शक्ति का प्रतीक प्रतिभाशाली महिलाएं हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम

शक्ति का प्रतीक प्रतिभाशाली महिलाएं हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम

भारत मे उधोग-व्यापार की दुनिया कभी मर्दो की दुनिया मानी जाती रही होंगी।इक्कीवसी सदी में पहुंच चुके भारत मे इस दुनिया पर से मर्दो का एकाधिकार टूट रहा है।और यह सम्भव किया महिलाओ ने।जिन्हें अबला माना जाता रहा है।वह अबला नही है ,सबला है।बैंकिंग, वित्त,होटल या अस्पताल चलाने का मामला हो या गाड़ी-दुपहिया और ट्रैक्टर के उत्पादन से लेकर ऊर्जा और पर्यावरण, इंजीनियरिंग और जैव प्रोधोगिकी जैसी विशेषताएं का क्षेत्र, महिलाएं आगे बढ़कर कम्पनी की कप्तान संभाल रही है।विमान उड़ाना, ट्रेन का लोकोपायलट जैसे क्षेत्र में महिलाओं ने करियर बना लिया है।अभिनय प्रयोगों से अपनी प्रतिभा के झंडे फहरा रही है।
 
शिक्षा का स्तर में सुधारात्मक दृष्टिकोण से बच्चियों की शिक्षा में वृद्धि होने और शिक्षित बनकर डॉक्टर, इंजीनियर औए वकील जैसे प्रोफेशनल व्यवसाय से जुड़ कर अपना ही नही,परिवार के लिए मददगार बनकर समाज और देश का नाम रोशन करने में सबसे आगे है।उधोग जगत में महिलाओं का वर्चस्व स्थापित करने और सहपाठी को मदद करने जैसे अभिनव प्रयोग महिलाओ के लिए वरदान साबित हुआ है।
 
प्रतिभाशाली महिलाएं आज शक्ति का प्रतीक बन गई है।महिलाओ को पैर की जूती समझने वाले समाज की अवधारणा बदलती जा रही है।हरियाणा से बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ की मुहिम शुरू होने के बाद बेटियों के जीवन निर्माण में अभिभावकों की जिज्ञासा बढ़ रही है।समाज और सरकार इस तरफ विशेष ध्यान देकर बच्चियों के शिक्षा संस्कार के लिए कदमताल ठोकते नजर आ रही है।महिलाओ के लिए सरकार की  कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नैतिकता के स्तर पर हर महिलाओ का हिस्सा बना है।
 
उधमिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने लाभकारी योजनाओ के साथ छोटे उधमियों के लिए बिना ब्याज ऋण की उपलब्धता से महिलाएं अपने बच्चो का ही नही,परिवार के लिए आर्थिक मददगार बन चुकी है।महिलाओ के साथ कटुता में वृद्धि हुई थी,वह शिक्षा और रोजगार के साथ खत्म हो गई है।महिलाएं अपने बूते उधोग-धंधे से समाज में एक मुकाम हासिल करके समाज मे ख्याति प्राप्त कर रही है।महिलाओ को शक्ति का प्रतीक बनते समाज देख रहा है।महिलाओ के फैसले अक्सर सभी पक्षो के लिए चिंता से प्रेरित पाए गए है।व्यापार जगत में काफी तादात में महिलाएं आ रही है और सफलता के परचम लहरा रही है।
 
डायमंड हो या कपड़ा उधोग, महिलाएं अपनी धाक कायम करने के लिए कड़ी मेहनत में लगी है।कपड़ा उधोग और कपड़ा निर्माण की बड़ी बड़ी मिलो का संचालन अब महिलाओ के हाथ मे है।महिलाएं मर्दाना खेल में माहिर हो रही है।जिसे कभी पुरूषों की बपौती माना जाता था।महिलाओ को राजनीति के फील्ड में ज्यादा अवसर देना चाहिए।राजनीति में महिलाओ का प्रवेश होने से भ्रष्टाचार में अवश्य कमी आएगी ।महिलाएं राजनीति में सम्पूर्ण जवाबदारी से कार्य करती है।जिस तरह अपने घर की सम्भाल महिलाओ के हाथ मे होती है,वैसे ही राजनीति की बागडोर महिलाओ को दी जाए,जिससे देश मे अमूलचूल परिवर्तन आने की पूरी संभावना बनी रहेगी।
 
देश मे ऐसी सर्वशक्तिमान महिलाए उधमी है,जिन्होंने हर क्षेत्र में अपना एकाधिकार बनाया है।जिसमे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रही है।हिंदुस्तान टाइम्स की शोभना भरतिया सबसे आगे है।इतना ही नही , मनु छाबरिया,रेणुका रामनाथ जैसी उधमी महिलाएं व्यवसाय में अपना मुकाम हासिल किया है।ये वो महिलाएं है,जिन्होंने एक नए उधोग को  खड़ा किया है,मसलन बायोकॉन कम्पनी की अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशक रही किरण मजूमदार जिन्हें भारत की प्रथम बायोटेक महिला कहा जाता है।
 
ये महिलाएं दूसरी महिलाओ के लिए आदर्श बन गई है।जिन्होंने अपनी कम्पनी को नए रास्ते पर चलाया है।अमृता पटेल डेयरी विकास बोर्ड की अध्यक्ष जिन्होंने केरल में गायों की खतरनाक बीमारी से बचाव का अभियान चलाया था।गांवो के स्तर पर दूध का स्तर सुधारने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया। निजी बीमा कम्पनी  की सीईओ शिखा शर्मा ने प्रूडेंशियल अभियान चला कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया।देश मे 25 ऐसी सर्वशक्तिमान महिला उधमी है,जो भारत मे टाप 25 उधमियों की पहली पंक्ति में नाम दर्ज है।महिलाएं अब अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी है।महिलाओ को हर क्षेत्र में आगे लाने के लिए पुरुषप्रधान समाज को हाथ बटाना होगा।

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