सफलता का अँधेरा: जब सब कुछ है, पर कुछ भी नहीं

सफलता की असली परीक्षा: अकेलापन और रिश्ते

सफलता का अँधेरा: जब सब कुछ है, पर कुछ भी नहीं

सच्ची सफलता: केवल ऊँचाई नहीं, साथ देने वाले हाथ

सफलताएक ऐसा शब्द जो सुनते ही आँखों में चमक भर देता है। मंच पर रोशनीतालियों की गूँजमहँगी गाड़ियाँआलीशान घर और हर तरफ़ तारीफों की बारिश। समाज इसे केवल मुकाम नहींबल्कि मुकुट समझता है। जिसे यह मिल जाएवही पूर्ण माना जाता है। लोग सफलता को सबसे बड़ी दौलत मानते हैंऔर इसके लिए इंसान अपनी ज़िंदगी की हर छोटी ख़ुशी को पीछे छोड़ देता है। लेकिन इस चमकदार तस्वीर के पीछे एक अनकहा साया भी चलता हैजिसे बहुत कम लोग देखना चाहते हैं। सफलता की ऊँचाई पर पहुँचते ही इंसान एक अजीब खामोशी में खो जाता है। आवाज़ें दूर चली जाती हैंहँसी फीकी पड़ जाती हैऔर भीतर एक ठंडीसुनसान रात उतर आती है। यही वह क्षण है जब चमक के बीच अकेलेपन का अँधेरा धीरे-धीरे फैलने लगता हैऔर इंसान अपने भीतर की खोई हुई दुनिया से रूबरू होता है।

सोचिए उस व्यक्ति की कहानी जिसने अपने सपनों को सच करने के लिए खुद को भुला दिया। दिन काम में डूबे रहेरातें बेचैन रहींरिश्ते “कल” पर टलते गए। परिवार पास थापर दूरी महसूस होती रहीदोस्त साथ थेपर उनकी बातें सुनी नहीं गईं। हर पल काम और लक्ष्य के लिए समर्पित रहाऔर अपनी ज़रूरतोंअपनी भावनाओंअपनी खुशियों को पीछे छोड़ दिया। आज वही व्यक्ति सफलता की ऊँचाई पर है—नामदाम और पहचान सब उसके पास हैं। लेकिन जब दिन की रोशनी बुझती हैतो वह अपने ही घर में अजनबी बन जाता है। फोन में अनगिनत नंबर हैंलेकिन कोई नहीं जो दिल की हालत पूछे। सफलता ने उसे बहुत कुछ दियालेकिन बदले में उससे वह सब छीन लिया जो उसे इंसान बनाता था—वो अपनापनवो सहजतावो बिना शर्त की हँसी और रिश्तों की गर्माहट।

यह अकेलापन किसी विशेष पेशे या वर्ग तक सीमित नहीं है। पर्दे पर चमकते सितारेमैदान में जीतते खिलाड़ीकिताबों में अमर लेखकया प्रयोगशालाओं में इतिहास रचते वैज्ञानिक—सभी इस सन्नाटे का सामना करते हैं। जब तालियाँ थम जाती हैंकैमरे हट जाते हैंतब बचता है सिर्फ़ एक इंसान और उसकी खामोशी। रिश्ते अब भावनाओं से नहींउपलब्धियों से जुड़े होते हैं। लोग साथ चलते हैंलेकिन कदम सफलता के साथ मिलाते हैंइंसान के साथ नहीं। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती हैसाथ चलने वाले कम होते जाते हैं। इस अकेलेपन में सबसे दर्दनाक बात यह है कि यह दिखाई नहीं देता। बाहर मुस्कान होती हैभीतर टूटन। व्यक्ति खुद को मजबूत दिखाने के लिए दर्द छिपाता हैऔर यही छिपा दर्द धीरे-धीरे उसे खोखला कर देता है। यादें बार-बार लौटती हैं—माँ की आवाज़दोस्तों की हँसीबिना मतलब की बातें। सब कुछ हैलेकिन वह अपनापन नहीं जो कभी बिना मांगे मिल जाता था। सफलता ने जीवन बड़ा कर दियालेकिन दिल को छोटा और सूना छोड़ दिया।

समाज इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करता। हम मान लेते हैं कि जो सफल हैवह खुश होगा। उसकी थकान नहीं देखतेउसकी चुप्पी नहीं सुनते। पैसा सुविधा दे सकता हैसम्मान दिला सकता हैलेकिन किसी का इंतज़ार नहीं कर सकताकिसी के कंधे पर सिर रखकर रो नहीं सकता। जब इंसान जीवन के अंतिम मोड़ पर पीछे मुड़कर देखता हैतो उसे उपलब्धियों से ज़्यादा रिश्तों की कमी खलती है। तब एहसास होता है कि जीत सब कुछ नहीं होतीकुछ हारें ऐसी होती हैं जो जीवन भर चुभती रहती हैं। यही वह सच है जो समाज अक्सर अनदेखा कर देता है। जीत को देखकर हम केवल चमक देखते हैंपर उसकी असली कीमत और कीमत चुकाने वाला अकेलापन नहीं।

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कल्पना कीजिएअगर कल सुबह आपकी सारी सफलता गायब हो जाएतो क्या कोई ऐसा होगा जो फिर भी आपके पास बैठना चाहेगाअगर उत्तर “हाँ” हैतो आप सच में सफल हैं। और अगर “न” हैतो समझ लीजिए कि आपने मंज़िल तो पा लीलेकिन रास्ते में खुद को खो दिया। सफलता के पीछे नहींबल्कि सफलता के साथ चलना ज़रूरी है—रिश्तों को थामे हुएअपनापन बनाए रखते हुए। जीवन की असली पहचान ऊँचाई नहींबल्कि वे हाथ हैं जो अँधेरे में भी आपका साथ नहीं छोड़ते। यही वह सफलता है जो दिल को भर देती हैऔर जीवन को वास्तविक अर्थ देती है।

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सफलता की चमक और अकेलेपन की खामोशी— ये दोनों जीवन के अनिवार्य हिस्से हैं। इसे समझना ही असली परिपक्वता है। जो व्यक्ति केवल मुकाम की ओर भागता हैवह कभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं होता। वही वास्तव में अमर बनता हैजो रिश्तों और अपनापन को साथ लेकर चलता है। सफलता केवल बाहरी दुनिया की मान्यता नहीं हैयह भीतर की संतुष्टिआत्मीयता और उन रिश्तों में हैजो अँधेरे में भी आपका हाथ थामते हैं और आपका साथ नहीं छोड़ते। यही वह अनमोल सीख हैजिसे हर सच्चा सफल व्यक्ति अपने जीवन भर अपने साथ रखता है।

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और सबसे अहम बात—सफलता की असली कसौटी यह नहीं कि आप कितनी ऊँचाई पर पहुँच गएबल्कि यह कि मुश्किल समय में आपके साथ कौन खड़ा है। यही वह सच्चाई हैजिसे समझकर जीवन में स्थायित्व और सच्चा संतोष मिलता है। पैसाशोहरतनाम और सम्मान मायने रखते हैंलेकिन वे अकेलेपन और दिल की खालीपन को नहीं भर सकते। इसलिए सफलता के साथ हमेशा उन लोगों को थामे रखेंजिन्होंने आपकी शुरुआत से ही आपका साथ दिया। यही वह अद्वितीय सफलता हैजो केवल आपकी चमक ही नहींबल्कि आपके दिल को भी रोशन करती है।

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