यदि सुप्रीम कोर्ट स्तर पर इस मामले में पहल होती है तो यह देशभर के पत्रकारों के लिए एक बड़ी राहत होगी-अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह #supreme court
पत्रकारों पर हो रहे हमले न केवल उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रहार हैं बल्कि यह पूरे समाज की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।
फर्जी मुकदमों के खिलाफ मोर्चा – सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह से मिले संपादक राजीव शुक्ला
यह मुलाकात न सिर्फ पत्रकारों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है।
प्रदीप यादव /सचिन बाजपेई
पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर बढ़ते दबाव और पत्रकारों पर हो रहे फर्जी मुकदमों के बीच स्वतंत्र प्रभात अखबार के संपादक राजीव शुक्ला ने शुक्रवार को दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न, लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर गंभीर चर्चा हुई।

संपादक राजीव शुक्ला ने बातचीत के दौरान स्पष्ट कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। सच और निष्पक्ष खबरें प्रकाशित करने वाले पत्रकारों को न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव का सामना करना पड़ता है बल्कि उनके खिलाफ फर्जी और बेबुनियाद मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है। अगर पत्रकार ही भय और दबाव में काम करेंगे तो समाज में सच्चाई सामने नहीं आ पाएगी।”
राजीव शुक्ला ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ तभी मजबूत रह सकता है जब पत्रकार स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपना दायित्व निभा सकें। उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर हो रहे हमले न केवल उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रहार हैं बल्कि यह पूरे समाज की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह, जो कई हाई-प्रोफाइल मामलों में अपनी बेबाक पैरवी के लिए जाने जाते हैं, ने इस चिंता को गंभीर मानते हुए आश्वासन दिया कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए कानूनी स्तर पर ठोस पहल की जाएगी। उन्होंने कहा कि “पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ हैं। यदि उन्हें डराकर या मुकदमों में फंसा कर दबाया जाएगा तो यह संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ होगा। आने वाले समय में हम ऐसी कानूनी रणनीति पर काम करेंगे, जिससे पत्रकारों को न्याय और सुरक्षा मिल सके।”
इस मुलाकात में पत्रकारों के लिए एक विशेष सुरक्षा तंत्र तैयार करने, फर्जी मुकदमों पर रोक लगाने, पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता और मीडिया कर्मियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने जैसे कई अहम मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। चर्चा इस बात पर भी हुई कि पत्रकारों को न्यायिक स्तर पर राहत दिलाने के लिए किस प्रकार से ठोस याचिकाएँ दायर की जा सकती हैं।

राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट स्तर पर इस मामले में पहल होती है तो यह देशभर के पत्रकारों के लिए एक बड़ी राहत होगी। इससे न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता को नई दिशा मिलेगी बल्कि मीडिया जगत को भी मजबूती प्रदान होगी। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यह पहल एक नजीर साबित होगी और भविष्य में पत्रकारों पर हो रहे अन्यायपूर्ण मुकदमों को रोकने में मदद करेगी।
यह मुलाकात न सिर्फ पत्रकारों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि यह लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है। आने वाले समय में इस बातचीत का असर मीडिया जगत पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल सकता है

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