राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर कम्युनिस्ट पार्टियों सहित विभिन्न संगठनों ने निकाला कलेक्ट्रेट तक जुलूस , किया जोरदार प्रदर्शन।
19 सूत्रीय मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने किया जोरदार प्रदर्शन, सुरक्षा व्यवस्था में रहे पुलिस कर्मी तैनात
गगनभेदी नारों के साथ गूंजा कलेक्ट्रेट परिसर
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
केंद्रीय श्रमिक संगठनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में कम्युनिस्ट पार्टियां, खेत मजदूर यूनियन , संयुक्त किसान सभा, आदिवासी विकास मंच तथा मनरेगा मजदूरों द्वारा चूर्क तिराहे से जुलूस निकाल कर प्रदर्शन करते हुए जिला मुख्यालय सोनभद्र जाकर एडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
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जहां भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ और राष्ट्रीय आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए 19 सूत्रीय मांगों के साथ चूर्क तिराहे से जुलूस निकाल कर मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन करते हुए गगनभेदी नारों लगाते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया ।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा केंद्रीय नए श्रम कोड, जिसमे श्रम कानूनों में मज़दूर-विरोधी प्रावधानों और किसान-विरोधी प्रावधानों से मजदूरों को गुलामी की ओर ले जाने की कोशिश की जा रही है। ठेकेदारी प्रथा को खत्म किए जाने, न्यूनतम वेतन रूपये 26000 किए जाने,सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के निजीकरण का विरोध, आंगनबाड़ी, आशा बहू, मिड डे मील आदि स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मी घोषित किए जाने, एम एस पी लागू किए जाने के अलावा 19 सूत्रीय मांगों को लेकर यह राष्ट्र व्यापी हड़ताल किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस राष्ट्र व्यापी हड़ताल के समर्थन में हम मजदूर-किसान विरोधी कानूनों को रदद् करने, न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए करवाने, निजीकरण पर रोक लगाने की मांग इसके साथ ही परियोजना कर्मियों समेत अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने समेत सभी श्रम कानूनों को लागू करने, निर्माण मजदूरों की सुविधाओं को लागू करवाने समेत अन्य मागों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मुताबिक रेलवे, बैंक, बीमा, कोयला, बिजली समेत अन्य सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठानों को कौड़ियों के भाव में पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। इस मुद्दे पर और केंद्र व प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हम सड़कों पर उतरे हैं।
हड़ताल की प्रमुख माँगें रहीं हैं:
चारों श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द किया जाए।
सभी मज़दूरों के लिए ₹26000 न्यूनतम वेतन और ₹9000 न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो।
पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।महंगाई पर रोक लगे, आवश्यक वस्तुओं से जीएसटी हटे,।
सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण रोका जाए। यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकारों का सम्मान हो।
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पानी जैसी ज़रूरतों की सार्वजनिक गारंटी हो।
बिजली का निजीकरण रोको, स्मार्ट मीटर बंद करो।
किसानों को फसल पर एमएसपी की गारंटी की जाए।
वन अधिकार कानून में जनविरोधी संशोधन रद्द करो ।
वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि यह हड़ताल सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं, बल्कि लंबे संघर्ष की शुरुआत है। मजदूर वर्ग अब पीछे नहीं हटेगा संविधान, अधिकार और रोटी की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है।
धरना प्रदर्शन को भाकपा के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, लालता तिवारी, सीपी माली, माकपा के जिला मंत्री कामरेड नंद लाल आर्य, कामरेड प्रेम नाथ, भाकपा (माले) के जिला सचिव सुरेश कोल, शंकर कोल, नंद लाल यादव,.एटक के नेता राजेन्द्र प्रसाद, इंटक के नेता हरदेव नारायण तिवारी, बृजेश त्रिपाठी, सीटू के नेता कामरेड लाल चंद्र ,एक्टू के नेता कामरेड कलीम, खेत मजदूर यूनियन के नेता देव कुमार विश्वकर्मा, पुरुषोत्तम, बसावन गुप्ता, किसान सभा के नेता कामरेड अमरनाथ सूर्य, महेंद्र सिंह आदि ने संबोधित किया ।
इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।पूरे कार्यक्रम कार्यक्रम का संचालन भाकपा के जिला सचिव व खेल मजदूर यूनियन के नेता कामरेड आर के शर्मा ने किया। इस दौरान राष्ट्रीय आम हड़ताल को लेकर चूर्क तिराहे से कलेक्ट्रेट तक भारी संख्या पुलिस फोर्स तैनात रहा।

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