएस अधिकारी होंगे।
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