सावन खत्म होते ही मनरेगा कार्यालय में मटन पार्टी सजी महफ़िल
उमंग में आधा दर्जन खस्सी की बलि
सुपौल ब्यूरो
साथ ही जागुर से स्पेशल हलवाई बुलाए गए,।सामग्री में मटन हांडी के साथ स्वादिष्ट पूड़ी,चावल, पनीर, सलाद और मिठाई केभराईटी की भीनी भीनी खुशबू की गंध दूर से प्रखंड परिसर गुलजार हो रहा था। खास मेहमानों की खातिरदारी में अफसर-कर्मी खुद जुटे दिखे।जैसे उनका परिवारिक आयोजन हो।हालांकि आयोजन स्थल के ठीक मुहाने पर स्थित बजरंग बली के पवित्रता का भी ख्याल रखना भी मुनासिब नहीं समझा गया।पूजा करने आये श्रद्धालुओं ने इस मटन पार्टी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आखिर इन हाकिमों ने बजरंग बली को भी नहीं बख्शा।हलाकि पार्टी की गोपनीयता के मद्देनजर बीडीओ के चहेते कर्मी अघोषित रूप से दंडाधिकारी का काम देख रहे थे।आने जाने वाले आम जनता को मना कर कल आने का आदेश दे रहे थे।
आखिर पैसा चंदा या घूस का ?
सूत्रों के मुताबिक, इस पार्टी का आतिथ्य बीडीओ साहब का था और वे ही सर्वे सर्वा थे।हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि यह खर्च कथित रूप से घूस से जुटाए गए पैसों से किया गया, ताकि सावन के बाद बड़ेअधिकारी ,चहेते मेहमानों और कर्मी को ‘खस्सी का स्वाद’ चखाकर खुश किया जा सके। और उनके क्रिया कलाप में सहयोग कर सके ।अलबत्ता आमलोगों को इस दावत से दूर रखा गया था। और मनरेगा कार्यालय के हाल में मेज-पर-मेहमान का माहौल सजाया गया।
लोगों के तंज भरे तीखे सवाल
Read More Haryana Cabinet Meeting: हरियाणा कैबिनेट की बैठक में लिए गए ये बड़े फैसले, देखें पूरी लिस्ट एक तरफ मजदूरों का भुगतान महीनों लटका है, लोग कम के लिए प्रखंड और अंचल कार्यालय में दिन भर परेशान हो रहे हैं दूसरी तरफ मटन पार्टी उड़ाई जा रही है।” – बसंत यादव, राजद जिला उपाध्यक्ष मनरेगा के पैसों का स्वाद मटन में बदल गया, रोजगार कहाँ गया?” – अखिलेश कुमार प्रखंड अध्यक्ष युबा राजद “यह सरकारी दफ्तर है या शादी का पंडाल?” – सुमन कुमार सिंह उर्फ डब्लू “गरीबों का हक मारकर दावत उड़ाना शर्मनाक है।” – सोनू कुमार “पारदर्शिता का नारा अब सिर्फ पोस्टर में बचा है।” – गोलू यादव
अधिकारियों ने साधी चुप्पी
जब इस बारे में मनरेगा पीओ विजय कुमार नीलम से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।वहीं, एकाउंटेंट राजेश कुमार ने कहा – “पीओ साहब एसआईआर के काम में व्यस्त हैं। मटन पार्टी बीडीओ साहब द्वारा आयोजित की गई थी, और हमने उन्हें जगह उपलब्ध करा दी।”
सुलगते सवाल
सरकारी अधिकारी का दायित्व ग्रामीण गरीबों को सेवा व सुविधा देने उनकी समस्याओं को प्रार्थमिकता के आधार पर निदान करना ।
लेकिन सोमवार की हकीकत: आधा दर्जन खस्सी, छक कर दावत मजदूरों की हालत: भुगतान के लिए चक्कर,जेब खाली
अधिकारियों की प्राथमिकता: मेहमाननवाज़ी और मटन मनरेगा का उद्देश्य और वास्तविकता में फासला
मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना का मकसद ग्रामीण गरीबों को रोजगार और आर्थिक सुरक्षा देना है। लेकिन जिस दफ्तर में मजदूरों की समस्याएं सुलझनी चाहिए, वहां दिनभर खस्सी के कटने और मटन के पकने का सिलसिला चलता रहा।
सोमवार का दिन त्रिवेणीगंज मनरेगा कार्यालय के लिए हमेशा याद रखा जाएगा कामकाज से नहीं, बल्कि खास मेहमानों की महफिल और खस्सी के स्वाद के लिए।

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