सोनभद्र जुगैल के खहररा गांव में हर घर नल योजना बेमानी, ग्रामीण आज भी नाले का पानी पीने को मजबूर
लोगों को सता रहा है बीमारियों का डर, जिम्मेदार मौन
जुगैल थाना क्षेत्र में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
जुगैल थाना क्षेत्र के ग्राम खहररा टोला आमिला/करेला के ग्रामीणों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। एक ओर जहां सरकार 'हर घर नल' जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के माध्यम से प्रत्येक घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का दावा कर रही है, वहीं खहररा के ग्रामीण आज भी कई सालों से नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। यह स्थिति सरकारी योजनाओं की हकीकत और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करती है।

ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में हर घर नल की टोटी तो लगभग 15 महीने पहले ही लग चुकी है, लेकिन आज तक उस टोटी में पानी नहीं आया है। सरकार की यह योजना उनके लिए मात्र एक दिखावा बनकर रह गई है। स्थानीय लोग बताते हैं कि जिस पानी के नल से वे पहले पानी पीते थे, उसकी स्थिति भी अब दयनीय है और मजबूरीवश उन्हें आज भी नाले का गंदा पानी पीकर जीवन बिताना पड़ रहा है। नाले का दूषित पानी पीने के कारण ग्रामीण कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। दूषित जल से होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, पेट संबंधी संक्रमण और अन्य जल-जनित रोगों ने गांव में अपनी पकड़ बना ली है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है।

ग्रामीण सवाल उठाते हैं, इसका जिम्मेदार कौन है। ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय तो ग्राम प्रधान वोट लेने के लिए आते हैं, लेकिन वोट लेने के बाद वे गांव में दोबारा दिखाई नहीं देते। ग्रामीणों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर भटकना पड़ता है और वे लगातार ठोंकरें खाते रहते हैं। ग्रामीण मायूस होकर पूछते हैं, "कब आएगा टोटी में पानी, कई सालों से पीने के लिए स्वच्छ पानी को तरस रहे हैं, कब आएगा टोटी में पानी।यह सिर्फ पानी की समस्या नहीं है, बल्कि सोनभद्र के चोपन ब्लॉक अंतर्गत जुगैल क्षेत्र का यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां न तो अच्छी सड़कें हैं, न रहने के लिए उचित आवास हैं, न पीने का पानी उपलब्ध है और न ही बिजली की पर्याप्त सुविधा है। ऐसी दयनीय स्थिति में गांव के लोग प्रभु का नाम लेकर जैसे-तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
यह मामला सरकार और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। यदि ऐसे ग्रामीण इलाकों में भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं, तो विकास के दावों का क्या अर्थ रह जाता है? जिला प्रशासन को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और खहररा टोला आमिला/करेला के ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करनी चाहिए।

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