बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को सुरक्षित तैराकी का दिया गया प्रशिक्षण
जिला प्रशासन के सहयोग से पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया।
बिहार- सुपौल ,जितेन्द्र कुमार "राजेश"
उद्देश्य
बच्चों को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय सुरक्षित तैराकी एवं आत्मरक्षा के व्यावहारिक कौशल सिखाना।
Read More Railway Station: हरियाणा में इस रेलवे स्टेशन को बनाया जाएगा हाईटेक, मिलेगी ये लग्जरी सुविधाएं बाढ़ प्रभावित पंचायतों में समुदाय स्तर पर जागरूकता फैलाना।
स्थानीय संसाधनों के सहयोग से स्थायी समाधान की ओर अग्रसर होना।
प्रमुख गतिविधियाँ
जिला प्रशासन के सहयोग से पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण हेतु विभाग द्वारा प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनरों एवं आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञों की टीम गठित की गई।
प्रशिक्षण के दौरान जीवन रक्षक उपाय, तैरने की तकनीक, पानी में संतुलन बनाना, और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बताया गया।
बच्चों को तैराकी के समापन के पश्चात टीशर्ट और प्रमाण पत्र आदि प्रदान किए गए।
प्रशिक्षित बालकों की संख्या
कुल 5 अंचल यथा सुपौल-1,किशनपुर-2,सरायगढ़-1,निर्मली-1 एवं मरौना-1 के कुल 6 तरणतालों का विभाग द्वारा चयन किया गया था ।
जिसके अंतर्गत सुपौल-350, किशनपुर-700, सरायगढ़-350 निर्मली-345 एवं मरौना-350 में कुल - 2095 बच्चों को प्रशिक्षित किया गया |
परिणाम एवं प्रभाव
प्रशिक्षण के पश्चात बच्चों में आत्मविश्वास में वृद्धि देखी गई।
अभिभावकों व समुदाय में बाढ़ के प्रति सजगता बढ़ी।
बाढ़ के समय त्वरित प्रतिक्रिया हेतु एक प्रशिक्षित बाल समूह तैयार हुआ।
यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के जीवन रक्षण कौशल को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन एवं समुदाय के बीच समन्वय का एक सफल उदाहरण भी बना। भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों की निरंतरता और विस्तार आवश्यक है, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिल सके ।इस कार्यक्रम का संचालन आपदा विभाग पटना द्वारा प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर सुभाष कुमार यादव,मो. आदम,हरिओम चक्रवर्ती,विद्यासागर यादव,मनोज कुमार शर्मा,जय प्रकाश मंडल,संतोष कुमार सिंह,ताराकांत झा,भुवनेश्वर सिंह,राम सागर रमन,प्रकाश कुमार,नवनीत मुखिया एवं अन्य के द्वारा संबंधित अंचलों के अंचल अधिकारी के निगरानी में प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।

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