निर्भया केस: क्या 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी, राष्ट्रपति तक पहुंची दोषी मुकेश की दया याचिका…

निर्भया केस: क्या 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी, राष्ट्रपति तक पहुंची दोषी मुकेश की दया याचिका…

स्वतंत्र प्रभात – खबर मिली है कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों में से मुकेश की दया याचिका को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति भवन भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी मुकेश सिंह ने दया याचिका लगाई थी। अब राष्ट्रपति इस दया याचिका पर निर्णय करेंगे।

स्वतंत्र प्रभात –

खबर मिली है कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों में से मुकेश की दया याचिका को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति भवन भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी मुकेश सिंह ने दया याचिका लगाई थी। अब राष्ट्रपति इस दया याचिका पर निर्णय करेंगे।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति भवन को भेजी अपनी सिफारिश और नोटिंग में कहा है कि फांसी की सजा बरकरार रखी जाए। गृह मंत्रालय की सिफारिश और नोटिंग के आधार पर अब राष्ट्रपति को इस याचिका पर निर्णय लेना है। राष्ट्रपति के निर्णय के बाद फैसले की जानकारी आरोपी तक पहुंचाने के लिए उसी प्रक्रिया को अपनाया जाता है, जिसके तहत यह कैदी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचती है।

जैसा ज्ञात है कि एक दिन पहले ही निर्भया की मां ने दोषियों की फांसी में विलंब के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया था। निर्भया की मां ने केजरीवाल सरकार पर उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए 22 जनवरी की तारीख और सुबह 7।00 बजे का समय मुकर्रर करते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया था। कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने के लिए सात दिन का समय दिया था। आरोपियों ने इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया था।

क्या ? 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी!

यदि राष्ट्रपति यदि दया याचिका खारिज भी कर देते हैं, तो भी निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाना मुश्किल ही नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार दोषियों को दया याचिका खारिज होने के बाद 15 दिन तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता। आरोपियों की ओर से डेथ वारंट पर रोक के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने भी यही तर्क देते हुए याचिका को गैरवाजिब बताया था।

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