जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ है लंबा खेल बिना आवास बने ही निकाला गया पैसा

जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ है लंबा खेल बिना आवास बने ही निकाला गया पैसा

स्वतंत्र प्रभातअम्बेडकर नगर बसखारी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब व असहाय लोगों को आवास मुहैया कराने का काम कर रही है जिससे गरीब असहाय लोगों को रहने की व्यवस्था हो सके। लेकिन वही अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव द्वारा गरीब असहाय लोगों के नाम

स्वतंत्र प्रभात
अम्बेडकर नगर बसखारी

सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब व असहाय लोगों को आवास मुहैया कराने का काम कर रही है जिससे गरीब असहाय लोगों को रहने की व्यवस्था हो सके। लेकिन वही अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव द्वारा गरीब असहाय लोगों के नाम पर कागजात में लिखित रूप से रहने के लिए आवास तो दे दिया जाता है। लेकिन आवास के नाम पर आए हुए पैसों का बंदरबांट कर लेते हैं और गरीबों असहाय लोगों को ग्राम प्रधान व ग्राम सचिव द्वारा हीला हवाली करते हुए उन्हें गुमराह कर दिया जाता है और वह झोपड़पट्टी में रहने के लिए विवश हैं|

अगर इसकी शिकायत कोई पीड़ित किसी उच्च अधिकारी से करता है तो उसे अधिकारियों द्वारा जांच करवाने का हवाला देकर उसे गुमराह कर दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला बसखारी विकासखंड क्षेत्र के पड़रिया फौलादपुर गांव का हैं जहां कागजात में चारों तरफ विकास ही विकास दिखाई दे रहा है वही जब उस ग्राम सभा में आज स्वतंत्र प्रभात की टीम ने पहुंच कर देखा तो उस ग्राम सभा के विकास कार्यों को देख कर होश उड़ गए। वहां ना तो खड़ंजा का निर्माण हुआ था वहा कुछ ऐसे गरीब तबके के लोग मिले जिनके नाम पर कागजात में आवास बनकर तैयार हो गया है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी|

आज जब स्वतंत्र प्रभात की टीम ने उन गरीबों से बात किया तो आइए देखते हैं उन्होंने क्या कहाँ वहीं पूनम उपाध्याय ने बताया कि उन्हे किस तरह धोखे में रखा गया है हमे सिर छिपाने की जगह तक नहीं है ग्राम प्राधान ने गांव में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया हैं और आवास तो दूर की बात है लेकिन जब प्रधान को वोट लेना होगा तो आएंगे उसके बाद अपना चेहरा तक भी नहीं दिखाते|
वही उर्मिला ने बताया कि मेरा आवास दो बार आया थालेकिन प्रधान द्वारा हमे नहीं दिए गए। दूसरे को दे दिए उस गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बंदरबांट किया गया।

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