28 लाख हर महीनेखर्च बाबजूद गंदगी ही गन्दगी
सफाई और विकास कार्य में भेद भाव करती है नगर परिषद
सुपौल ब्यूरो
कागज़ों में चमक रहा है नगर परिषद
जमीनी स्तर पर सफाई व्यवस्था पूरी तरह फेल है। नगर परिषद की सफाई व्यवस्था मुख्य रूप से अनुमंडल और प्रखंड कार्यालय, मुख्य बाजार और ऑफिसर्स क्वार्टर तक ही सीमित है। अन्य क्षेत्रों में झाड़ू देते कर्मी हफ्ते में एक-दो बार ही दिखाई देती है।
वार्ड-वार सफाई की स्थिति
अनुमंडल कार्यालय नियमित रोज़ाना
प्रखंड कार्यालय नियमित रोज़ाना
डपरखा वार्ड 21 से 27 हफ्ते में 1 बार
बभनगामा के 4 वार्ड हफ्ते में 1 बार
लतौना उत्तर के 3 वार्ड कभी-कभार
थलहागढ़िया दक्षिण के 5 वार्ड कभी-कभार
नगर परिषद ने उम्मीद तोड़ी”
रमेश यादव, वार्ड 25 निवासी:
"नगर परिषद बनने के बाद लगा था कि अब कूड़े-कचरे से निजात मिलेगी। लेकिन तीन साल बाद भी सड़कों पर गंदगी और नालियों से बदबू आती है। पहले की मुफ्त सफाई भी इससे बेहतर थी।"
शांति देवी, वार्ड 2
"सिर्फ वीआईपी इलाकों में सफाई है, बाकी शहर भगवान भरोसे है। हफ्ते में एक बार सफाई होना भी सौभाग्य की बात हो गई है।"
शुरुआत तामझाम से लेकिन नतीजा जीरो
बिगत 11 जून 2022 को अनुमंडल कार्यालय परिसर से 25 सफाई कर्मियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। उस समय अनुमंडल पदाधिकारी और प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी ने नगर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का दावा किया था। लेकिन बिडम्बना है कि ये सफाई महज़ मुख्य सड़क एन एच 327 ई और सरकारी दफ्तरों तक ही सीमित रह गई है।नगर परिषद के अंदरूनी मोहल्ले और तंग गलियां आज भी कचरे और कीचड़ से जूझ रहे हैं।
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मानसून में सफाई व्यवस्था की पोल और भी खुल गई है। कई वार्डों में सड़कें जलमग्न हैं, नालियां जाम हैं और लोग अपने स्तर पर रास्ता साफ करने को मजबूर हैं।
दिखावे से नहीं, ज़मीनी काम से होगा विकास
अगर हर महीने खर्च होने वाला 28 लाख रुपये सही ढंग से जमीन पर लगाया गया होता, तो त्रिवेणीगंज आज आदर्श नगर परिषद बन चुका होता।लेकिन हकीकत ये है कि सफाई अभियान खानापूर्ति बनकर रह गया है। स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे इस दिशा में गंभीर कदम उठाएं और स्थायी सफाई योजना तैयार करें, ताकि जनता का भरोसा दोबारा बहाल हो सके। वेसे उपमुख्य पार्षद गीता देवी भी सफाई व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए बिभाग से शिकायत दर्ज कराया है।

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